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Wednesday, 22 May, 2024
होमविदेशकोरोनावायरस महामारी से दुनिया वैश्विक आर्थिक मंदी की ओर, 2009 से भी बुरे हालात होंगे: आईएमएफ प्रमुख

कोरोनावायरस महामारी से दुनिया वैश्विक आर्थिक मंदी की ओर, 2009 से भी बुरे हालात होंगे: आईएमएफ प्रमुख

जॉर्जीवा ने कहा कि दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियां अचानक से ठप होने के साथ उभरते बाजारों को 2,500 अरब डॉलर के वित्त पोषण की जरूरत होगी.

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वाशिंगटन: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की प्रमुख किस्टलीना जॉर्जीवा ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी से वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है और विकासशील देशों की मदद के लिये बड़े पैमाने पर वित्त पोषण की जरूरत होगी.

उन्होंने ऑनलाइन संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘यह साफ है कि हम मंदी में प्रवेश कर रहे हैं. मौजूदा स्थिति 2009 में वैश्विक वित्तीय संकट से ज्यादा खराब है.’

जॉर्जीवा ने कहा कि दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियां अचानक से ठप होने के साथ उभरते बाजारों को 2,500 अरब डॉलर के वित्त पोषण की जरूरत होगी.

हालांकि उन्होंने यह भी कहा, ‘हमारा मानना है कि यह आंकड़ा कम है. अबतक 80 से अधिक देशों ने मुद्राकोष से आपात सहायता का आग्रह किया है.’

आईएमएफ, विश्वबैंक ने गरीब देशों के लिये कर्ज अदायगी टालने को कहा था

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) और विश्वबैंक ने दुनिया भर की सरकारों से इससे पहले आग्रह किया था कि वे अभी गरीब देशों से कर्ज की किस्तें लेना टाल दें, ताकि वे कोरोना वायरस महामारी से लड़ सकें.

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दोनों अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थाओं ने संयुक्त बयान में यह अपील की.

दोनों ने कहा, ‘विश्वबैंक समूह और आईएमएफ का यह मानना है कि ऐसे समय में विकासशील देशों के लिये राहत के संकेत तथा वित्तीय बाजारों के लिये मजबूती के संकेत देना बहुत जरूरी है.’

यह अपील उन देशों के लिये है, जो सबसे सस्ते वित्तपोषण की व्यवस्था ‘आईडीए के लिये पात्र हैं.

आईएमएफ वश्विक कदमों की मांग कर चुका है

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की प्रमुख क्रिस्टलीना जॉर्जीवा ने  कोरोनावायरस से अंतराष्ट्रीय स्तर पर फैली महामारी से उत्पन्न परिस्थियों का सामना करने के लिए सरकारों का एक साथ मिल कर काम करना जरूरी बताई थी.

उन्होंने कहा था कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को इस संकट से संभालने के लिए मिल कर उसी तरह से जोरदार तरीके से खर्च करने की जरूरत है जैसा 2008 के वित्तीय संकट के समय किया गया था. आईएमएफ प्रमुख ने ब्लाग में लिखा है कि इस समय उभरते बाजारों वाली अर्थव्यवस्थाओं को भी मदद की जरूरत है क्योंकि उनके यहां से इस समय नकद धन की बहुत अधिक निकासी हो रही है.

उन्होंने कहा था, ‘वायरस के प्रसार को देखते हुए’ देशों के व्यक्तिगत प्रयासों के भी आगे बढ़ कर ‘इस समय वैश्विक स्तर पर एक समन्वित और सुचारू वित्तीय प्रोत्साहन की आवश्यकता का अधिक सशक्त तर्क बनता है.’

इस बीच कोरोना वायरस संकट के दौरान निवेशक उभरते बाजारों से 42 अरब डालर की भारी भरकम पूंजी निकाल चुके है. उन्होंने कहा थआ कि यह अब तक की सबसे बड़ी निकासी है. जॉर्जीवा ने बड़े देशों के केंद्रीय बैंकों से अपील की है कि वे बाजार में वित्तीय दबाव को कम करने के लिए मदद करें.

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