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Thursday, 25 April, 2024
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ऑस्ट्रेलिया के डिप्टी PM ने भारत से कहा- दोनों देशों के लिए चीन ‘साझेदार और सुरक्षा के लिए चिंता’ है

मार्लेस ने इस बात पर जोर दिया कि ऑस्ट्रेलिया के वैश्विक दृष्टिकोण के तहत भारत हमेशा उसके केंद्र में रहता है और साथ ही दोनों देशों के बीच रणनीतिक और सुरक्षा सहयोग को लेकर उम्मीद जताई.

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नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया के उप-प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस ने गुरुवार को कहा कि कैनबरा और नई दिल्ली दोनों ही चीन के साथ एक ही तरह के रिश्ते साझा करते हैं. दोनों ही मुल्कों के लिए वो ‘सबसे बड़ा व्यापार साझेदार और सुरक्षा के लिए चिंता है.’ इसलिए दोनों देशों ने आपसी रिश्तों को बेहतर करने के लिए ज्यादा जोर दिया.

भारत से वापस अपने देश लौटने से पहले कुछ पत्रकारों से बातचीत के दौरान मार्लेस ने इस बात पर जोर दिया कि ऑस्ट्रेलिया के वैश्विक दृष्टिकोण के तहत भारत हमेशा उसके केंद्र में रहता है और साथ ही दोनों देशों के बीच रणनीतिक और सुरक्षा सहयोग को लेकर उम्मीद जताई.

मार्लेस भारत के तीन दिवसीय यात्रा पर भारत आए थे.

ऑस्ट्रेलिया के उप-प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ऑस्ट्रेलिया के वैश्विक दृष्टिकोण के मद्देनजर भारत काफी अहम है. दोनों देशों के हाल के इतिहास में कभी भी शायद ऐसा मौका नहीं आया है जब हम रणनीतिक तौर पर ज्यादा एक हैं.’

उन्होंने कहा, ‘ऑस्ट्रेलिया के लिए चीन सबसे बड़ा व्यापार साझेदार और सुरक्षा के लिए चिंता है. साथ ही कहा कि भारत के लिए भी यही स्थिति है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के लिए जरूरी है कि दोस्त बना रहे और इन दोनों पहलुओं पर साथ काम करें.’

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मार्लेस ने कहा, ‘चीन पूरी दुनिया को उस तरह बदलना चाहता है जिस तरह हमने कभी नहीं देखा. बीते दशक में ये चीज उभरी भी है…और बीते कुछ सालों में हमने चीन के आक्रामक व्यवहार को महसूस भी किया है. दक्षिण चीन सागर और लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर हमने ये साफ तौर पर देखा भी है.’

भारत-चीन सैन्य विवाद जो कि मुख्य तौर पर जून 2020 में गलवान मामले से उभरा था, जब चीन के साथ संघर्ष में भारत के 20 जवानों की जान गई थीं. ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री ने कहा, ‘भारतीय सैनिकों के प्रति ये काफी भयानक रवैया था और हम इस घटना के संदर्भ में भारत के साथ हैं.’

मार्लेस ने कहा, ‘ये बेहद जरूरी है कि जिस दुनिया में हम हैं वहां नियम आधारित व्यवस्था चले जहां देशों के बीच के विवाद शांतिपूर्ण और नियमों के तहत सुलझाए जाए. हम ऐसी दुनिया में नहीं रहते जहां विवादों को सेना के द्वारा सुलझाया जाए.’

भारत के अपने दौरे पर ऑस्ट्रेलिया के उप-प्रधानमंत्री ने विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और दोनों देशों के बीच कांप्रिहेंसिव स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप पर चर्चा की जिसकी जून 2020 में स्कॉट मॉरिसन सरकार के दौरान घोषणा की गई थी.

मार्लेस ने इस बात पर जोर दिया कि, ‘ऑस्ट्रेलिया और भारत एक जैसे उद्देश्य साझा करते हैं…दक्षिण चीन सागर हमारे लिए कोई अमूर्त विचार नहीं है, ये वो जगह है जहां से हमारा ज्यादातर व्यापार होता है….नेविगेशन की आजादी और पानी पर ओवरफ्लाइट की स्वतंत्रता ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रहित के लिए काफी अहम है.’

बुधवार को नेशनल डिफेंस कॉलेज (एनडीसी) में मार्लेस ने कहा कि चीन का सैन्य विस्तार आज ‘सबसे बड़ा और महत्वाकांक्षी’ है जो कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद किसी भी मुल्क की तुलना में सबसे ज्यादा है.

एनडीसी में उन्होंने कहा, ‘इस तरह के विस्तार को चीन के पड़ोसी मुल्क जोखिम की तरह न देखें, ये काफी जरूरी है. बल्कि ये बेहद महत्वपूर्ण है कि इसके जवाब में देश अपनी सैन्य क्षमताओं को विकसित करे. असुरक्षा की भावना से ही सैन्य क्षमताएं बढ़ती हैं.’


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‘सुरक्षा गठबंधन’ नहीं है क्वाड और ऑकस

अमेरिका और जापान के साथ भारत और ऑस्ट्रेलिया क्वाड ग्रुप के सदस्य भी हैं.

ऑस्ट्रेलिया के नए प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस पिछले महीने टोक्यो में क्वाड समिट के दौरान बैठक में मौजूद थे. बैठक के कुछ ही दिन पहले 23 मई को उन्होंने पदभार संभाला था.

मार्लेस ने कहा, ‘भारत, अमेरिका और जापान के साथ हमारे रिश्ते, क्वाड की संरचना और आसियान मुल्कों के साथ रिश्ते- ये सभी चीजें इस क्षेत्र के देशों के साथ काम करने और वैश्विक नियम के तहत बनाई व्यवस्था को बचाए रखने की कोशिश करने के लिए है.’

दिप्रिंट द्वारा पूछे सवाल पर मार्लेस ने कहा, ‘क्वाड और ऑकस दोनों ही सुरक्षा गठबंधन नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘ऑकस ऑस्ट्रेलिया, यूके और अमेरिका के बीच तकनीक आदान-प्रदान का मंच है…न्यूक्लियर आधारित पनडुब्बी की डिलीवरी और लांग-रेंज पनडुब्बी के लिए ये हमारे लिए सबसा बड़ा प्लेटफॉर्म है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘ऑस्ट्रेलिया के लिए क्वाड काफी जरूरी है लेकिन रक्षा और सुरक्षा इसका ‘हिस्सा नहीं’ है. सुरक्षा गठबंधन को लेकर अन्य क्षेत्रों और दूसरे तरीकों से हम काफी सहज हैं.’

पिछले क्वाड समिट में मैरिटाइम डोमेन जागरूकता को मजबूत करने पर जोर दिया गया जिसपर मार्लेस का मानना है कि इससे सदस्य देशों के आर्थिक एसेट्स की रक्षा होगी.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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