scorecardresearch
Monday, 3 June, 2024
होमविदेशभारत अपने सैनिकों को श्रीलंका नहीं भेजेगा : भारतीय मिशन

भारत अपने सैनिकों को श्रीलंका नहीं भेजेगा : भारतीय मिशन

Text Size:

कोलंबो, 11 मई (भाषा) भारतीय उच्चायोग ने बुधवार को इन अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया कि भारत अपने सैनिकों को श्रीलंका भेजेगा। साथ ही, उच्चायोग ने कहा कि द्वीपीय राष्ट्र के लोकतंत्र, स्थिरता तथा आर्थिक सुधार का भारत पूरी तरह से समर्थन करता है।

इससे एक दिन पहले, श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने सोशल मीडिया मंच पर वायरल उन खबरों को ‘‘फर्जी और बिल्कुल गलत’’ करार दिया था, जिनमें श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और उनके परिवार के सदस्यों के भारत भाग जाने का दावा किया गया था।

महिंदा राजपक्षे सोमवार को इस्तीफा देने के बाद से कहां हैं, इसको लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि महिंदा अपने कार्यालय-सह-आधिकारिक आवास ‘टेंपल ट्रीज़’ से जा चुके हैं।

श्रीलंका की स्थिति पर भारत ने पहली प्रतिक्रिया देते हुए मंगलवार को कहा था, ‘‘द्वीपीय राष्ट्र के लोकतंत्र, स्थिरता तथा आर्थिक सुधार का भारत पूरी तरह से समर्थन करता है।’’

भारतीय मिशन ने ट्वीट किया, ‘‘ उच्चायोग, मीडिया और सोशल मीडिया मंचों में भारत द्वारा श्रीलंका में अपने सैनिकों को भेजे जाने के बारे में आ रही खबरों का खंडन करता है। ये खबरें और इस तरह के विचार भारत सरकार के रुख से मेल नहीं खाते।’’

मिशन ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘ भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कल स्पष्ट रूप से कहा था कि भारत, श्रीलंका के लोकतंत्र, स्थिरता तथा आर्थिक सुधार का पूरी तरह से समर्थन करता है।’’

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मंगलवार को नयी दिल्ली में कहा था कि भारत लोकतांत्रिक तरीके से हमेशा श्रीलंका के लोगों के सर्वश्रेष्ठ हित के लिए काम करेगा।

देश में आर्थिक संकट के बीच सोमवार को महिंदा राजपक्षे (76) ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके कुछ घंटे पहले महिंदा राजपक्षे के समर्थकों द्वारा राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के कार्यालय के बाहर प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के बाद राजधानी कोलंबो में सेना के जवानों को तैनात किया गया और राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगा दिया गया। हमले के बाद राजपक्षे के समर्थकों और उनके विरोधियों के बीच हिंसा भड़क गई थी।

प्रदर्शनकारियों का एक समूह त्रिंकोमाली के पूर्वी बंदरगाह जिले में नौसेना अड्डे के पास एकत्रित हो गया था और उसने दावा किया कि महिंदा ने वहां शरण ली है।

इसके बाद सरकार समर्थकों और विरोधियों के बीच भड़की हिंसा में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई और 250 से अधिक लोग घायल हो गए। सत्तारुढ़ पार्टी के नेताओं की कई सम्पत्तियों को भी आग के हवाले कर दिया गया।

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने लोगों से साथी नागरिकों के खिलाफ ‘‘हिंसा और बदले की कार्रवाई’’ बंद करने का आग्रह किया और राष्ट्र के सामने आने वाले राजनीतिक व आर्थिक संकट को दूर करने का संकल्प व्यक्त किया था।

श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजाद होने के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। देश में विदेशी मुद्रा की भारी कमी हो गई है, जिससे वह खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा है। इस कारण नौ अप्रैल से हजारों लोग श्रीलंका की सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

भाषा निहारिका मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments