कोलंबो, 18 अप्रैल (भाषा) श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने सोमवार को 17 मंत्रियों की नयी कैबिनेट का गठन किया, जिसमें उनके भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, राजपक्षे परिवार की ओर से एकमात्र सदस्य हैं। सबसे गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे देश में अपने इस्तीफे की बढ़ती मांग के बीच गोटबाया ने ‘व्यवस्था परिवर्तन’ का आह्वान किया।
श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद, अब तक के सबसे बदतर आर्थिक हालात से गुजर रहा है। आर्थिक संकट के चलते देश में राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है। इसके चलते लोग पिछले दिनों घंटों बिजली गुल रहने व ईंधन, खाद्य सामग्री, तथा रोजमर्रा की जरूरत के सामान की कमी के कारण सड़कों पर उतर आए और राष्ट्रपति गोटबाया के इस्तीफे की मांग करने लगे।
इस महीने की शुरुआत में देशभर में हजारों लोग आपातकाल और कर्फ्यू की अवहेलना करते हुए सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे, जिसके बाद प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को छोड़कर मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद राष्ट्रपति को विपक्षी सदस्यों को साथ लेते हुए समावेशी कैबिनेट के गठन का मार्ग प्रशस्त करने को मजबूर होना पड़ा था। हालांकि विपक्ष ने पेशकश को ठुकरा दिया था।
महिंदा राजपक्षे (72) ने सोमवार को 17 सदस्यीय मंत्रिमंडल के साथ शपथ ली। इससे पहले तीन मंत्रियों को नियुक्त किया गया था।
नये मंत्रिमंडल में परिवार की ओर से पूर्व सदस्यों चामल राजपक्षे और महिंदा के बेटे नामल राजपक्षे को जगह नहीं दी गई है। ये दोनों कैबिनेट मंत्री थे जबकि शशिंद्र राजपक्षे राज्यमंत्री थे।
गोटबाया राजपक्षे और महिंदा राजपक्षे दोनों ने प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए अलग-अलग राष्ट्र को संबोधित किया है। लेकिन, राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग बढ़ती गई।
नए मंत्रियों से बात करते हुए, राष्ट्रपति राजपक्षे ने एक कुशल, पारदर्शी सरकार के लिए उनका समर्थन मांगा। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें नए मंत्रिमंडल से ईमानदार, कुशल और बेदाग शासन की उम्मीद है।
राजपक्षे ने कहा, ‘‘आज, अधिकतर सरकारी संस्थान गंभीर आर्थिक कठिनाइयों में हैं और इसे ठीक करना नितांत आवश्यक है।’’ राजपक्षे ने संकट को उस व्यवस्था में बदलाव लाने का एक मौका बताया जिसकी लोगों को उम्मीद है।
राष्ट्रपति कार्यालय की मीडिया इकाई ने कहा कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री जी एल पीरिस और वित्त मंत्री अली साबरी के मंत्री पदों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
मंत्रिमंडल का गठन ऐसे वक्त हुआ है जब सोमवार को भी देश में प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति और उनके परिवार के सदस्यों पर देश की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। पिछले कई दिनों से रसोई गैस, ईंधन की किल्लत, बिजली कटौती, खाद्य संकट के कारण देश के कई शहरों में लोग प्रदर्शन कर रहे रहे हैं।
पिछले हफ्ते, श्रीलंका ने कहा कि वह अपने विदेशी ऋणों पर अस्थायी रूप से भुगतान नहीं कर पाएगा। उन बांड ऋणों में से कुछ का भुगतान सोमवार को किया जाना था, जिस दिन सरकार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ बेलआउट को लेकर वार्ता शुरू करनी है।
शेयर बाजार के कारोबार को भी सोमवार से एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया है। वहीं, लंका इंडियन ऑयल कंपनी (एलआईओसी) द्वारा रविवार मध्यरात्रि से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में और बढ़ोतरी की घोषणा ने जनता की परेशानी और बढ़ा दी है।
भाषा आशीष उमा
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