ढाका, 17 नवंबर (भाषा) बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके सहयोगी के खिलाफ एक विशेष न्यायाधिकरण के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि निर्णय ने एक बुनियादी सिद्धांत की पुष्टि करते हुए ‘ताकत की परवाह किए बिना यह स्पष्ट कर दिया कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।’
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-बांग्लादेश (आईसीटी-बीडी) ने 78 वर्षीय हसीना और उनके पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को पिछले वर्ष के छात्र विद्रोह के दौरान ‘मानवता के विरुद्ध अपराध’ के लिए उनकी अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनाई।
पिछले वर्ष पांच अगस्त को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के कारण बांग्लादेश से भागने के बाद से हसीना भारत में रह रही हैं। इससे पहले अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित किया था।
यूनुस ने एक बयान में कहा, ‘‘आज बांग्लादेश के न्यायाधिकरण ने जिस स्पष्टता के साथ अपनी बात कही है उसकी गूंज पूरे देश और उसके बाहर भी सुनाई देती है। दोषसिद्धि और सजा एक बुनियादी सिद्धांत की पुष्टि करती है: जबकि यह बताती है कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है, चाहे उसके पास कितनी भी शक्ति क्यों न हो।’’
पिछले साल बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बाद हसीना का 16 साल का शासन खत्म हो गया और वह भारत आ गई थी जिसके बाद पिछले साल अगस्त में यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्यभार संभाला था।
फैसले पर प्रतिक्रिया में हसीना ने आरोपों को ‘पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित’ बताते हुए इनकार किया और कहा कि यह फैसला एक ‘गैर अधिकृत न्यायाधिकरण’ द्वारा दिया गया है, जिसकी स्थापना और अध्यक्षता एक ‘अनिर्वाचित सरकार’ द्वारा की गई है, जिसके पास कोई लोकतांत्रिक जनादेश नहीं है।
अपने बयान में यूनुस ने कहा कि यह फैसला जुलाई और अगस्त 2024 के विद्रोह में प्रभावित हुए हजारों लोगों और उन परिवारों को न्याय प्रदान करता है जो अब भी अपने नुकसान को झेल रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि एक महीने तक चले आंदोलन के दौरान 1,400 लोग मारे गए थे।
भाषा यासिर माधव
माधव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
