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Tuesday, 5 November, 2024
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‘चीन के पास 2035 तक 1,500 परमाणु हथियार होंगे’ – पेंटागन का दावा

अधिकारी ने कहा कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में अधिक कठोर और आक्रामक कार्रवाइयां हुई हैं, जिनमें से कुछ को अमेरिका ‘खतरनाक’ के रूप में रेखांकित करेगा.

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नई दिल्ली: अमेरिकी रक्षा विभाग ने यह जानकारी दी है कि चीन के पास 2035 तक करीब 1,500 आयुध का भंडार होने की संभावना है. चीन के पास अभी अनुमानित रूप से 400 आयुध हैं.

पेंटागन ने चीन के महत्वाकांक्षी सैन्य कार्यक्रम पर अमेरिकी संसद को सौंपी गई अपनी वार्षिक रिपोर्ट में मंगलवार को कहा कि अगले दशक तक बीजिंग का उद्देश्य अपनी परमाणु ताकतों का आधुनिकीकरण करना, उसमें विविधता लाना और उसका विस्तार करना है.

उसने कहा कि चीन की मौजूदा परमाणु आधुनिकीकरण की कवायद पहले की आधुनिकीकरण की कोशिशों के मुकाबले कहीं ज्यादा बड़े पैमाने पर हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन जमीन, समुद्र और वायु आधारित परमाणु मंचों की संख्या बढ़ा रहा है और अपने परमाणु बलों का विस्तार करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है.

इमसें कहा गया है कि चीन ने 2021 में अपने परमाणु विस्तार को संभवतः तेज कर दिया.

पेंटागन ने अनुमान जताया कि चीन में संचालनात्मक परमाणु आयुध का भंडार 400 के पार चला गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की 2035 तक अपने राष्ट्रीय रक्षा एवं सशस्त्र बलों का ‘आधुनिकीकरण पूरा करने’ की योजना है. इसमें कहा गया है, ‘अगर चीन इसी गति से परमाणु विस्तार करता है तो 2035 तक करीब 1,500 आयुध का भंडारण कर सकता है.’

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘उनका (चीन का) लक्ष्य अपनी राष्ट्रीय ताकत को घरेलू और विदेश नीति संबंधी पहलों के जरिए विस्तार देना है, इसलिए चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग ने जिन वैश्विक सुरक्षा पहल की शुरुआत की… उनमें से एक यह है कि चीन खुद को वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं के प्रदाता के रूप में चित्रित करना चाहता है.’

अधिकारी ने कहा कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में अधिक कठोर और आक्रामक कार्रवाइयां हुई हैं, जिनमें से कुछ को अमेरिका ‘खतरनाक’ के रूप में रेखांकित करेगा.

उन्होंने कहा कि चीन के पोतों ने हिंद प्रशांत क्षेत्र में असुरक्षित एवं गैर पेशेवर तरीके से व्यवहार किया है.

पेंटागन की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि हालिया वर्षों में अमेरिका ‘चीन से खतरे’ को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा है, ताकि वह अपने परमाणु हथियारों को विस्तार देने का बहाना खोज सके और अपने सैन्य प्रभुत्व को बनाए रख सके.

पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार, ताइवान के खिलाफ चीनी राजनयिक, आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य दबाव को तेज किया गया है. रिपोर्ट में 2021 में बढ़े सैन्य दबाव और 2022 में विशेष रूप से,अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के कारण इसके और बढ़ने पर प्रकाश डाला गया है.

पेंटागन ने पिछले साल कहा था कि चीनी परमाणु हथियारों की संख्या छह साल के भीतर बढ़कर 700 हो सकती है और यह 2030 तक 1,000 हो सकती है. नई रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के पास वर्तमान में लगभग 400 परमाणु हथियार हैं और यह संख्या 2035 तक बढ़कर 1,500 हो सकती है.

अमेरिका के पास 3,750 सक्रिय परमाणु हथियार हैं.

इस बीच चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ ने बीजिंग में रेखांकित किया कि चीन की परमाणु नीति सुसंगत और स्पष्ट है.

उन्होंने कहा, ‘हम अपनी रक्षा के लिए परमाणु विकसित करने की रणनीति का पालन करते हैं. हम परमाणु हथियारों का पहले उपयोग नहीं करने की नीति पर कायम हैं. हमने परमाणु क्षमताओं को विकसित करने में अत्यधिक संयम बरता है. हमने उतनी ही न्यूनतम क्षमता बरकरार रखी है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है. हम हथियारों की किसी भी दौड़ में शामिल नहीं हैं.’

झाओ ने यह भी कहा कि अमेरिका के पास दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु जखीरा है.

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.


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