वाशिंगटन : अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन भारत के साथ द्विपक्षीय साझेदारी का विस्तार जारी रख सकता है और इन संबंधों के प्रगाढ़ होने के पीछे क्षेत्र में चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य शक्ति को लेकर चिंता एक प्रमुख कारक है.
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) द्वारा भारत-अमेरिका संबंधों पर जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार, ‘कई लोगों का अनुमान है कि प्रशासन भारत में मानवाधिकारों समेत घरेलू घटनाक्रमों पर अधिक ध्यान देगा, लेकिन चीन के मुकाबले संतुलन की अत्यधिक जरूरत के कारण व्यापक नीतियों में बदलाव की संभावना नहीं है.’
अमेरिकी सांसदों के लिए परंपरागत रूप से तैयार की जाने वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘स्वतंत्र पर्यवेक्षकों का व्यापक रूप से मानना है कि बाइडन प्रशासन (भारत के साथ) द्विपक्षीय संबंधों का विस्तार करता रह सकता है और अधिकतर लोग चीन की बढ़ती अर्थव्यवस्था और सैन्य शक्ति के बारे में चिंता को इन संबंधों को मजबूती प्रदान करने के कारकों में गिनते हैं.’
स्वतंत्र विशेषज्ञों द्वारा तैयार सीआरएस रिपोर्ट को अमेरिकी कांग्रेस की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं माना जाता. अमेरिकी कांग्रेस ऐसी अनेक रिपोर्ट सार्वजनिक करती रही है.
रिपोर्ट को एलन क्रोन्स्टैट के नेतृत्व में दक्षिण एशिया के अनेक विशेषज्ञों ने तैयार किया है. इसमें कहा गया है, ‘अनेक विश्लेषक विशेष रूप क्वाड की पहल के प्रति भारत की हाल में सामने आई गर्मजोशी को देखते हुए अमेरिका द्वारा बहुपक्षीय मंचों पर भारत के साथ सहयोग का रुख किये जाने की संभावना जता रहे हैं और वे यह देखने को उत्सुक हैं कि बाइडन प्रशासन अपनी विदेश नीति में हिंद-प्रशांत क्षेत्र को प्राथमिकता देने के लिए किस सीमा तक प्रतिबद्धता व्यक्त करेगा.’
अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने 2017 में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक व्यवहार का मुकाबला करने के लिए चतुष्कोणीय गठजोड़ या ‘क्वाड’ के गठन के लंबित प्रस्ताव को आकार दिया था.
राष्ट्रपति जो बाइडन ने मार्च महीने में क्वाड के पहले शिखर-सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत इस समूह के नेताओं के साथ डिजिटल वार्ता की थी. इसमें बाइडन ने कहा था कि सभी के लिए एक खुला और स्वतंत्र हिंद-प्रशांत क्षेत्र आवश्यक है तथा क्षेत्र में स्थिरता पाने के लिए अमेरिका अपने साझेदारों और सहयोगियों के साथ काम करते रहने के लिए प्रतिबद्ध है.
चीन, दक्षिण चीन सागर और पूर्व चीन सागर में क्षेत्रीय विवाद में संलिप्त है. वह पूरे दक्षिण चीन सागर पर संप्रभुता का दावा करता है. हालांकि वियतनाम, मलेशिया, फिलीपीन, ब्रूनेई और ताइवान इसके विपरीत दावा करते हैं.