(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 15 फरवरी (भाषा) पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार अफगानिस्तान में तालिबान शासन को एकतरफा मान्यता नहीं देगी क्योकि इस कदम से वह अलग थलग पड़ जाएगा और देश में आर्थिक सुधार के प्रयासों को धक्का लगेगा। खान ने जोर दिया कि इसको मान्यता देने के लिए इस क्षेत्र के देशों को ”संयुक्त प्रयास” करना होगा।
पिछले साल अगस्त में काबुल की सत्ता पर नियंत्रण हासिल करने के बाद से तालिबान अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपने इस्लामी अमीरात को अफगानिस्तान की आधिकारिक सरकार के तौर पर मान्यता देने का आग्रह कर रहा है। वहीं, अमेरिका और अन्य देश तालिबान पर अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को उसके एजेंडे में प्राथमिकता देने को लेकर दबाव डाल रहे हैं।
खान के रूसी मीडिया को दिये एक साक्षात्कार के हवाले से एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने कहा, ”अगर पाकिस्तान (तालिबान को) मान्यता देने की पहल करता है तो हम पर अंतरराष्ट्रीय दबाव काफी बढ़ जाएगा क्योंकि हम अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार के प्रयास कर रहे हैं।”
खान के हवाले से अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ”हम अपना कर्ज नहीं चुका सकते । हम केवल तभी उबर सकते हैं, जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ हमारे अच्छे संबंध हों।” तालिबान को मान्यता देकर अलग-थलग (मान्यता देने वाला अकेला देश बनने की स्थिति में) पड़ना आखिरी चीज होगी जो हम चाहेंगे।
खान ने कहा है कि इस मसले पर इस क्षेत्र के देशों को ”संयुक्त प्रयास” करना होगा।
उन्होंने कहा कि इस तरह की मान्यता के लिए शर्तों के संबंध में अंतरराष्ट्रीय सहमति है कि अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार होनी चाहिए। मानवाधिकार और महिला अधिकारों का मुद्दा भी है।
रिपोर्ट में खान के हवाले से कहा गया, ”तालिबान सरकार ने इन दो मुद्दों पर वादा किया है। सवाल यही है कि दुनिया को संतुष्ट करने के लिए और क्या आवश्यक है?।”
भाषा
शफीक पवनेश
पवनेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.