scorecardresearch
Thursday, 21 November, 2024
होमखेल'तेंदुलकर जितना बेहतरीन नहीं बन पाऊंगा' कोहली बोले- भावनाओं पर काबू रखना मेरे खेल का अहम हिस्सा

‘तेंदुलकर जितना बेहतरीन नहीं बन पाऊंगा’ कोहली बोले- भावनाओं पर काबू रखना मेरे खेल का अहम हिस्सा

कोहली ने 5 नवंबर को अपना 35 वां जन्मदिन मनाया साथ ही उन्होंने रविवार को कोलकाता में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ नाबाद 101 रन बनाकर तेंदुलकर के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है.

Text Size:

नई दिल्ली: विराट कोहली ने एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 49वां शतक लगाकर मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अपनी भावनाओं को काबू में रख, शांतचित बने रहना उनके खेल का अहम हिस्सा है.

कोहली ने 5 नवंबर को अपना 35 वां जन्मदिन मनाया साथ ही उन्होंने रविवार को कोलकाता में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ नाबाद 101 रन बनाकर तेंदुलकर के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है.

कोहली ने स्टार स्पोर्ट्स से कहा,‘‘मैं हमेशा अपनी भावनाओं और संवेदनाओं को काबू में रखना चाहता हूं. यह मेरे खेल का अहम हिस्सा है. इसलिए मैच से पहले मैं इसको लेकर सावधान और सचेत रहता हूं.’’

यह अलग बात है कि तेंदुलकर का बधाई संदेश उन्हें बार बार भावुक कर रहा था. वह तब अभिभूत हो गए थे जब आमतौर पर शांत रहने वाले रोहित शर्मा ने टी20 विश्व कप 2022 में मेलबर्न में भारत की पाकिस्तान पर जीत के बाद खुलकर जश्न मनाया था.

कोहली ने कहा,‘‘मैं लंबे समय से रोहित के साथ खेल रहा हूं लेकिन मैंने उसे कभी इस तरह से जश्न मनाते हुए नहीं देखा.’’

कोहली ने उस मैच में 53 गेंद पर नाबाद 82 रन बनाए थे और भारत को जीत दिलाई थी. उन्होंने तब शाहीन शाह अफरीदी, नसीम शाह और हारिस रऊफ जैसे गेंदबाजों का डटकर सामना किया था.

उन्होंने कहा,‘‘उनका सामना करने के लिए कोई विशेष तैयारी नहीं की थी क्योंकि इतने वर्षों में आप 140, 145 और 150 किमी की रफ्तार से की जाने वाली गेंदों का सामना करने के अभ्यस्त हो जाते हैं. आपको केवल चुनौती का सामना करने के लिए मानसिक रूप से तैयार होना चाहिए.’’

कोहली ने कहा,‘‘हम इतने वर्षों तक पाकिस्तान के खिलाफ जीत दर्ज करते रहे हैं लेकिन उस दिन वह हम पर हावी हो गए थे. इसे स्वीकार करना कोई शर्म की बात नहीं है. वह हम सभी के लिए एक सबक था. हम यह सोचकर मैच नहीं खेल सकते कि हमें अतीत में मिली हार का बदला लेना है. ’’


यह भी पढ़ें: तेज आक्रमण का सामना, मुश्किल विकेट पर बल्लेबाजी: यही सुनील गावस्कर को महान खिलाड़ी बनाती है


‘कभी नहीं कर पाऊंगा सचिन की बराबरी’

हालांकि जीत के बाद एक खास बातचीत में कोहली ने बिना हिचकिचाहट के स्वीकार किया वह कभी भी मुंबई के इस दिग्गज और रोल मॉडल सचिन की बराबरी नहीं कर पाएंगे.

कोहली के एकदिवसीय करियर की 49वीं शतकीय पारी के दम पर भारत ने पांच विकेट पर 326 रन बनाने के बाद दक्षिण अफ्रीका की पारी को 27.1 ओवर में 83 रन पर समेट कर विश्व कप मैच में बड़ी जीत दर्ज की.

मैन ऑफ द मैच कोहली ने अपने 35 वें जन्मदिन को यादगार बनाने के बाद पुरस्कार समारोह में कहा, ‘‘ अपने नायक के रिकॉर्ड की बराबरी करना बहुत बड़ा सम्मान है. वह बल्लेबाजी के मामले में ‘परफेक्ट’ रहे हैं. यह एक भावनात्मक क्षण है. मैं उन दिनों को नहीं भूला हूं जहां से मैं आया हूं, मैं उन दिनों को जानता हूं जब मैंने उन्हें टीवी पर देखा है. उनसे सराहना पाना मेरे लिए बहुत मायने रखता है.’’

कोहली के शतक के बाद तेंदुलकर ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, ‘‘शानदार खेल दिखाया विराट. इसी साल की शुरुआत में मुझे 49 से 50 (वर्ष) का होने में 365 दिन लगे. उम्मीद करता हूं कि आप 49 से 50 (शतक) तक पहुंचोगे और अगले कुछ दिनों में मेरा रिकॉर्ड तोड़ोगे. बधाई हो.’’

कोहली से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘ तेंदुलकर का संदेश काफी खास है. अभी के लिए यह सब बहुत ज्यादा है.’’

कोहली ने कहा कि प्रशंसकों ने इस मुकाबले को उनके लिए बेहद खास बना दिया.

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक चुनौतीपूर्ण मुकाबला था. संभवतः टूर्नामेंट में अब तक की सबसे कठिन टीम से खेलते हुए अच्छा प्रदर्शन करने की प्रेरणा मिली.’’

उन्होंने कहा, ‘‘ लोगों ने मेरे जन्मदिन को और भी खास बना दिया. मुझे इसके कुछ और होने का एहसास हुआ. जब सलामी बल्लेबाज उस (तेज) अंदाज में शुरुआत करते हैं, तो आपको लगता है कि पिच काफी आसान है. गेंद पुरानी होने के बाद हालांकि परिस्थितियों में बदलाव आया.’’

उन्होंने कहा, ‘‘ टीम प्रबंधन से मुझे आखिर तक बल्लेबाजी करने का संदेश मिला था.  मैं इस दृष्टिकोण से खुश था. जब हम 315 रन के पास पहुंचे थे तब मुझे पता था कि यह अच्छा स्कोर है. ’’

कोहली ने कहा, ‘‘ मैं रिकॉर्ड नहीं बल्कि बस रन बनाना चाहता हूं. मैं क्रिकेट खेलने का आनंद लेता हूं जो अब अधिक महत्वपूर्ण है और मैं टीम के लिए फिर से योगदान देने में सक्षम हूं. मैं खुश हूं कि अब मैं दोबारा से वह कर पा रहा हूं जो मैं इतने सालों से करता आ रहा था.’’


यह भी पढ़ें: क्रिकेट, क्लब और देश— खेल के मैदान पर राष्ट्रवाद की होड़ क्यों नरम पड़ रही है


 

share & View comments