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शुक्रवार, 25 अप्रैल, 2025
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बौद्ध धर्म में ‘बोधिसत्व’ एक महत्वपूर्ण विचार है

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पियर्स सालगुएरो, एशियाई इतिहास और धार्मिक अध्ययन के एसोसिएट प्रोफेसर, पेन स्टेट

फिलाडेल्फिया, आठ अक्टूबर (द कन्वरसेशन) बौद्ध धर्म में ‘बोधिसत्व’ एक महत्वपूर्ण विचार है। यह शब्द संस्कृत भाषा के मूल शब्द बोधि से बना है, जिसका अर्थ है ‘जागृति’ या ‘ज्ञानोदय’ और सत्व का अर्थ है ‘होना’।

बोधिसत्व शब्द का मूल अर्थ है ‘एक व्यक्ति जो प्रबुद्ध होने की राह पर है’

जैसा कि मैंने अपनी पुस्तक ”बौद्ध धर्म : जिज्ञासु और संशयवादी के लिए 20 सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध विचारों की मार्गदर्शिका” में समझाया है, बौद्ध धर्म का पालन करने वाले विभिन्न समूहों द्वारा बोधिसत्व शब्द को अलग-अलग तरीकों से समझा गया है।

बोधिसत्व कौन है?

बौद्ध धर्म की थेरवाद शाखा में, जो दक्षिण-पूर्वी एशिया में सबसे अधिक प्रचलित है, बोधिसत्व शब्द का प्रयोग विशेष रूप से सिद्धार्थ गौतम को संदर्भित करने के लिए किया जाता है, जोकि उनके बुद्ध बनने से पहले का नाम है।

इस विचारधारा में, बोधिसत्व शब्द गौतम को उनके पिछले पुनर्जन्मों में से एक में भी संदर्भित करता है, क्योंकि उन्होंने जानवरों, लोगों या अन्य प्रकार के प्राणियों के रूप में कई जन्मों के माध्यम से ज्ञान प्राप्ति की दिशा में काम किया था।

किंवदंती के अनुसार, गौतम का जन्म सुदूर उत्तर-पूर्वी भारत में एक राज्य के राजकुमार के रूप में हुआ था, लेकिन उन्होंने ज्ञानोदय के लिए अपना सिंहासन और अपनी सारी संपत्ति छोड़ दी थी।

आखिरकार, उन्होंने अपनी नियति का रास्ता तय किया और एक ऐसे व्यक्ति बने जो पूरी तरह से प्रबुद्ध बनने की राह पर है- दूसरे शब्दों में, एक बुद्ध।

दुष्प्रचार के खिलाफ वापस लड़ो। अपने समाचार यहां प्राप्त करें, सीधे महायान बौद्ध धर्म के विशेषज्ञों से, जोकि (महायान बौद्ध धर्म) पूर्व और मध्य एशिया में व्यापक रूप से प्रचलित है, में बोधिसत्व शब्द का उपयोग इसी तरह किया जा सकता है।

हालांकि, बौद्ध धर्म की यह शाखा कहती है कि सिर्फ एक बुद्ध के अलावा भी कई हैं; वास्तव में, महायान के सभी सच्चे अनुयायियों का अंतिम लक्ष्य स्वयं बुद्ध बनना है। इस मार्ग के अधिकांश गंभीर अनुयायी बोधिसत्व के रूप में पहचाने जाने के लिए बोधिसत्व व्रत धारण करते हैं।

इसके अतिरिक्त, बौद्ध धर्म की महायान शाखा में, कुछ उच्च बोधिसत्व भी हैं जो कई जन्मों के लिए बौद्ध धर्म का अभ्यास कर रहे हैं और वे अलौकिक दिव्य प्राणी बन गए हैं।

कहा जाता है कि इन तथाकथित ”आकाशीय बोधिसत्वों” ने अपार गुण और शक्तियां अर्जित कर ली हैं। हालांकि, उन्होंने दूसरों की मदद करने के लिए खुद को समर्पित करने के लिए बुद्ध बनने में जानबूझकर देरी का मार्ग चुना है

बोधिसत्व क्यों मायने रखते हैं?

अवलोकितेश्वर, क्षितिगर्भ, मंजुश्री, सामंतभद्र और वज्रपासी जैसे कुछ सबसे प्रसिद्ध उन्नत बोधिसत्वों की नियमित रूप से प्रार्थना की जाती है और उन्हें सामग्री अर्पित की जाती है।

उनमें से अधिकांश बोधिसत्वों से जुड़े ग्रंथों और मंत्रों का दुनिया भर के मंदिरों में नियमित रूप से जाप किया जाता है। भक्तों को उम्मीद है कि बोधिसत्व, उनकी असीम करुणा में, उनके अनुरोध को सुनेंगे और स्वास्थ्य, सौभाग्य तथा खुशी का आशीर्वाद प्रदान करेंगे।

बौद्ध धर्म अनुयाइयों का मानना ​​है कि आकाशीय बोधिसत्व ब्रह्मांड के सुदूर में स्थित स्वर्ग में निवास करते हैं।

उदाहरण के लिए, ऐसा माना जाता है कि बोधिसत्व मैत्रेय वर्तमान में तुसीता स्वर्ग में रहते हैं, जहां वह हमारी दुनिया के अगले बुद्ध के रूप में पुनर्जन्म की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

क्योंकि वे एक साथ विभिन्न शरीरों में प्रकट हो सकते हैं, बोधिसत्व पृथ्वी पर मनुष्यों, जानवरों या अन्य प्रकार के प्राणियों के रूप में भी प्रकट हो सकते हैं।

उदाहरण के लिए, तिब्बती बौद्ध मानते हैं कि दलाई लामा बोधिसत्व अवलोकितेश्वर की अभिव्यक्ति हैं, जिसे तिब्बती में चेनरेज़िग कहा जाता है, जो मानवता के बीच करुणा का संदेश फैलाने के लिए नियमित रूप से पृथ्वी पर आते हैं।

(द कन्वरसेशन) रवि कांत पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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