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Tuesday, 18 June, 2024
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यूक्रेन में युद्ध-विराम और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का तरीका तलाशना होगा: प्रधानमंत्री मोदी

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(तस्वीरों के साथ)

(अश्विनी तलवार)

बाली (इंडोनेशिया), 15 नवंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को यूक्रेन विवाद को सुलझाने के लिए ‘‘युद्धविराम और कूटनीति’’ के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया। साथ ही रूसी तेल व गैस खरीद के खिलाफ पश्चिमी देशों के आह्वान के बीच उन्होंने ऊर्जा की आपूर्ति पर किसी भी प्रतिबंध को बढ़ावा देने का विरोध किया।

मोदी ने वार्षिक जी20 शिखर सम्मेलन के एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 वैश्विक महामारी और यूक्रेन संकट के कारण उत्पन्न वैश्विक चुनौतियों ने दुनिया में तबाही मचा दी है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला ‘‘चरमरा’’ गई है।

भारत की जी-20 की आगामी अध्यक्षता का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि जब ‘‘ (गौतम) बुद्ध और (महात्मा) गांधी की धरती पर जी-20 की बैठक होगी, तो हम सभी एकसाथ विश्व को शांति का ठोस संदेश देंगे।’’

खाद्य व ऊर्जा सुरक्षा पर बुलाए गए सत्र में मोदी ने वैश्विक समस्याओं के असर को रेखांकित किया और कहा कि पूरी दुनिया में आवश्यक वस्तुओं का संकट है और हर देश के गरीब नागरिकों के लिए चुनौतियां अधिक बढ़ गई हैं।

मोदी ने कहा कि भारत की ऊर्जा-सुरक्षा वैश्विक विकास के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह ‘‘ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हमें ऊर्जा की आपूर्ति पर किसी प्रतिबंध को बढ़ावा नहीं देना चाहिए और ऊर्जा बाजार में स्थिरता सुनिश्चित की जानी चाहिए।’’

इस सत्र में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव सहित कई विश्व नेताओं ने हिस्सा लिया।

प्रधानमंत्री ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के मद्देनजर रूसी तेल व गैस की खरीद के खिलाफ पश्चिमी देशों के आह्वान के बीच ऊर्जा आपूर्ति पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाने का आह्वान किया। भारत रियायती दरों पर रूसी कच्चा तेल खरीदता रहा है।

मोदी ने कहा कि भारत स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण के लिए प्रतिबद्ध है।

इंडोनेशिया के बाली में हो रहे शिखर सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘‘ 2023 तक हम अपनी जरूरत की आधी बिजली का उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से करेंगे। समावेशी ऊर्जा परिवर्तन के लिए विकासशील देशों को समयबद्ध और किफायती वित्त व प्रौद्योगिकी की सतत आपूर्ति की जरूरत है।’’

यूक्रेन संघर्ष पर उन्होंने बातचीत के माध्यम से संकट को हल करने का अपना आह्वान दोहराया।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ मैंने बार-बार कहा है कि हमें यूक्रेन में युद्ध-विराम और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का तरीका तलाशना होगा। पिछली शताब्दी में द्वितीय विश्व युद्ध ने दुनिया पर कहर बरपाया था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ उसके बाद उस दौर के नेताओं ने गंभीरता से शांति की राह पर चलने का प्रयास किया। अब हमारी बारी है। कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद एक नयी विश्व व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी हमारे कंधों पर है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया में शांति, सद्भाव और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ‘‘ठोस और सामूहिक संकल्प’’ समय की मांग है।

मोदी ने कहा कि भारत अपनी अध्यक्षता के दौरान सभी प्रमुख मुद्दों पर वैश्विक सहमति कायम करने के लिए काम करेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने चुनौतीपूर्ण वातावरण के बीच जी20 के नेतृत्व के लिए इंडोनेशिया की तारीफ भी की।

मोदी ने कहा, ‘‘ जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 वैश्विक महामारी तथा यूक्रेन संकट और उससे उत्पन्न वैश्विक चुनौतियां.. इन सभी ने मिलकर दुनिया में तबाही मचा रखी है। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं चरमरा गई हैं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ पूरी दुनिया में आवश्यक सामान का संकट है। हर देश के गरीब नागरिकों के लिए चुनौतियां अधिक हैं। उनके लिए रोजमर्रा की जिंदगी पहले से ही एक संघर्ष थी।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीब ‘‘दोहरी मार’’ से निपटने के लिए आर्थिक रूप से असमर्थ हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ दोहरी मार के कारण, उनके पास इसे संभालने के लिए वित्तीय क्षमताओं का अभाव है। इसलिए आज दुनिया को जी-20 से अधिक अपेक्षाएं हैं और समूह की प्रासंगिकता बढ़ गई हैं।’’

प्रधानमंत्री ने वैश्विक महामारी के दौरान खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत के प्रयासों को भी रेखांकित किया।

उन्होंने कहा, ‘‘ वैश्विक महामारी के दौरान भारत ने अपने 1.3 अरब नागरिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की। साथ ही कई जरूरतमंद देशों को अनाज भेजा गया। खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से उर्वरकों की मौजूदा कमी भी एक बहुत बड़ा संकट है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ आज उर्वरकों का संकट कल खाद्य संकट में तब्दील हो जाएगा, इसलिए दुनिया को इसका समाधान खोजना होगा। हमें खाद व अनाज दोनों की आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर और सुनिश्चित बनाए रखने के लिए साझा समझौता करना चाहिए।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहा है और टिकाऊ खाद्य सुरक्षा के लिए बाजरा जैसे पौष्टिक व पारंपरिक खाद्यान्नों को फिर से लोकप्रिय बनाने की कोशिश कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘ बाजरा वैश्विक कुपोषण और भुखमरी की समस्या का समाधान कर सकता है। हम सभी को अगले वर्ष उत्साह के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष मनाना चाहिए।’’

जी-20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं।

भाषा निहारिका नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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