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Monday, 23 December, 2024
होमविदेशकरिअर पुलिसकर्मी, विवादित पूर्व सुरक्षा प्रमुख : मिलिए हांग-कांग के नए लीडर जॉन ली से

करिअर पुलिसकर्मी, विवादित पूर्व सुरक्षा प्रमुख : मिलिए हांग-कांग के नए लीडर जॉन ली से

ली 2019 में सुरक्षा सचिव थे जब लोकतंत्र-समर्थक प्रदर्शनों पर हिंसक कार्रवाइयां हो रहीं थीं. राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून को लागू कराने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी, जिसमें अधिकतर प्रदर्शनों को अपराध क़रार दे दिया गया है.

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नई दिल्ली: हांग-कांग के विवादित पूर्व सुरक्षा प्रमुख जॉन ली का-चिउ को रविवार को एक बंद मतदान प्रक्रिया के बाद, द्वीप शहर का नया लीडर घोषित कर दिया गया.

मुख्य कार्यकारी के तौर पर वो अपना पांच साल का कार्यकाल 1 जुलाई से शुरू करेंगे.

64 वर्षीय ली ने, जो निवर्तमान नेता कैरी लैम की जगह ले रहे हैं, 2019 में सुरक्षा सचिव के तौर पर काम किया था जब लोकतंत्र-समर्थक प्रदर्शनों पर हिंसक कार्रवाइयां हो रही थीं, जो मुख्य भूमि चीन को प्रत्यर्पण किए जाने वाले विवादास्पद बिल से भड़के थे. उन्होंने कथित तौर पर पुलिस को प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस, रबर बुलेट्स, पानी की बौछारें, और कभी कभी ज़िंदा गोला-बारूद इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी.

अगस्त 2020 में ली कैरी लैम समेत उन 11 लोगों में से थे, जिन पर अमेरिका ने ‘हांग-कांग की स्वायत्तता को कमज़ोर करने’ और ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी या हांग-कांग के नागरिकों के एक जगह जमा होने पर प्रतिबंध लगाने के लिए’ आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे. उससे दो महीना पहले ही हांग-कांग ने एक सुरक्षा क़ानून पारित किया, जिसने शहर की न्यायिक स्वायत्तता को कम कर दिया, और अधिकतर किस्म के प्रदर्शन और सक्रियता को अपराध घोषित कर दिया.

वॉशिंगटन ने ली पर आरोप लगाया था कि लोगों के साथ ‘ज़बर्दस्ती करने, उन्हें गिरफ्तार करने, हिरासत में लेने और कैद करने के लिए’, और सुरक्षा क़ानून को लागू करने के लिए एक विशेष पुलिस इकाई बनाने के लिए उन्होंने सुरक्षा कानून का सहारा लिया.

ली को, हांग-कांग के अगले चीफ एग्ज़िक्यूटिव की दौड़ में अकेले उम्मीदवार थे, बीजिंग वफादारों की एक छोटी सी कमेटी ने गुप्त मतदान के ज़रिए चुन लिया. उन्हें कुल 1,416 या लगभग 99 प्रतिशत वोट मिले.

ली ऐसे समय चीफ एग्ज़िक्यूटिव की कुर्सी संभालेंगे, जब हांग-कांग इसी साल के शुरू में ओमीक्रॉन संक्रमण के मामलों में आई एक बड़ी उछाल, और प्रत्यर्पण बिल तथा राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के खिलाफ बढ़ती सामाजिक अशांति से उबर रहा है. ली उस बिल को आगे बढ़ाने में बहुत सहायक रहे थे. उन पर प्रदर्शनों को ‘आतंकवाद’ और ‘हिंसा’ की हरकत बताने का भी आरोप लगा था.


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कौन हैं जॉन ली?

ली का जन्म दिसंबर 1957 में हांग-कांग के गुआंग्ज़ू में एक मज़दूर परिवार में हुआ था. उनके माता-पिता या परिवार के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है, जहां तक कि उनके कुछ सबसे क़रीबी दोस्तों को भी उनका पता नहीं है.

उन्होंने कोलून के वाह यान कॉलेज में पढ़ाई की. एक पूर्व गणित अध्यापक नॉर्मन सो चुंग-पिंग ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को बताया, कि ली ‘बहुत आज्ञाकारी’ छात्र थे, और उन गिने-चुने छात्रों में से थे जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर की एक परीक्षा में अप्लाइड मैथिमेटिक्स में ए स्कोर प्राप्त किया था.

1977 में वो हांग-कांग पुलिस बल में एक प्रोबेशनरी इंस्पेक्टर के तौर पर शामिल हो गए, और तीन दशकों के अपने करिअर में बहुत से पदों पर रहे.

हांग-कांग मीडिया आउटलेट दि स्टैण्डर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक समय पर वो क्रिमिनल इंटेलिजेंस ब्यूरो, वेस्ट कोलून रीजनल क्राइम यूनिट, नार्कोटिक्स ब्यूरो, और ऑर्गनाइज़्ड क्राइम एंड ट्रायड ब्यूरो के इंचार्ज थे.

तरक्की की सीढ़ियां चड़ते हुए अंत में वो एक डिप्टी कमिश्नर पुलिस बन गए.

2012 में ली ने पुलिस बल छोड़ दिया और बतौर अंडर सेक्रेटरी सुरक्षा, हॉन्ग कॉन्ग सरकार में शामिल हो गए. पांच साल बाद उन्हें सुरक्षा प्रमुख नियुक्त कर दिया गया, और वो हांग-कांग में दूसरे सर्वोच्च पद के अधिकारी बन गए.

इस साल 6 अप्रैल को ली ने सुरक्षा प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया, और शहर का नया चीफ एग्ज़िक्यूटिव बनने की दौड़ में शामिल होने की अपनी योजना का ऐलान कर दिया. उससे दो दिन पहले ही तत्कालीन चीफ एग्ज़िक्यूटिव कैरी लैम ने घोषणा की थी कि वो दूसरे कार्यकाल के लिए खड़ी नहीं होंगी.

प्रत्यर्पण बिल, सुरक्षा क़ानून पर रुख़

सुरक्षा प्रमुख के अपने कार्यकाल के दौरान ली को बहुत सारे मुद्दों से निपटना पड़ा, जिनमें प्रत्यर्पण बिल और सुरक्षा क़ानून के खिलाफ प्रदर्शन, तथा इसी साल कोविड-19 संक्रमण में आई अभूतपूर्व उछाल शामिल हैं. ज़्यादातर मुद्दों पर उनका रुख़ बीजिंग-समर्थक रहा है.

तीखे विरोध के बावजूद वो विवादित प्रत्यर्पण बिल पास कराने में सहायक रहे. अप्रैल 2019 में उन्होंने कहा था, ‘मैं हर किसी की राय का स्वागत करता हूं, लेकिन सच्चाई ये है कि मैं ताइवान हत्या मामले को नहीं देख सकता क्योंकि ऐसा कोई क़ानून ही नहीं है’. वो 2018 के उस हत्या मामले का ज़िक्र कर रहे थे, जिसमें हांग-कांग की एक गर्भवती महिला पून हियु-विंग की ताइपे में हत्या कर दी गई थी.

उन्होंने आगे कहा, ‘दूसरी सच्चाई ये है कि (मौजूदा प्रणाली) ऐसे मामलों से भरी है, जिससे वो व्यावहारिक नहीं रह जाती, इसलिए मुझे लगता है कि ये एक ख़ामी है जिसे हमें दूर करना होगा’.

लेकिन इस साल अपने चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने अपने सुर बदल लिए. उन्होंने कहा कि प्रत्यर्पण बिल पर फिर से विचार करने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि उसे हांग-कांग में पूरी तरह शुरू ही नहीं किया गया था.

ली की 2020 में सुरक्षा क़ानून को लागू कराने में भी अहम भूमिका रही. अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के कुछ महीने बाद भी क़ानून को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध रहे. जनवरी 2021 में उन्होंने कहा: ‘मैं राष्ट्रपति शी के प्रति अपना आभार प्रकट करना चाहता हूं. हम राष्ट्रीय सुरक्षा के संरक्षण के अपने काम में ज़्यादा दृढ़ रहेंगे’.

हांग-कांग नेशनल पार्टी पर प्रतिबंध

ये भी ली की निगरानी में ही था कि 2018 में हांग-कांग नेशनल पार्टी पर प्रतिबंध लगाया गया था, जो 1997 में ब्रिटेन द्वारा हांग-कांग को चीन को सौंपने के बाद, पहली पार्टी थी जिसने उसकी आज़ादी का समर्थन किया था. उन्होंने पार्टी पर उस समय ‘मुख्य भूमि चीन के खिलाफ नफरत और भेदभाव’ फैलाने का आरोप लगाया था.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक पूर्व पुलिस कमिश्नर की चीफ एग्ज़िक्यूटिव के पद पर तरक्की, हांग-कांग पर चीन की कसती पकड़ के अनुरूप है.

हांग-कांग स्थित एक राजनीतिक विश्लेषक सोनी लो ने शुक्रवार को दि न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा, ‘ये पिछले 10 सालों में, ख़ासकर शी जिनपिंग के सत्ता में आने के बाद, मुख्य भूमि चीन में सुरक्षाकरण के रुझान के अनुरूप है’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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