नयी दिल्ली, 18 मई (भाषा) अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) पर 2009 से एकछत्र राज करने वाले प्रफुल्ल पटेल ने जब भी असंतोष के स्वर उठे, उन्हें दबा दिया, वह नियत कार्यकाल से अधिक समय तक पद पर बने रहे लेकिन आखिर में उन्हें उच्चतम न्यायालय ने बाहर का रास्ता दिखा दिया।
पटेल का तीसरा कार्यकाल दिसंबर 2020 में समाप्त होना था, लेकिन वह 2017 से उच्चतम न्यायालय में लंबित एक मामले की दुहाई देकर अपने पद से चिपके रहे। उन्होंने नये संविधान के मसले पर शीर्ष अदालत का फैसला आने तक चुनाव कराने से भी इन्कार कर दिया था।
यही कारण है कि उच्चतम न्यायालय को एआईएफएफ के संचालन और राष्ट्रीय खेल संहिता के दिशानिर्देशों के अनुरूप इसके संविधान को लागू करने की दिशा में उचित कदम उठाने के लिये पूर्व न्यायाधीश एआर दवे की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय प्रशासकों की समिति (सीओए) नियुक्त करने के लिये मजबूर किया।
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी और भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान भाष्कर गांगुली सीआईए के दो अन्य सदस्य हैं।
यह पिछले 85 वर्षों में पहला अवसर है जबकि प्रशासकों की समिति एआईएफएफ का कार्यभार संभालेगी। इससे पहले उसने कभी चुनावों को नहीं टाला था लेकिन पटेल की अगुवाई में यह नया चलन शुरू हो गया था।
पटेल ने पहली बार 2008 में एआईएफएफ के तत्कालीन प्रमुख प्रियरंजन दासमुंशी को दिल का दौरा पड़ने के बाद अध्यक्ष पद संभाला था क्योंकि तब वह वरिष्ठ उपाध्यक्ष थे। इसके बाद पटेल 2009 में पूर्णकालिक अध्यक्ष बन गये और फिर लंबे समय तक इसके सर्वेसर्वा बने रहे और अब सीओए के आने से उनका कार्यकाल समाप्त हुआ।
गांगुली ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत किया और इसे भारतीय फुटबॉल की बड़ी जीत करार दिया।
एआईएफएफ की राज्य इकाईयों को उच्चतम न्यायालय से इस तरह के फैसले की उम्मीद थी, हालांकि वे खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं।
एक राज्य इकाई के अधिकारी ने पीटीआई से कहा, ‘‘मुझे याद नहीं है कि एआईएफएफ के संचालन के लिये प्रशासकों की समिति कब नियुक्त की गई थी और अगर चुनाव समय पर (दिसंबर 2020 में) हो जाते तो ऐसा नहीं होता।’’
अधिकारी हालांकि अभी जश्न नहीं मना रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि विश्व फुटबॉल की सर्वोच्च संस्था फीफा ‘‘बाहरी हस्तक्षेप’’ के लिये कोई कदम उठा सकता है और एआईएफएफ पर प्रतिबंध तक लगा सकता है।
पटेल शक्तिशाली फीफा परिषद में हैं और कई लोगों ने उन पर आरोप लगाया कि वह अदालत की कार्रवाई पर फीफा से प्रतिबंध की चेतावनी दे रहे थे।
भारत को इस साल अक्टूबर में फीफा महिला अंडर-17 विश्व कप की मेजबानी करनी है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘फीफा एआईएफएफ पर प्रतिबंध लगा सकता है, यह एक संभावना है। यह सब चुनाव नहीं करवाने के कारण हुआ।’’
भाषा पंत सुधीर
सुधीर
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.