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मंगलवार, 20 मई, 2025
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चीनी राष्ट्रपति ने झिनजियांग दौरे में लद्दाख गतिरोध से जुड़े पीएलए सैनिकों से भेंट की

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(के जे एम वर्मा)

बीजिंग, 16 जुलाई (भाषा) लद्दाख सीमा से सटे अशांत झिनजियांग प्रांत की इस सप्ताह असामान्य यात्रा पर गये चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने वहां तैनात सैनिकों एवं अधिकारियों से भेंट की तथा सीमा की सुरक्षा एवं अशांत प्रांत में स्थिति सामान्य बनाने में उनके ‘शानदार योगदान’ की तारीफ की।

चीनी सेना की शीर्ष कमान सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (सीएमसी) के मुखिया शी ने झिनजियांग प्रांत में तैनात अधिकारियों एवं सैनिकों के प्रतिनिधियों से शुक्रवार को उसकी राजधानी उरूमकी में भेंट की।

सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार शी ने प्रांत में तैनात सभी कमांडरों एवं सैनिकों को बधाई दी तथा इस क्षेत्र में उनके ‘शानदार योगदान’ पर मुहर लगायी। वह 12 से 15 जुलाई तक इस प्रांत की यात्रा पर थे, जहां उनकी सरकार पर अल्पसंख्यक मुसलमानों के उत्पीड़न का व्यापक आरोप लगता रहा है।

सरकारी मीडिया ‘शिन्हुआ’ द्वारा जारी किये गये फोटो में नजर आ रहा है कि शी के साथ भेंट के दौरान पीएलए की वेस्टर्न थियेटर कमान के शीर्ष अधिकारियों के साथ रेजिमेंट कमांडर क्वी फबाओ भी मौजूद हैं। वेस्टर्न थियेटर कमान पर भारत एवं चीन के बीच 3488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की निगरानी की जिम्मेदारी है, जबकि क्वी पीएलए का वह रेजीमेंटल कमांडर है, जो पूर्वी लद्दाख के गलवान में जून 2020 में हुई झड़प में घायल हो गया था। बाद में क्वी को ‘सीमा की सुरक्षा के लिए हीरो रेजीमेंट कमांडर’ के खिताब से सम्मानित किया गया था।

वैसे तो राष्ट्रपति के संबोधन का पूरा विवरण जारी नहीं किया गया है, लेकिन सरकारी मीडिया की खबर है कि उन्होंने दृढ़तापूर्वक कहा है कि नये दौर में सेना को मजबूत करने के सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के विचार को लागू करना, नये दौर की सैन्य सामरिक नीति को क्रियान्वित करना तथा झिनजियांग में सामाजिक स्थायित्व एवं दीर्घकालिक स्थायित्व को प्रोत्साहित करने में सक्रिय योगदान करना जरूरी है।

सैनिकों के साथ शी की यह मुलाकात इस मायने में महत्वपूर्ण है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की झिनजियांग मिलिट्री कमान मई 2020 में दोनों पक्षों के बीच सैन्य गतिरोध के समय से भारत-चीन सीमा की निगरानी करता है।

झिनजियांग में सैनिकों के साथ शी की यह बैठक रविवार को भारत एवं चीन के बीच होने वाली 16 वें दौर की सैन्य वार्ता से पहले हुई है ।

भारत पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के सभी स्थलों से सैनिकों की शीघ्र वापसी पर जोर दे रहा है और उसका कहना है कि द्विपक्षीय संबंधों में संपूर्ण प्रगति के लिए सीमा पर अमन-चैन पूर्व शर्त है।

गलवान घाटी में 15 जून, 2020 को भीषण संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गये थे। यह दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य टकराव था। काफी समय बाद चीन ने माना कि उसके भी चार लोग मारे गये थे।

रविवार को होने वाली अगले दौर की वार्ता में संभावना है कि भारतीय पक्ष डेपसांग बुल्गे और डेमचोक में मुद्दों के समाधान के साथ-साथ टकराव वाले सभी स्थानों से यथाशीघ्र सैनिकों की वापसी पर जोर डालेगा।

कई दौर की सैन्य एवं राजनयिक वार्ता के फलस्वरूप दोनों पक्षों ने पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी तटों तथा गोगरा इलाके से अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाया था।

दोनों पक्षों ने इस संवेदनशील पर्वतीय सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास 50-60 हजार सैनिकों को तैनात कर रखा है।

भाषा

राजकुमार सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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