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Tuesday, 5 November, 2024
होमविदेश'यूक्रेन में स्थायी शांति का आधार' प्रस्ताव पर UNGA में भारत और चीन ने मतदान से बनाई दूरी

‘यूक्रेन में स्थायी शांति का आधार’ प्रस्ताव पर UNGA में भारत और चीन ने मतदान से बनाई दूरी

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की स्थिति को दोहराया और कहा कि बातचीत और कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है.

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नई दिल्ली: यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति तक पहुंचने की आवश्यकता पर भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में संकल्प पर मतदान से परहेज़ किया है.

गुरुवार को यूएनजीए में एक ‘ऐतिहासिक मतदान’ में, विश्व के कईं देशों ने यूक्रेन पर हमला करने के लिए रूस की निंदा की. असेंबली ने यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति तक पहुंचने की आवश्यकता के लिए एक अपील के साथ मॉस्को को कीव से “तुरंत” वापिस लौटने की मांग की.

असेंबली में, 141 ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया और सात ने इसके खिलाफ मतदान किया, तो वहीं भारत और चीन समेत 32 देशों ने मतदान से दूरी बनाए रखी.

193-सदस्यीय महासभा ने यूक्रेन और उसके समर्थकों द्वारा प्रस्तावित मसौदा प्रस्ताव को अपनाया, जिसका शीर्षक था ‘संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांत के अंतर्गत यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति का आधार’.

हालांकि, भारत यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों से दूर रहा है और लगातार संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता को रेखांकित करता रहा है.

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की स्थिति को दोहराया और कहा कि बातचीत और कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है.

उन्होंने कहा, “भारत बहुपक्षवाद के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का पालन करता है. हम हमेशा संवाद और कूटनीति को ही एकमात्र रास्ता मानते हैं. स्थायी शांति हासिल करने के अपने लक्ष्य तक पहुंचने में इसकी सीमाओं को देखते हुए हम आज के प्रस्ताव के घोषित उद्देश्यों पर ध्यान देते हैं, लेकिन हम इससे दूर रहने के लिए विवश हैं.”

भारतीय राजनयिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को भी उद्धृत किया, “हमने लगातार वकालत की है कि कोई भी समाधान कभी भी मानव जीवन की कीमत पर नहीं मिल सकता है. इस संदर्भ में, हमारे प्रधानमंत्री का बयान है कि यह युद्ध का युग नहीं हो सकता है. शत्रुता का बढ़ना और हिंसा किसी के हित में नहीं है, इसके बजाय, बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर चलना ही आगे का रास्ता है.”

कंबोज ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष के प्रति भारत का दृष्टिकोण जन-केंद्रित बना रहेगा. भारत यूक्रेन को मानवीय सहायता प्रदान कर रहा है और आर्थिक संकट के तहत वैश्विक दक्षिण में कुछ पड़ोसियों की भी आर्थिक रूप से मदद कर रहा है. यहां तक कि इस संघर्ष के बीच भारत भोजन, ईंधन और उर्वरकों की बढ़ती कीमतों पर भी ध्यान दे रहा है.

भारतीय राजनयिक ने कहा कि भारत यूक्रेन की स्थिति को लेकर चिंतित है. संघर्ष के कारण अनगिनत लोगों की जान चली गई और लाखों लोग बेघर हो गए हैं.

उन्होंने ये भी कहा, ”भारत यूक्रेन में स्थिति पर चिंतित बना रहा. संघर्ष के परिणामस्वरूप अनगिनत जानें गईं विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्ग समेत लाखों लोग बेघर हो गए हैं और पड़ोसी देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हैं. नागरिकों और बुनियादी ढांचे पर हमलों की खबरें भी बेहद चिंताजनक हैं.”

आज UNGA यूक्रेनी संघर्ष के एक वर्ष के रूप में चिह्नित है. ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि हम खुद से कुछ प्रासंगिक प्रश्न पूछें कि क्या हम दोनों पक्षों को स्वीकार्य संभावित समाधान के करीब हैं, क्या कोई भी प्रक्रिया जिसमें दोनों पक्षों में से कोई भी शामिल नहीं है, कभी भी एक विश्वसनीय समाधान की ओर ले जा सकती है?

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने बुधवार को फिर से शुरू हुए महासभा के आपातकालीन विशेष सत्र में कहा कि यूक्रेन पर रूस का आक्रमण हमारी सामूहिक अंतरात्मा का अपमान है. यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांत और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि इससे पीछे हटने का यह उचित समय है. एक कड़े संदेश में गुटेरेस ने कहा कि युद्ध क्षेत्रीय अस्थिरता को हवा दे रहा है और वैश्विक तनाव और विभाजन को बढ़ावा दे रहा है. युद्ध की वजह से अन्य संकटों की तरफ से ध्यान हट रहा है और संसाधनों की कमी हो रही है और वैश्विक मुद्दों को दबाया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि इस बीच हमने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की निहित धमकियों के बारे में भी सुना है. परमाणु हथियारों का तथाकथित रणनीतिक इस्तेमाल पूरी तरह से अस्वीकार्य है. यह युद्ध से पीछे हटने का सही समय है.


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