नयी दिल्ली, 18 जुलाई (भाषा) अनुभवी खेल प्रशासक नरिंदर बत्रा ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और साथ ही अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) की सदस्यता भी छोड़ दी।
नयी दिल्ली और जम्मू में बत्रा के कई आवास और कार्यालयों पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के छापे के घंटों बाद उन्होंने अपने पद छोड़े।
सीबीआई अधिकारियों के अनुसार बत्रा से जुड़े दिल्ली और जम्मू के पांच परिसरों पर छापा मारा गया। उनके खिलाफ कथित तौर पर भ्रष्टाचार के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
अप्रैल में सीबीआई ने हॉकी इंडिया के 35 लाख रुपये के कोष में कथित अनियमितता के मामले में बत्रा के खिलाफ आरंभिक जांच शुरू की थी।
बत्रा को भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) का अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा था जब 25 मई को दिल्ली उच्च न्यायालय ने हॉकी इंडिया में ‘आजीवन सदस्य’ के पद को खत्म कर दिया था। बत्रा ने 2017 में हॉकी इंडिया के आजीवन सदस्य के रूप में ही आईओए का चुनाव लड़ा और जीता था।
बत्रा ने उच्च न्यायालय की बड़ी पीठ के समक्ष इस फैसले के खिलाफ अपील की थी लेकिन अदालत ने पूर्व के फैसले पर स्टे देने से इनकार कर दिया और मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को तय की।
बत्रा ने आईओए अध्यक्ष पद से भी आधिकारिक रूप से इस्तीफा दिया।
तीन अलग अलग पत्रों के जरिए बत्रा ने आधिकारिक रूप से आईओए, आईओसी और एफआईएच में अपने पदों से इस्तीफा दिया। उन्होंने तीनों पत्रों में इस्तीफे के लिए निजी कारणों का हवाला दिया है।
बत्रा ने एआईएच के कार्यकारी बोर्ड को लिखा, ‘‘निजी कारणों से मैं एफआईएच के अध्यक्ष पद से इस्तीफा सौंपता हूं।’’
एफआईएच ने बयान में कहा, ‘‘जैसा कि एफआईएच कानून (नियम 7.4 ए) में निर्धारित है, कार्यकारी बोर्ड एक कार्यवाहक अध्यक्ष को पद पर नियुक्त करेगा जब तक कि एफआईएच कांग्रेस रिक्त पद को भरने के लिए किसी व्यक्ति को नियुक्त नहीं करती है। इसलिए कार्यकारी बोर्ड की एक बैठक जल्द से जल्द आयोजित की जाएगी।’’
बयान में कहा गया, ‘‘उसी नियम के अनुसार अगला अध्यक्ष चुनाव आगामी एफआईएच कांग्रेस के दौरान होगा जो इस साल 4 और 5 नवंबर को आनलाइन आयोजित होने की योजना है।’’
बत्रा की आईओसी सदस्यता उनकी आईओए अध्यक्षता से जुड़ी थी लेकिन एफआईएच से उनका इस्तीफा हैरानी भरा है क्योंकि उन्होंने मई में कहा था कि वह अब विश्व हॉकी संस्था में अपने काम पर ध्यान लगाना चाहते हैं।
उच्च न्यायालय द्वारा हटाए जाने के बाद बत्रा ने बयान जारी करके कहा था कि वह आईओए के आगामी चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे लेकिन उन्होंने कहा था कि अब उनका पूरा ध्यान विश्व हॉकी के प्रबंधन पर रहेगा।
पैंसठ साल के बत्रा पहली बार 2017 में आईओए अध्यक्ष बने थे और दोबारा अध्यक्ष पद के लिए चुनौती पेश करने के पात्र थे।
आईओए के चुनाव पिछले साल दिसंबर में होने थे लेकिन चुनाव प्रक्रिया में संशोधन के कारण ये निर्धारित समय पर नहीं हो पाए।
बत्रा 2019 में आईओसी के सदस्य बने और बाद में उन्हें ओलंपिक चैनल आयोग का भी सदस्य बनाया गया।
बत्रा 2016 में एफआईएच अध्यक्ष बने और पिछले साले उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए इस पद पर चुना गया।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने ओलंपियन और हॉकी विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रहे असलम शेर खान की अवमानना याचिका पर बत्रा को आईओए अध्यक्ष के रूप में काम करने से रोका था।
अदालत ने इसके बाद आईओए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल खन्ना को आईओए का कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया था।
बत्रा के कार्यकाल के दौरान कई विवाद हुए थे।
आईओए उपाध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने 2020 में आईओसी को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि शीर्ष पद पर चुनाव के दौरान अनियमितताएं बरती गईं और बत्रा ने घोषणा पत्र में झूठी जानकारी दी।
हाल में बत्रा ने भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढा के खिलाफ सोशल मीडिया पोस्ट के लिए माफी मांगी थी। इस पोस्ट के कारण उनसे आईओए अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की मांग की गई थी।
अप्रैल में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने भी सार्वजनिक कोष में कथित अनियमितताओं के लिए बत्रा के खिलाफ शुरुआती जांच शुरू की थी।
भाषा सुधीर मोना
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