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Tuesday, 19 November, 2024
होमखेलप्रतिबंध के बाद अपने खाने को लेकर बहुत सतर्क हूं: 10,000 मीटर स्वर्ण विजेता संजीवनी

प्रतिबंध के बाद अपने खाने को लेकर बहुत सतर्क हूं: 10,000 मीटर स्वर्ण विजेता संजीवनी

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… फिलेम दीपक सिंह …

चेन्नई, 10 जून (भाषा) डोप परीक्षण में विफल होने के बाद 2018 में दो साल के प्रतिबंध  और फिर  पिछले साल कोविड-19 के कारण अपने पिता को खोने वाली महिलाओं की 10,000 मीटर दौड़ की राष्ट्रीय चैंपियन संजीवनी जाधव को जीवन ने कड़ा सबक सिखाया जिससे वह असफलताओं को पीछे छोड़कर नया मुकाम बनाना चाहती है। 25 साल की इस धाविका पर 2019 में विश्व एथलेटिक्स की ‘एथलेटिक्स इंटीग्रिटी यूनिट’ ने जांच में ‘मास्किंग एजेंट’ ‘प्रोबेनेसिड’ के सेवन का दोषी पाये जाने के बाद दो साल का प्रतिबंध लगाया था। इस प्रतिबंध के कारण 29 जून, 2018 के बाद उसके सभी परिणाम रद्द कर दिए गए और उसने दोहा में एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हासिल किये गये 10,000 मीटर स्पर्धा के कांस्य पदक को गंवा दिया। संजीवनी का 2017 एशियाई चैम्पियनशिप के 5000 मीटर स्पर्धा में जीता गया कांस्य पदक हालांकि बरकरार रहा। उन्होंने यहां 33 मिनट 16.43 सेकेंड के समय के साथ 10,000 मीटर स्वर्ण पदक जीतने के बाद पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ मैंने दो साल के प्रतिबंध में बहुत कुछ सीखा। यह मेरी गलती नहीं थी। मैंने जानबूझकर (प्रतिबंधित दवा का) उपयोग नहीं किया था। मैंने इस घटना से सीखा कि आप जीवन को हल्के में नहीं ले सकते, आपको कुछ भी करने में सतर्क रहना होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ प्रतिबंध से बाहर आने के बाद (जून 2020 में), मैं दवाओं को लेकर बहुत सतर्क हो गयी हूं। जब भी मैं कोई दवा लेती हूं चाहे वह सर्दी, बुखार, या दर्द निवारक दवा हो, मैं डॉक्टर से सलाह लेती हूं। मैं हर एथलीट से भी ऐसा ही करने का आग्रह करूंगी।’’  संजीवनी के लिए हालांकि सबसे बड़ा सदमा उनके पिता का निधन था जिनकी मृत्यु कोरोना वायरस के चपेट में आने से हुई थी। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिता की मृत्यु ने मुझे मानसिक रूप से और भी मजबूत बना दिया। मैं अब उस सदमे से बाहर निकल सकी हूं और मैंने खुद से कहा कि मुझे और भी बेहतर करना है। मुझे अपने परिवार का समर्थन करने के लिए पदक जीतना है। मुझे एथलेटिक्स के कारण नौकरी मिली है और इसलिए मुझे अच्छा प्रदर्शन करते रहना है।’’ शुक्रवार की अपनी दौड़ के बारे में संजीवनी ने कहा, ‘‘ यहां गर्मी और उमस के कारण परिस्थितियां  अच्छे समय के लिए अनुकूल नहीं थी। मैंने बेंगलुरु में इस तरह की परिस्थितियों में प्रशिक्षण नहीं लिया था।’’ शुक्रवार का उनका प्रयास (राष्ट्रीय अंतरराज्यीय सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप) हालांकि भारतीय एथलेटिक्स महासंघ के 31 मिनट के राष्ट्रमंडल खेलों के मानक से बड़े अंतर से दूर था। भाषा आनन्द मोनामोना

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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