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Saturday, 23 November, 2024
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ओलंपिक पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन ने लगाया मानसिक उत्पीड़न का आरोप, खेल मंत्रालय ने दिया दखल

लवलीना को मुक्केबाजी में उनके बहतरीन प्रदर्शन के लिए उन्हें 2020 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया और यह अवॉर्ड जीतने वाली वे असम की छठी हस्ती बनीं.

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नई दिल्ली: ओलंपिक कांस्य पदक विजेता और मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन ने अधिकारियों पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि उनके एक कोच को बर्मिंघम के राष्ट्रमंडल खेल गांव में प्रवेश करने से मना कर दिया गया है जबकि दूसरे को भारत वापस भेज दिया गया है.

लवलीना ने मामले के बारे में विस्तार से बताते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा की है जिसमें लिखा है कि इससे राष्ट्रमंडल खेल 2022 के लिए उनके प्रशिक्षण पर काफी प्रभाव पड़ रहा है.

बता दें कि 28 जुलाई से शुरू होने वाले राष्ट्रमंडल खेल 2022 में लवलीना 70 किग्रा वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी.

पिछले साल टोक्यो ओलंपिक 2020 में लवलीना ने महिला वेल्टरवेट वर्ग में कांस्य पदक जीता था.

उन्होंने ट्वीट में एक नोट साझा करते हुए लिखा, ‘आज मैं बड़े दुख के साथ कह रही हूं कि मेरे साथ बहुत शोषण हो रहा है. हर बार मेरे कोचों जिन्होंने मुझे ओलंपिक में मेडल लाने में मदद की उन्हें बार-बार हटा कर मेरे ट्रेनिंग प्रोसेस और कॉम्पिटिशन को प्रभावित किया है.’

उन्होंने आगे लिखा, ‘कोचों में से एक संध्या गुरुंगजी हैं और वह द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता हैं. मेरे दोनों कोचों को प्रशिक्षण शिविर में शामिल होने के लिए निवेदन करना है और उन्हें काफी देर से जोड़ा गया है. मुझे इस ट्रेनिंग में बहुत परेशानियां भी उठानी पड़ पड़ती है और मानसिक शोषण तो होता ही है.’

लवलीना ने आगे दावा करते हुए लिखा कि उनके कोच संध्या गुरुंगजी कॉमनवेल्थ गांव के बाहर हैं और उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है.

उन्होंने लिखा कि ट्रेनिंग प्रोसस गेम्स से ठीक आठ दिन पहले रुक गया है और दूसरे कोच को भी भारत वापस भेज दिया गया है.

लवलीना ने लिखा कि मेरा इतना अनुरोध करने के बाद भी यह हुआ है इससे मुझे बहुत मानसिक शोषण झेलना पड़ा. मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मैं गेम में कैसे फोक्स करूं.

लवलीना ने दावा किया कि उनका आखिरी चैंपियनशिप भी खराब हो गया था. उन्होंने अपील की कि इस राजनीति के चलते वो अपना सीडब्लयूजी खराब नहीं करना चाहती हैं.

बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल 28 जुलाई से शुरू होंगे और 8 अगस्त को खत्म होंगे.

वहीं, युवा मामले और खेल मंत्रालय ने घटना को संज्ञान में लेते हुए कहा हमने भारतीय ओलंपिक संघ से लवलीना बोरगोहेन के कोच की मान्यता की तत्काल व्यवस्था करने का आग्रह किया है.

‘पीएम मोदी के ऑप्टिक्स और वास्तविक्ता में फर्क है’

शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए खेल मंत्रालय पर एथलीट की अनदेखी करने का आरोप लगाया.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘यह दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है. हमारे एथलीट भारत को गौरवान्वित करने के लिए दिन-रात प्रशिक्षण लेते हैं लेकिन कोच से कोई समर्थन नहीं मिलता है और यह स्पष्ट है कि खेल मंत्रालय ने एथलीट की अनदेखी की है और कोई हस्तक्षेप नहीं किया है जिससे उसे इस मुद्दे को सार्वजनिक करने के लिए मजबूर किया गया है.’

कांग्रेस नेता और दो बार सांसद रहे गौरव गोगोई ने लिखा, ‘भारतीय खिलाड़ियों के साथ बातचीत को रिकॉर्ड करने वाले प्रधानमंत्री मोदी के ऑप्टिक्स और भारतीय ध्वज का प्रतिनिधित्व करने वाले हमारे पुरुषों और महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली वास्तविकता में फर्क देखिए.’

तृणमूल कांग्रेस के नेता रिपुन बोरा ने ट्वीट किया कि यह घटना भारत सरकार की विफलता को दर्शाती है. उन्होंने लिखा, ‘यह वाकई शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है। जिस तरह से खेल मंत्रालय ने असम और ओलंपिक पदक धारक के हमारे गौरव को उत्पीड़न का सामना करने दिया, वह भारत सरकार की घोर विफलता को दर्शाता है. लवलीना द्वारा की गई शिकायत के आधार पर एक उच्च स्तरीय जांच शुरू की जानी चाहिए.’

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनाते ने ट्वीट किया, ‘यह पढ़ कर खिलाड़ियों को मात्र फोटो ओप समझने वाली सरकार का सिर शर्म से झुक जाना चाहिए. उन्हें सफलता के लिए मानसिक शांति और संसाधन चाहिए. आशा करती हूं अधिकृत लोग और सरकार लवलीना बोरगोहेन की पीड़ा को समझ कर समाधान निकालेंगे.’


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‘राजनीति खिलाड़ियों का करियर बर्बाद कर रही है’

जैसे ही लवलीना ने यह पोस्ट ट्वीट किया लोग उनके समर्थन में आ गए. कई लोगों ने सरकार से अपील की कि वो खिलाड़ियों को राजनीति में न घसीटें. साथ कई लोगों ने केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर को टैग करते हुए कहा कि वे इस समस्या को जल्द हल करें.

नवज्योति पटनायक नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत का गौरव, ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन को ट्रेनिंग केंद्र में मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. यह तुरंत बंद होना चाहिए. केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर को इस मामले में दखल देनी चाहिए.’

मयंक अग्रवाल नाम के एक यूजर ने लिखा ‘कठोर सच्चाई, हमारे खिलाड़ियों को अपने खेल पर ध्यान देने से पहले यह सहन करना और लड़ना पड़ता है. यह हमारा स्टार एथलीट है जिसने हाल ही में हुए ओलंपिक में पदक जीता है. कोई आने वाला नहीं है.

एक ने लिखा कि अगर कोई पूछे कि भारत टीम और मेडल क्यों नहीं लेकर आ रही है तो उसे यह पोस्ट दिखा दीजिएगा.

यूजर ने लिखा, ‘जब कोई पूछे कि भारत टीम ओलंपिक या विश्व चैंपियनशिप में अधिक पदक क्यों नहीं ला पा रहा है, तो उन्हें यह पोस्ट दिखा दें. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजनीति प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के करियर को बर्बाद कर रही है.’


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कौन हैं लवलीना बोरगोहेन

लवलीना बोरगोहेन भारतीय मुक्केबाज हैं जिनका जन्म 2 अक्टूबर 1997 को असम के गोलाघाट जिले में हुआ था. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक किकबॉक्सर के रूप में की थी लेकिन बाद में उन्होंने बॉक्सिंग को अपना पेशा चुना. मुक्केबाजी में उनके बहतरीन प्रदर्शन के लिए उन्हें 2020 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया और यह अवॉर्ड जीतने वाली वे असम की छठी हस्ती बनीं.

लवलीना दो बार की विश्व और एशियाई चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता हैं. उन्होंने थाई मार्शल आर्ट भी सीखा है जिसे ‘मय थाई’ के नाम से जाना जाता है.

लवलीना पहली महिला एथलीट और असम की दूसरी मुक्केबाज हैं जिन्होंने ओलंपिक में राज्य का प्रतिनिधित्व किया है.

फरवरी 2018 में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी चैंपियनशिप में उन्होंने वेल्टरवेट कैटिगरी में गोल्ड मेडल जीता था.

उन्होंने नवंबर 2017 में वियतनाम में एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में कांस्य पदक भी जीता था. इसके बाद जून 2017 में अस्ताना में आयोजित प्रेसिडेंट कप में कांस्य पदक भी अपने नाम किया था.

लवलीना ने जून 2018 में मंगोलिया में उलानबटार कप में रजत पदक और सितंबर 2018 में पोलैंड में 13वीं अंतर्राष्ट्रीय सिलेसियन चैम्पियनशिप में कांस्य पदक भी जीता था.

लवलीना ने महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में 69 किलोग्राम वर्ग में अपने अंतिम 16-संघर्ष में मोरक्को की बेल अहबीब ओमायमा को 5-0 से शिकस्त दी थी.

अगस्त 2021 में आयोजित टोक्यो समर ओलंपिक 2020 में उन्होंने कांस्य पदक भी जीता.

12 जनवरी 2022 को लवलीना को असम पुलिस में डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस भी नियुक्त किया गया था.


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