उलानबटोर (मंगोलिया), 23 अप्रैल (भाषा) भारतीय पहलवान रवि कुमार दहिया ने शनिवार को यहां कजाखस्तान के रखत कालजान के खिलाफ दबदबे भरा प्रदर्शन करते हुए एशियाई चैम्पियनशिप में जीत दर्ज की जबकि वापसी कर रहे अनुभवी बजरंग पूनिया को रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
इस तरह भारत के पांचों पुरुष पहलवान इस प्रतियोगिता में पदक जीतने में सफल रहे।
तोक्यो ओलंपिक के पदक विजेता रवि दहिया ने यहां फाइनल में तकनीकी श्रेष्ठता के बूते जीत दर्ज की और लगातार तीसरा स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
गौरव बालियान (79 किग्रा) ने भी प्रभावशाली प्रदर्शन किया लेकिन फाइनल में जीत के करीब पहुंच कर चूक गये। भारत के दो अन्य पहलवान सत्यव्रत कादियान (97 किग्रा) और नवीन (70 किग्रा) कांस्य पदक जीते।
तोक्यो ओलंपिक के रजत पदक विजेता रवि ने अपने सभी मुकाबलों में शुरू में बढ़त गंवा दी थी लेकिन उन्होंने शानदार तरीके से वापसी करते हुए पुरुष फ्रीस्टाइल स्पर्धा में सभी प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ दिया।
यह उनका सत्र का दूसरा फाइनल था। उन्होंने फरवरी में डान कोलोव स्पर्धा में रजत पदक जीता था।
सोनीपत के नहरी गांव के रहने वाले ओलंपिक रजत पदक विजेता रवि ने एक बार फिर अपनी शारीरिक क्षमता और रणनीतिक श्रेष्ठता का परिचय देते हुए पुरुषों के 57 किग्रा फ्रीस्टाइल में पहले जापान के रिकुतो अराई को हराया और बाद में मंगोलिया के जानाबाजार जंदनबुड पर 12-5 से शानदार जीत दर्ज कर फाइनल में जगह बनायी।
खिताबी भिड़ंत में कलजान ‘टेक डाउन’ से आगे हो गये थे और काफी समय तक उन्होंने भारतीय पहलवान को कोई अंक नहीं लेने दिया। लेकिन अपनी शैली के अनुरूप रवि ने तकनीकी श्रेष्ठता की बदौलत मुकाबले पर दबदबा बनाना शुरू कर दिया।
उन्होंने छह लगातार ‘टू-प्वाइंटर’ हासिल किये और इस दौरान खुद को ‘लेफ्ट-लेग अटैक’ से भी बचाया जिससे यह मुकाबला दूसरे पीरियड के शुरू में ही खत्म हो गया और भारत ने इस साल टूर्नामेंट का पहला स्वर्ण पदक जीत लिया।
रवि ने दिल्ली में 2020 चरण में और पिछले साल अलमाटी में भी स्वर्ण पदक जीता था।
तोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद पहली बार प्रतिस्पर्धी मुकाबला खेल रहे बजरंग यहां पूरे लय में नहीं दिखे। वह आक्रमण से ज्यादा रक्षात्मक खेल का सहारा लेते दिखे।
फाइनल से पहले उज्बेकिस्तान के अब्बोस रखमोनोव और ब्रूनेई के हाजी मोहम्मद अली के खिलाफ भी उनके खेल में आक्रामकता की कमी दिखी।
ईरान के मौजूदा जूनियर चैंपियन रहमान मौसा अमौजादखली के खिलाफ फाइनल में बजरंग कभी प्रभावी नहीं दिखे। ईरान के पहलवान ने बजरंग के ऊपरी शरीर के साथ कलाई पर मजबूत पकड़ बना ली। रहमान ने बजरंग के दाहिने पैर पर हमले के साथ दो अंक अर्जित किए और भारतीय पहलवान की वापसी का मौका खत्म कर दिया।
यह एशियाई चैंपियनशिप में बजरंग का आठवां पदक था।
गौरव (79 किग्रा) ने ईरान के दिग्गज अली बख्तियार सावादकौही के खिलाफ फाइनल और उससे पहले के मुकाबले में दमदार प्रदर्शन किया।
फाइनल में वह एक समय 0-8 से पिछड़ रहे थे लेकिन उन्होंने स्कोर को 9-9 से बराबर कर दिया। ईरान के खिलाड़ी को अधिक अंक ( चार अंक) वाले चाल के कारण विजेता घोषित किया गया।
गौरव ने इससे पहले क्वार्टर फाइनल ने अपनी फुर्ती और तकनीकी के दम पर अनुकूल परिणाम हासिल किये। उन्होंने तुर्कमेनिस्तान के गुरबनमायरत ओवेजबर्डियेव को केवल 28 सेकेंड में धूल चटा दी थी।
सेमीफाइनल में किर्गिस्तान के अरसलान बुडाजापोव ने उन्हें कड़ी चुनौती दी। जब 14 सेकेंड का समय बचा था तब गौरव 4-5 से पीछे चल रहे थे लेकिन उन्होंने जल्द ही स्कोर 6-5 किया और आखिर में 8-5 से जीत हासिल की।
भारत इस महाद्वीपीय चैंपियनशिप में एक स्वर्ण और चार रजत सहित कुल 15 पदक जीते हैं।
भाषा आनन्द नमिता
नमिता
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