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Tuesday, 17 September, 2024
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रणधीर ने कार्यकाल सीमित करने से संबंधित खेल संहिता के नियम पर सवाल उठाए

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नयी दिल्ली, पांच सितंबर (भाषा) भारत के अनुभवी खेल प्रशासक और एशियाई ओलंपिक परिषद (ओसीए) के भावी अध्यक्ष रणधीर सिंह ने बृहस्पतिवार को किसी महासंघ में पदाधिकारियों के कार्यकाल की संख्या को सीमित करने वाले खेल संहिता के नियम पर सवाल उठाए और कहा कि इससे अनुभवी और मजबूत प्रशासक तैयार नहीं हो पा रहे।

खेल संहिता के तहत कोई अधिकारी किसी खेल महासंघ अधिकतम 12 साल ही काम कर सकता है और ओसीए के कार्यवाहक अध्यक्ष रणधीर इस नियम के पक्ष में नहीं हैं।

रणधीर ने यहां ओसीए की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब मैं ओलंपिक समिति में था जो हम ओलंपिक अभियान की स्वायत्ता के लिए लड़े थे। सरकार ने हम पर दबाव बनाने का प्रयास किया था लेकिन हम दबाव में नहीं आए। हम सरकार और आईओसी के पास प्रतिनिधिमंडल लेकर गए थे जिसने कहा था कि ओलंपिक अभियान की स्वायत्ता सर्वोच्च है। दुर्भाग्य से अब संविधान में बदलाव हुआ है और आईओसी ने इस नियम को स्वीकार कर लिया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘विश्व और अंतरराष्ट्रीय महासंघों में आपके लोग होने चाहिए जो आपकी मदद करें। आपके मजबूत नेतृत्वकर्ता वहां होने चाहिए। अब आपको अपने करियर में सिर्फ 12 साल का समय दिया गया है। भारतीय ओलंपिक संघ और महासंघ में आप सबसे पहले कार्यकारी बोर्ड के सदस्य बनते हैं तो आपको कोई सीधे अध्यक्ष नहीं बनाएगा। फिर आप संयुक्त सचिव, महासचिव बनेंगे, उपाध्यक्ष बनेंगे। जब तक आप इस प्रक्रिया से गुजरेंगे तो आपके 12 साल खत्म हो जाएंगे।’’

रणधीर ने कहा, ‘‘फिर आपको अंतरराष्ट्रीय महासंघ के लिए भी इसी तरह की तैयारी करनी होगी। मैं ओसीए में 1991 से हूं। मैं अब अध्यक्ष बन रहा हूं, अगर आप काम नहीं करेंगे तो आपको कोई नहीं जानेगा। लॉबिंग के जरिए शीर्ष पद पर अचानक आने की संभावना बेहद कम होती है लेकिन इसके लिए भी काफी काम करना पड़ता है। आपको खुद को स्थापित करने में काफी समय लगता है जिसके लिए 12 साल का समय काफी कम है।’’

रणधीर ने कहा कि इस नियम के कारण भारत के सिर्फ चार अधिकारी एशियाई महासंघों के प्रमुख हैं लेकिन वे भी अपने राष्ट्रीय महासंघों का हिस्सा नहीं हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी एक अरब 40 करोड़ जनसंख्या में सिर्फ चार लोग हैं जो एशियाई महासंघों के प्रमुख हैं। मानव श्राफ(यॉटिंग), के गोविंदराज (बास्केटबॉल), मुकेश कुमार (जूडो) और ओंकार सिंह ( साइकिलिंग)। अगर आप सतर्कता से देखो तो ये सिर्फ अंतरराष्ट्रीय महासंघों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं क्योंकि राष्ट्रीय महासंघ में उनका कार्यकाल खत्म हो गया है तो फिर उनके लिए सम्मान कहां से आएगा। आपको इसमें बदलाव करना होगा क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो कोई आपकी मदद नहीं कर सकता। इसमें संशोधन करने की जरूरत है।’’

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थॉमस बाक ने दोबारा इस पद के लिए चुनाव लड़ने से इनकार किया है और ऐसे में किसी एशियाई के इस पद पर चुने जाने की संभावना पर रणधीर ने कहा कि यूरोप के दबदबे के बीच ऐसा होना मुश्किल होगा।

रणधीर ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) में एशियाई सदस्यों की संख्या काफी अधिक नहीं है। यूरोप के काफी अधिक सदस्य हैं। ऑस्ट्रेलिया के बाहर ओसियाना से भी काफी कम सदस्य हैं। आईओसी सदस्यता में यूरोप का दबदबा है, 115 सदस्यों में से सबसे अधिक सदस्य उनके है जो अंतर पैदा करता है।’’

रणधीर ने कहा कि खिलाड़ियों को अब सरकार से काफी समर्थन मिल रहा है जिसका असर प्रदर्शन में साफ दिख रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार से अब खेलों को काफी समर्थन मिल रहा है। खिलाड़ियों को विश्व स्तरीय विदेशी कोच मिल रहे हैं। यूरोप में अभ्यास के दौरान प्रतिदिन 300 से 400 यूरो की राशि मिलती है। प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) पदक जीतने पर खिलाड़ियों से मिलते हैं और पदक के दावेदारों से बात करके उनका हौसल बढ़ाते हैं। पैसा अब कोई समस्या नहीं है। जब इस तरह के लोग जब शीर्ष पर होते हैं तो आपको समस्या नहीं होती।’’

इस बीच भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा ने उम्मीद जताई कि रणधीर के ओसीए प्रमुख बनने से भारत की 2036 ओलंपिक की मेजबानी की इच्छा को मूर्त रूप में बदलने में मदद मिलेगी।

उषा ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री 2036 में ओलंपिक खेलों की मेजबानी की इच्छा जता चुके हैं। रणधीर सिंह ओसीए अध्यक्ष हैं तो उन्हें हमारी मदद करनी चाहिए।’’

रणधीर ने इस पर कहा, ‘‘मत भूलिए कि मैं आईओसी सदस्य हूं। दो देश औपचारिक रूप से घोषणा कर चुके हैं कि वे दावेदारी पेश करेंगे (2036 ओलंपिक की मेजबानी की) जबकि सऊदी अरब और तुर्किये के भी दावेदारी पेश करने की संभावना है। मेरे लिए इस पर सार्वजनिक तौर पर बोलना सही नहीं होगा।’’

भाषा सुधीर मोना

मोना

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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