बर्मिंघम: ओलंपिक कांस्य पदक विजेता भारतीय मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन को राष्ट्रमंडल खेलों के उद्घाटन समारोह को बीच में ही छोड़ना महंगा पड़ा क्योंकि इसके बाद वह करीब एक घंटे तक फंसी रहीं.
उदघाटन समारोह गुरुवार रात को लगभग दो घंटे तक चला और लवलीना ने भारतीय मुक्केबाजी दल के एक अन्य सदस्य मुहम्मद हुसामुद्दीन के साथ अलेक्जेंडर स्टेडियम से खेल गांव के लिए जल्दी निकलने का फैसला किया.
लवलीना से जब पूछा गया कि उन्होंने समारोह को बीच में क्यों छोड़ा उन्होंने कहा, ‘हम सुबह अभ्यास करना चाहते थे क्योंकि इसके एक दिन बाद हमारा मुकाबला है. समारोह चल रहा था और हमने तब निकलने का फैसला किया. हमने टैक्सी उपलब्ध कराने को कहा लेकिन हमें बताया गया कि टैक्सी उपलब्ध नहीं है.’
समारोह अभी चल रहा था और ये दोनों ही मुक्केबाज स्वयं टैक्सी नहीं कर पाए. ऐसे में उनके पास खेल गांव पहुंचने का कोई विकल्प नहीं था. बाद में उन्होंने राष्ट्रीय प्रदर्शनी केंद्र से खेल गांव जाने वाली पहली बस पकड़ी.
भारतीय दल को आयोजकों ने तीन कार उपलब्ध कराई थी लेकिन उनके ड्राइवर मौजूद नहीं थे क्योंकि भारतीय खिलाड़ी और अधिकारी बसों से उद्घाटन समारोह के लिए पहुंचे थे.
भारतीय दल के प्रमुख राजेश भंडारी इस पूरे घटनाक्रम से खुश नहीं थे. भंडारी भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) के उपाध्यक्ष भी हैं.
भंडारी ने कहा, ‘समारोह के बीच में ही मुझे पता चला कि वह एक अन्य मुक्केबाज के साथ वापस लौट गई है. हम सभी बसों में आए थे और तब टैक्सी का विकल्प उपलब्ध नहीं था. अगर उन्हें जल्द ही लौटना था तो फिर उन्हें समारोह में नहीं आना चाहिए था.’
उन्होंने कहा, ‘कई अन्य खिलाड़ियों ने भी समारोह में नहीं आने का फैसला किया था क्योंकि अगले दिन उन्हें अभ्यास या फिर अपनी स्पर्धाओं में हिस्सा लेना था. मैं इस मामले में मुक्केबाजी टीम से बात करूंगा.’
भारत से कुल 164 खिलाड़ियों और अधिकारियों ने उद्घाटन समारोह में हिस्सा लिया. जिन भारतीय खिलाड़ियों ने समारोह में नहीं आने का फैसला किया उनमें महिला भारतीय क्रिकेट टीम भी शामिल थी क्योंकि उसे अगले दिन मैच खेलना है.
खेलों से पहले लवलीना ने आरोप लगाया था कि उनकी कोच को लगातार परेशान किया जा रहा है और उनकी निजी कोच संध्या गुरुंग को खेल गांव में आने की अनुमति नहीं दी जा रही है. संध्या को बाद में खेल गांव का मान्यता पत्र दिया गया था.
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