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Tuesday, 5 November, 2024
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सलमान रुश्दी समेत 101 इंटरनेशनल लेखकों ने राष्ट्रपति मुर्मू को लिखा पत्र, अभिव्यक्ति के लिए उठाई आवाज

अपने मजबूत विरोध को दर्शाते हुए, सलमान रुश्दी समेत ( इन्होंने 12 अगस्त को हमले से पहले हस्ताक्षर किए थे) कुल 102 हस्ताक्षरकर्ताओं ने लेखकों के एक विश्वव्यापी संघ पेन अमेरिका और पेन इंटरनेशनल के साथ पत्र पर हस्ताक्षर किए.

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नई दिल्ली: लगभग 100 से ज्यादा अंतरर्राष्ट्रीय लेखकों और कलाकारों ने सोमवार को देश में अभिव्यक्ति की आजादी पर चिंता जाहिर करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से लोकतांत्रिक आदर्शों का समर्थन करने का आह्वान किया.

अपने मजबूत विरोध को दर्शाते हुए, सलमान रुश्दी समेत ( इन्होंने 12 अगस्त को हमले से पहले हस्ताक्षर किए थे) सहित कुल 102 हस्ताक्षरकर्ताओं ने लेखकों के एक विश्वव्यापी संघ पेन अमेरिका और पेन इंटरनेशनल के साथ पत्र पर हस्ताक्षर किए.

14 अगस्त को लिखे गए इस लेखक की शुरुआत में लिखा गया, ‘हम आपसे भारत की स्वतंत्रता की भावना में स्वतंत्र अभिव्यक्ति को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने वाले लोकतांत्रिक आदर्शों का समर्थन करने और एक समावेशी, धर्मनिरपेक्ष, बहु-जातीय और -धार्मिक लोकतंत्र के रूप में भारत की प्रतिष्ठा को बहाल करने का आग्रह करते हैं, जहां लेखक नजरबंदी के खतरे,जांच, शारीरिक हमले, या प्रतिशोध के बिना असहमति या आलोचनात्मक विचार व्यक्त कर सकते हैं.’

पेन अमेरिका के फ्री एक्सप्रेशन ऐट रिस्क प्रोग्राम्स के निदेशक कैरिन डियच करलेकर ने कहा, ‘भारत आजादी के 75 साल मना रहा है, स्वतंत्र अभिव्यक्ति की स्थिति गंभीर खतरे में है और जश्न मनाने के बजाय शोक मना रही है.’

पत्र में कहा गया, ‘स्वतंत्र अभिव्यक्ति एक मजबूत लोकतंत्र की आधारशिला है. इस मूल अधिकार को कमजोर करके, अन्य सभी अधिकार खतरे में हैं और एक स्वतंत्र गणराज्य के रूप में भारत के जन्म पर किए गए वादों से गंभीर रूप से समझौता किया जाता है.’

इससे पहले, PEN अमेरिका ने अपने फ्रीडम टू राइट इंडेक्स 2021 में भारत को एकमात्र “नाममात्र लोकतांत्रिक देश” माना था, जो इसे दुनिया भर के लेखकों और सार्वजनिक बुद्धिजीवियों को ‘टॉप 10 जेलर’ बनाता है. पत्र में कवि वरवरा राव (जिन्हें हाल ही में जमानत दी गई थी) सहित एल्गर परिषद मामले के संबंध में लेखकों की गिरफ्तारी पर प्रकाश डाला गया था.

बयान में कहा गया है कि एक अलग पहल में, पेन अमेरिका ने सलमान रुश्दी सहित 113 भारतीय और भारतीय प्रवासी लेखकों द्वारा ‘India at 75’ शीर्षक से मूल लेखन का एक संग्रह निकाला था, जिसका लेखन 12 अगस्त को उन पर हुए हमले से पहले साझा किया गया था.

लेखकों में झुम्पा लाहिरी, अब्राहम वर्गीज, शोभा डे, राजमोहन गांधी, रोमिला थापर, आकार पटेल, अनीता देसाई, गीतांजलि श्री, पेरुमल मुरुगन, पी. साईनाथ, किरण देसाई, सुकेतु मेहता और जिया जाफरी शामिल थे. भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की स्थिति पर प्रतिबिंबित टुकड़े के रूप में यह अपना 75 वां स्वतंत्रता दिवस मनाता है.

गोविंद पानसरे, नरेंद्र दाभोलकर, एमएम कलबुर्गी, और गौरी लंकेश जैसे प्रमुख पत्रकारों, विचारकों और लेखकों की हत्याओं और ‘बिना किसी जवाबदेही के जांच की धीमी गति’ जैसे मुद्दों को भी उठाया गया है.

पत्र ने मोहम्मद जुबैर, सिद्दीकी कप्पन, तीस्ता सीतलवाड़, अविनाश दास और फहद शाह सहित लेखकों, स्तंभकारों, संपादकों, पत्रकारों और कलाकारों के ‘उत्पीड़न’ पर कड़ा विरोध दर्ज किया.


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