(माइकल डेविड स्टीन, यूएनएसडब्ल्यू सिडनी )
सिडनी, 12 नवंबर (द कन्वरसेशन) दक्षिण-पूर्व क्वींसलैंड में ब्रिस्बेन से लगभग 250 किलोमीटर दूर मुरगॉन नामक छोटा शहर स्थित है। देश की यह बस्ती लगभग 2,000 लोगों की आबादी का घर है और दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण जीवाश्म स्थलों में से एक मानी जाती है।
पिछले कुछ दशकों में जीवाश्म वैज्ञानिकों ने मिट्टी के भीतर 5.5 करोड़ साल पुराने कई महत्वपूर्ण अवशेष खोजे हैं। इनमें दुनिया के सबसे पुराने, गाने वाले पक्षियों के जीवाश्म, ऑस्ट्रेलिया में पाए गए केवल ज्ञात सैलामेंडर के जीवाश्म और ऑस्ट्रेलिया के सबसे पुराने मार्सुपियल जीवाश्म शामिल हैं।
हाल ही में ‘जर्नल ऑफ वर्टिब्रेट पैलेन्टोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने ऑस्ट्रेलिया में अब तक के सबसे पुराने मगरमच्छ के अंडे के खोल खोजने की जानकारी दी है।
अंडे के ये खोल अब एक नए प्रकार के अंडे की पहचान के लिए आधार बन गए हैं, जिसे ‘वक्काऊलिथस गॉडथेल्पी’ नाम दिया गया है। ये अब विलुप्त हो चुके मेकोसुकाइन मगरमच्छ समूह के सबसे पुराने ज्ञात सदस्य से संबंधित हैं। यह खोज उनके विकास और उन जंगल-पथ वाले दलदली क्षेत्रों की जानकारी देती है जिनमें वे रहते थे।
मेकोसुकाइन: ऑस्ट्रेलिया के स्थानीय मगरमच्छ
मेकोसुकाइन ऑस्ट्रेलिया का अद्वितीय मगरमच्छ परिवार था। ये 5.5 करोड़ साल पहले महाद्वीप के अंदरूनी जल क्षेत्रों में बहुतायत में पाए जाते थे। ये आधुनिक ऑस्ट्रेलियाई, खारे पानी और मीठे पानी के मगरमच्छों से अलग, पुरानी विकास शाखा का हिस्सा थे।
1980 के दशक से क्वीन्सलैंड के मुरगॉन और रिवरस्लीज वर्ल्ड हैरिटेज एरिया तथा उत्तरी भूभाग के अलकूटा में जीवाश्म खोजें हुईं, जिनसे अब दस विलुप्त प्रजातियों की पहचान हुई है।
इनमें कुनिकाना जैसे बड़े जमीन पर शिकार करने वाले मगरमच्छ और ट्रिलोफोसकस जैसे छोटे “पेड़ पर चढ़ने वाले” मगरमच्छ शामिल हैं।
अंडे के खोलों का विश्लेषण
नए अध्ययन में प्राचीन कंबारा प्रजाति के मेकोसुकाइन के अंडे के खोलों का विश्लेषण किया गया। मेकोसुकाइन दो मीटर तक लंबे होते थे और भोजन के लिए मछली और सॉफ्टशेल कछुए पर निर्भर थे।
‘यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स’ के शोधकर्ताओं ने मुरगॉन में अंडे के खोल के टुकड़े खोजे। बार्सिलोना विश्वविद्यालय के जेवियर पी आई ब्लास ने उच्च-रिज़ॉल्यूशन माइक्रोस्कोपी से खोल की संरचना का अध्ययन किया।
दिलचस्प बात यह है कि 5.5 करोड़ साल बाद भी कंबारा के अंडे के खोल की अनोखी माइक्रो-संरचना संरक्षित है, जो आधुनिक मगरमच्छ और एलिगेटर से भिन्न है।
यह अध्ययन मेकोसुकाइन के विकास और उनके वैश्विक स्थान को लेकर नई जानकारी दे सकता है।
प्राचीन पारिस्थितिकी का झरोखा
अंडे के खोल से उस समय के पर्यावरण की जानकारी मिलती है। कंबारा के अंडे में जीवाणुजन्य क्षय के संकेत कम हैं, जिससे लगता है कि मुरगॉन के दलदली क्षेत्र कभी-कभी शुष्क रहे होंगे।
मेकोसुकाइन का विस्तार आधुनिक मगरमच्छों से अधिक था, लेकिन महाद्वीप के शुष्क होने और बड़े शिकारियों के घटने के कारण वे ऑस्ट्रेलिया में विलुप्त हो गए।
इस खोज से न केवल ऑस्ट्रेलिया के विलुप्त मगरमच्छों के विकास की कहानी स्पष्ट होती है, बल्कि 5.5 करोड़ साल पहले के पारिस्थितिकी तंत्र की भी झलक मिलती है।
( द कन्वरसेशन ) मनीषा नरेश
नरेश
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