बीजिंग: चीन ने कोरोनावायरस को लेकर जानकारी छिपाने के आरोपों के बीच इसके प्रसार से लेकर रोकथाम तक के घटनाक्रम के बारे में दस्तावेज जारी किया है.
चीन ने बताया कि वायरस से संक्रमण का पहला मामला पिछले साल दिसंबर के आखिर में वुहान शहर में सामने आया था.
राष्ट्रीय स्वास्थ आयोग ने मंगलवार को कहा कि कोरोनावायरस से संक्रमण के चलते अब तक 3,331 लोगों की जान जा चुकी है और 81, 740 लोग इससे संक्रमित हुए हैं. इसके अलावा 1,299 रोगियों का इलाज चल रहा है जबकि 77,078 लोगों को ठीक होने के बाद अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है.
जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के अनुसार दुनिया भर में फैला कोविड-19 अबतक 180 देशों में 75,945 लोगों की जान ले चुका है और 13 लाख से अधिक लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं.
भारत में कोरोनावायरस के संक्रमण से मरने वालों की संख्या 114 हो गई है जबकि 4,421 लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं.
सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ ने कोरोनावायरस के घटनाक्रम से जुड़े 38 पन्नों के दस्तावेज के हवाले से कहा कि पिछले साल दिसंबर में मध्य चीन के हुबेई प्रांत में वुहान रोग रोकथाम एवं बचाव केन्द्र को ‘अज्ञात कारणों से निमोमिया’ होने के मामलों का पता चला था.
एजेंसी के अनुसार 30 दिसंबर को वुहान नगर स्वास्थ्य आयोग ने अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले स्वास्थ्य संस्थानों को आपात अधिसूचना जारी करते हुए अज्ञात कारणों से निमोनिया के शिकार हुए लोगों के उचित इलाज का आदेश दिया था.
इसके अगले दिन यानी 31 दिसंबर को नगर आयोग ने अपनी वेबसाइट पर शहर में निमोनिया के प्रकोप के बारे में जानकारी साझा करते हुए इसके 27 मामले सामने आने की पुष्टि की थी. साथ ही लोगों को सार्वजनिक जगहों और सभाओं में जाने से परहेज करने के लिये कहा था.
दस्तावेज में कहा गया है कि आयोग ने बाहर जाने पर मास्क लगाने की भी सलाह दी थी. इसके अलावा अगले दिन से ही आयोग ने निमोनिया को लेकर जानकारी देना शुरू कर दिया था.
एक ओर जहां सोमवार को जारी दस्तावेज में तेजी से फैलते कोरोनावायरस को रोकने के लिये चीन के रोजमर्रा के कदमों की जानकारी दी गई है, वहीं दूसरी ओर चीन ने वुहान के हुआनन में ‘सीफूड थोक बाजार’ से घातक वायरस के पनपने के बारे में चुप्पी साध रखी है, जिसे बाद में बंद कर दिया गया था.
कोविड-19 संकट को लेकर चीन की आलोचना हो रही है और उस पर कोरोनावायरस के मामले छिपाने के आरोप लग रहे हैं.
कोरोनावायरस के पनपने को लेकर चीन और अमेरिका के बीच वाकयुद्ध चल रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जहां कोविड-19 को ‘चीनी वायरस’ या ‘वुहान वायरस’ कह चुके हैं वहीं चीन का कहना है कि ऐसे आरोपों से उसकी छवि धूमिल हुई है.
बीजिंग का कहना है कि कोविड-19 कैसे पनपा इसका पता लगाने के लिये वैज्ञानिक और पेशेवर सोच अपनाने की जरूरत है.
वायरस के घटनाक्रम से जुड़े दस्तावेज में वुहान के भंडाफोड़ करने वाले डॉक्टर ली वेनलियांग का जिक्र भी नहीं है, जिसे 30 दिसंबर को सोशल मीडिया पर वायरस के बारे में बताने के बाद पुलिस ने फटकार लगाई थी. बाद में संक्रमण के चलते उसकी मौत हो गई थी.
दस्तावेज में कहा गया है, ‘कोरोनावायरस महामारी सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल है जो सबसे तेजी से फैली और जिसने बड़े पैमाने पर लोगों को अपनी चपेट में ले लिया. 1949 में चीन गणतंत्र की स्थापना के बाद से यह सबसे कठिन समय है.’
इस दस्तावेज में 31 मार्च तक के घटनाक्रमों का जिक्र है.
अमेरिका का आरोप है कि चीन ने देर से कदम उठाए, तब तक महामारी अन्य देशों में फैल चुकी थी. हालांकि चीन ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा है कि वह इस वैश्विक संकट से निपटने के लिये अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ ‘खुले और बेहद जिम्मेदार ढंग’ से काम कर रहा था.
अधिकारियों ने कहा कि चीन ने वुहान शहर में 23 जनवरी को लॉकडाउन लागू कर दिया था. एक करोड़ दस लाख की आबादी वाले वुहान शहर में 50 लाख से अधिक लोग पहले ही चीनी नववर्ष के लिये शहर छोड़ चुके थे.
दस्तावेज में कहा गया है कि चीन ने तीन जनवरी से ही निमोनिया के प्रकोप की जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन, संबंधित देशों और क्षेत्रों तथा हांगकांग, मकाउ, ताइवान के देनी शुरू कर दी थी.