न्यूयॉर्क: अमरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के सरगना मसूद अज़हर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने पर चीन का विरोध क्षेत्रीय स्थिरता पर अमरीका के साथ इसके पारस्परिक लक्ष्य के विपरीत है.
विदेश विभाग के उप प्रवक्ता रॉबर्ट पैलाडिनो ने कहा कि पाकिस्तान स्थित जेईएम के संस्थापक और सरगना के रूप में अज़हर संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने व प्रतिबंधित होने के मानदंड को पूरा करता है.
पैलाडिनो ने वॉशिंगटन में प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि वह (मसूद अज़हर) जेईएम का नेतृत्व करता है, जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया है और ‘कई आतंकवादी हमलों के लिए ज़िम्मेदार है और क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के लिए खतरा है.’
चीन ने अज़हर को अपने संरक्षण में रखा है और उसे एक वैश्विक आतंकवादी घोषित के प्रयास के विरोध में वीटो करता रहा है.
पचास साल के अज़हर पर भारत में कई आतंकी हमले करने का इल्ज़ाम है. वे भारत की संसद पर, पठानकोट एयरफोर्स बेस पर हमले, जम्मू और उरी के सेना बेस पर हमले के साथ साथ 14 फरवरी को पुलवामा के सीआरपीएफ की टुकड़ी पर हमले के लिए ज़िम्मेदार रहा है.
पैलाडिनो ने कहा, ‘अमरीका और चीन क्षेत्रीय स्थिरता और शांति कायम करने को लेकर एक आपसी हित साझा करते हैं और अजहर को नामित करने में विफलता इस लक्ष्य के विपरीत है.’
जेईएम द्वारा 14 फरवरी को सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर आत्मघाती हमला करने के बाद फ्रांस अज़हर पर प्रतिबंध लगाने के लिए ब्रिटिश और अमरीका के साथ मिलकर नए सिरे से प्रयास कर रहा है.
इन प्रयासों के बारे में पैलाडिनो ने कहा कि आतंकवाद से निपटने के प्रयासों पर अमरीका और भारत एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं.
चीन पांच सदस्यीय सुरक्षा परिषद में वीटो करने वाले देशों में एक चीन है जो अभी तक मसूद अज़हर के वैश्विक आतंकवादी करार करने को वीटो करता रहा है.
भारत के विदेश सचिव अमेरिका में अपना पक्ष रखने के लिए और अमरीका का रुख अपनी ओर करने के लिए वहां गए हुए है. साथ ही भारत ने सऊदी अरब समेत मध्य पूर्व के कई देशों और यूरोपीय देशों को इस बारे में समर्थन हासिल करने की मुहिम तेज़ की है. फ्रांस और ब्रिटेन इस मुहिम में भारत के साथ खड़े दिखे है.
(आईएएनएस इनपुट्स के साथ)