कोलकाता, छह जून (भाषा) साल्ट लेक स्टेडियम खचाखच भरा था लेकिन इसके बावजूद खालीपन का एहसास हो रहा था क्योंकि पिछले 19 वर्षों से भारतीय फुटबॉल की सांस रहे सुनील छेत्री अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच खेल रहे थे।
छेत्री को विदाई देने के लिए हजारों दर्शक स्टेडियम में पहुंचे थे। इनमें से अधिकतर ने इस स्टार स्ट्राइकर की 11 नंबर की जर्सी पहनी हुई थी। उनके मन में एक टीस भी थी कि अब वह अपने इस प्रिय खिलाड़ी को भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए नहीं देखेंगे।
छेत्री ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि कुवैत के खिलाफ विश्व कप क्वालीफायर का मैच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनका अंतिम मैच होगा और यही वजह थी कि उनका कोई भी प्रशंसक उन्हें भारत की तरफ से अंतिम मैच में खेलते हुए देखने से नहीं चूकना चाहता था।
ड्राइवर की बगल की सीट पर बैठे छेत्री सबसे पहले बस से उतरे। बस से उतर कर छेत्री इस मैदान पर होने वाले हर मैच की गवाह रही ‘लोजेंज माशी’ जमुना दास के पास गए, जो ईस्ट बंगाल की समर्थक हैं। छेत्री ने उन्हें गले लगाया और फिर मैदान की तरफ चले गए।
वह जैसे ही मैदान पर पहुंचे चारों तरफ तिरंगा लहराने लगा और स्टेडियम में छेत्री छेत्री की गूंज सुनाई देने लगी।
स्टेडियम में एक बहुत बड़ा पोस्टर लगा था जिसमें बंगाली में लिखा था, सोनार सुनील। तोमाय हृद मझारे रखबो ’ (स्वर्णिम सुनील, मैं आपको अपने दिल में बनाए रखूंगा।) इसके अलावा कई अन्य पोस्टर भी लहरा रहे थे जिसमें सुनील छेत्री का गुणगान किया गया था।
गोलकीपर गुरप्रीत सिंह के पीछे खड़े छेत्री को जोर से राष्ट्रगान गाते हुए भी देखा गया। इससे पहले अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ के अध्यक्ष कल्याण चौबे और राज्य के खेल मंत्री अरूप भट्टाचार्य ने उनका स्वागत किया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा,‘‘सुनील छेत्री का एक शानदार नए सफर में स्वागत है। आज से आपकी जिंदगी का नया दौर शुरू हो रहा है। आप बंगाल के गोल्डन ब्वॉय, भारतीय टीम के कप्तान, एशिया के खेल आईकॉन, विश्व स्तर पर गोल करने वाले और कई उपलब्धियां हासिल करने वाले खिलाड़ी रहे। मुझे विश्वास है कि आप आगे भी खेलना जारी रखोगे।’’
भाषा
पंत सुधीर
सुधीर
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.