नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने शनिवार को कहा कि अफगानिस्तान में कम से कम 11.6 मिलियन महिलाओं और लड़कियों को महत्वपूर्ण सहायता नहीं मिल रही है.
थॉमस- ग्रीनफील्ड ने ट्वीट किया, ‘मानवीय सहायता प्रयासों में महिलाओं के योगदान पर प्रतिबंध लगाने के तालिबान के फैसले के पहले से ही भयानक परिणाम हो रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अफगानिस्तान में 11.6 मिलियन महिलाओं और लड़कियों को अब महत्वपूर्ण सहायता नहीं मिल रही है. इस खतरनाक, दमनकारी प्रतिबंध को उलट दिया जाना चाहिए.’
24 दिसंबर को, तालिबान ने गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) में महिलाओं के काम करने पर प्रतिबंध लगाने का फरमान जारी किया. यह फैसला तब आया है जब उन्होंने महिलाओं के लिए विश्वविद्यालय शिक्षा और लड़कियों के लिए माध्यमिक शिक्षा को तब तक के लिए स्थगित कर दिया जब तक कि आगे की सूचना नहीं दी जाती है.
गुरुवार को, शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त, फिलिपो ग्रांडी ने अन्य मानवीय समूहों के प्रमुखों के साथ मिलकर अफ़ग़ानिस्तान के वास्तविक अधिकारियों से महिलाओं को एनजीओ में काम करने पर प्रतिबंध लगाने वाले निर्देश को उलटने के लिए कहा.
ग्रैंडी ने एक बयान में कहा, ‘महिलाओं को मानवीय कार्यों से रोकना उनकी मानवता का गंभीर खंडन है. यह केवल सभी अफगानों, खासतौर से महिलाओं और बच्चों के लिए और अधिक पीड़ा तथा कठिनाई का परिणाम होगा. इस प्रतिबंध को हटाया जाना चाहिए.’
संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि अफगानिस्तान में यूएनएचसीआर के 19 एनजीओ में भागीदारों के साथ 500 से अधिक महिला कर्मचारी काम करती हैं, जो लगभग दस लाख महिलाओं और लड़कियों की सेवा करती हैं. यह प्रतिबंध संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी को अफगान लोगों, खासतौर से महिलाओं और बच्चों के समर्थन में महत्वपूर्ण गतिविधियों को अस्थायी रूप से रोकने के लिए मजबूर करेंगे.
महत्वपूर्ण मानवीय सहायता प्रदान करने के अलावा, चार दशकों के संघर्ष और उत्पीड़न से प्रभावित अफगानों के लिए समाधान खोजने के प्रयासों में महिला कर्मचारी सबसे आगे हैं, जिनमें लाखों शरणार्थी और आंतरिक रूप से विस्थापित लोग शामिल हैं.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, लगभग 3.4 मिलियन लोग वर्तमान में अफगानिस्तान के अंदर विस्थापित हैं और अन्य 2.9 मिलियन शरणार्थी के रूप में देश के बाहर विस्थापित हैं.
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