बीजिंग : चीन ने मंगल ग्रह के बारे में जानकारी जुटाने के उद्देश्य से हैनान द्वीप के वेनचांग अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण केंद्र से बृहस्पतिवार को अपना पहला यान प्रक्षेपित किया. चीन के सरकारी मीडिया ने यह जानकारी दी.
चीन की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी (सीएनएसए) के अनुसार ऑर्बिटर और रोवर के साथ गए अंतरिक्ष यान को प्रक्षेपण के 36 मिनट बाद पृथ्वी-मंगल स्थानांतरण कक्षा में भेज दिया गया.
‘तियानवेन-1’ नामक यान मंगल ग्रह का चक्कर लगाने, मंगल पर उतरने और वहां रोवर की चहलकदमी के उद्देश्य से प्रक्षेपित किया गया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यान मंगल ग्रह की मिट्टी, चट्टानों की संरचना, पर्यावरण, वातावरण और जल के बारे में जानकारी एकत्रित करेगा.
देश के सबसे बड़े और सर्वाधिक शक्तिशाली रॉकेट लांग मार्च-5 की सहायता से रोबोटिक प्रोब को पृथ्वी-मंगल स्थानांतरण पथ पर भेजा जाएगा, जिसके बाद यान मंगल के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के प्रभाव में स्वतः अपनी यात्रा शुरू करेगा.
चीन की सरकारी अंतरिक्ष कंपनी ‘चाइना एरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉर्प’ के अनुसार यान सात महीने तक यात्रा करने के बाद मंगल पर पहुंचेगा. कंपनी ने कहा कि यान के तीन भाग- ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर मंगल की कक्षा में पहुंचने के बाद अलग हो जाएंगे.
ऑर्बिटर लाल ग्रह की कक्षा में चक्कर लगाकर जानकारी जुटाएगा जबकि लैंडर और रोवर मंगल की सतह पर उतरकर वैज्ञानिक अनुसंधान करेंगे.
भारत, अमेरिका, रूस और यूरोपीय संघ के बाद चीन भी मंगल पर यान भेजने वाला अगला देश बनना चाहता है. पिछली बार चीन ने 2011 में रूस के साथ मिलकर मंगल ग्रह पर यान भेजने की असफल कोशिश की थी. यह मिशन प्रक्षेपण के कुछ देर बाद ही विफल हो गया था.
भारत ने 2014 में अपने पहले ही प्रयास में मंगल पर पहुंचकर इतिहास रच दिया था. भारत को छोड़कर कोई अन्य देश अपने पहले ही प्रयास में लाल ग्रह पर पहुंचने में सफल नहीं हो पाया.