संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभालने के एक हफ्ते के भीतर उनके देश ने अफगानिस्तान पर शक्तिशाली वैश्विक निकाय की महत्वपूर्ण बैठक की जिसमें सदस्य देशों से हिंसा और शत्रुता को खत्म करने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया गया और इससे दुनिया को युद्धग्रस्त देश की गंभीर स्थिति दिखाने में भी मदद मिली.
भारत ने एक अगस्त को इस महीने के लिए सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभाली. इस महीने के लिए परिषद के कार्यों की सूची के अनुसार अफगानिस्तान पर बैठक शामिल नहीं थी. लेकिन अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मोम्मद हनीफ अतमार ने अफगानिस्तान पर ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक पर चर्चा कराने के लिए’ विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात की थी.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और अगस्त माह के लिए सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष टी एस तिरुमूर्ति ने संवाददाता सम्मेलन में अफगानिस्तान को लेकर कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि इस पहलू पर सुरक्षा परिषद जल्द से जल्द गौर करेगी.
तिरुमूर्ति ने सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता का पहला हफ्ता खत्म होने पर कहा, ‘मुझे लगता है कि अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक महत्वपूर्ण थी. इसमें परिषद और उसके बाहर के सदस्यों को हिंसा तथा शत्रुता खत्म करने का आह्वान करने के लिए एकजुट किया गया और इससे अफगानिस्तान तथा उसके लोगों खासतौर से महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के समक्ष आ रही गंभीर स्थिति को बाहरी दुनिया को दिखाने में मदद मिली.’
उन्होंने कहा, ‘हम खुश हैं कि इस बैठक को प्राथमिकता दे सके और अध्यक्षता के पहले हफ्ते में ही इसे करा पाए.’
बैठक में परिषद के सदस्यों ने अफगानिस्तान में हिंसा बढ़ने की कड़ी निंदा की. अमेरिका ने कहा, ‘तालिबान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय की यह बात जरूर सुननी चाहिए कि हम अफगानिस्तान पर सैन्य कब्जा या तालिबान के इस्लामिक शासन की वापसी स्वीकार नहीं करेंगे.’
अफगानिस्तान पर यह बैठक तब हुई है जब अफगान सरकार और दोहा में तालिबान के बीच बातचीत ठप हो गई और जब कुछ दिनों बाद 11 अगस्त को कतर में ‘विस्तारित ट्रोइका’ बैठक होनी है.
परिषद की बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के दूत गुलाम इसाकजई ने कहा कि तालिबान को देश में पनाह मिल रही है और पाकिस्तान से युद्ध के लिए जरूरी साजो-सामान उपलब्ध कराए जा रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान में प्रवेश करने के लिए डूरंड रेखा के करीब तालिबान लड़ाकों के जुटने की खबरें और वीडियो, निधि जुटाने के कार्यक्रम, सामूहिक अंतिम संस्कार के लिए शवों को ले जाने और पाकिस्तानी अस्पतालों में तालिबान के घायल लड़ाकों के इलाज की खबरें आ रही हैं.’
उन्होंने कहा, ‘यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों का न केवल घोर उल्लंघन है बल्कि इससे अफगानिस्तान में युद्ध खत्म करने के लिए पाकिस्तान के साथ सहयोगात्मक संबंध और विश्वास में कमी भी दिखाती है.’
तिरुमूर्ति ने पाकिस्तान के संदर्भ में कहा कि क्षेत्र में आतंकवादियों की पनाहगाहों को फौरन नष्ट करना चाहिए और आतंकवादियों की आपूर्ति श्रृंखला तोड़नी चाहिए. उन्होंने कहा कि जो लोग आतंकवादियों को वित्तीय तथा साजो-सामान संबंधी सहयोग दे रहे हैं उन्हें जवाबदेह ठहराना चाहिए.
सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता के दूसरे सप्ताह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘समुद्री सुरक्षा का विस्तार : अंतरराष्ट्रीय सहयोग का मामला’ पर नौ अगस्त को एक उच्च स्तरीय चर्चा की अध्यक्षता करेंगे जिसका आयोजन डिजिटल माध्यम से होगा.