नयी दिल्ली, 27 दिसंबर (भाषा) ओलंपिक, विश्व कप और विश्व चैंपियनशिप पदक विजेता निशानेबाजों ने प्रतिष्ठित द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए लंबे समय से कोच के तौर पर काम कर रही दीपाली देशपांडे के प्रति अपना समर्थन जताया है जिसमें स्वप्निल कुसाले, अर्जुन बबूता और अंजुम मौदगिल शामिल हैं।
यह पुरस्कार कोचों को उनके बेहतरीन काम के सम्मान में और खिलाड़ियों को शीर्ष अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उत्कृष्टता हासिल करने में सक्षम बनाने के लिए दिया जाता है।
दीपाली इस पुरस्कार के दावेदारों में से एक के तौर पर उभरी हैं जिन्होंने अपने जीवन के लगभग 40 साल इस खेल को समर्पित किये हैं जिसमें खुद निशानेबाज के तौर पर खेलना भी शामिल हैं।
कुसाले ने 2024 पेरिस ओलंपिक में पुरुषों की 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस निशानेबाजी स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था और इस स्पर्धा में पोडियम स्थान पाने वाले पहले भारतीय बने।
मौदगिल ने आईएसएसएफ विश्व चैंपियनशिप, विश्व कप, एशियाई चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों जैसे शीर्ष अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में कई पदक जीते हैं।
कुसाले और मौदगिल के अलावा अन्य निशानेबाजों ने अपनी कोच दीपाली के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है जिसमें एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता सिफत कौर सामरा, ओलंपियन और एशियाई चैंपियनशिप के स्वर्ण पदक विजेता अर्जुन बबूता, विश्व चैंपियनशिप के स्वर्ण पदक विजेता अखिल श्योराण और एशियाई निशानेबाजी चैंपियनशिप की विजेता श्रियंका साडंगी शामिल हैं।
दीपाली कई वर्षों से इन सभी निशानेबाजों को ट्रेनिंग दे रही हैं
मौदगिल ने अपने हलफनामे में कहा, ‘‘मैं द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए उनका (कोच दीपाली देशपांडे) पूरा समर्थन करती हूं। ’’
कुसाले ने दीपाली के प्रति अपना समर्थन जताते हुए कहा, ‘‘मैं घोषणा करता हूं कि मैंने अपनी कोच दीपाली देशपांडे के मार्गदर्शन में 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशंस पुरुषों में पेरिस ओलंपिक खेलों 2024 में कांस्य पदक जीता है। वह 2012 से मुझे कोचिंग दे रही हैं। ’’
राइफल निशानेबाज दीपाली (55 वर्ष) ओलंपियन हैं और उन्होंने एशियाई खेलों और एशियाई निशानेबाजी चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। वह 2002 में बुसान एशियाई खेलों में 10 मीटर एयर राइफल टीम स्पर्धा में रजत जीतने वाली टीम की सदस्य थीं।
भाषा नमिता मोना
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