वाशिंगटन, 19 मई (भाषा) अमेरिकी फुटबॉल महासंघ (यूएसएसएफ) ने पुरूषों और महिला टीमों को एक समान भुगतान करने का समझौता किया जिससे अमेरिकी राष्ट्रीय संचालन संस्था खेल में दोनों वर्गों के लिये बराबर राशि देने वाली पहली संस्था बन गयी।
महासंघ ने बुधवार को दोनों राष्ट्रीय टीमों के संघों के साथ दिसंबर 2028 तक समझौता किया जिससे वर्षों से अकसर होने वाली तीखी बहस भी खत्म हो गयी।
अमेरिका की सफल महिला टीम की स्टार खिलाड़ी एलेक्स मोर्गन और मेगान रापिनो 2019 में महिला विश्व कप चैम्पियनशिप दिलाने में अहम रही थीं और दोनों लैंगिक समानता की लड़ाई की अगुआ भी रही।
अमेरिकी महिला खिलाड़ियों ने जब फ्रांस में खिताब जीता था तो बराबर वेतन का मुद्दा काफी सुर्खियों में रहा था।
अमेरिकी फारवर्ड मारग्रेट पर्स ने कहा, ‘‘मुझे लड़कियों के लिये बहुत गर्व महसूस हो रहा है जिन्हें इसके लिये लड़ना नहीं होगा बल्कि उनकी अहमियत को पहचान मिलेगी। हालांकि मेरे पिता हमेशा मुझसे कहते कि आप जो करते हो, उसके लिये तुम्हें पुरस्कृत नहीं किया जाता है। लेकिन आपको पुरूष और महिलाओं को एक समान वेतन देना चाहिए। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपको कोई स्टार नहीं दे रही हूं, लेकिन मैं इस उपलब्धि के लिये आभारी हूं और उन सभी लोगों की भी जिन्होंने एक साथ मिलकर इसे संभव बनाया। ’’
शायद सबसे बड़ा झटका विश्व कप की पुरस्कार राशि थी जो टूर्नामेंट में टीमों के सफर पर आधारित थी। अमेरिकी महिला फुटबॉल टीम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार विश्व कप खिताब जीतकर काफी सफल रही है लेकिन फीफा पुरस्कार राशि में अंतर के कारण वे पुरूष विजेताओं की तुलना में काफी कम राशि हासिल कर पातीं।
अमेरिकी महिला टीम को 2019 विश्व कप जीतने के लिये 110,000 डॉलर का बोनस मिला जबकि अमेरिकी पुरूष टीम अगर 2018 में विश्व कप जीतती तो उन्हें 407,000 डॉलर की राशि मिली होती।
संघों ने इस साल के अंत में पुरूष विश्व कप और अगले साल महिला विश्व कप के लिये फीफा भुगतान को ‘पूल’ (एक साथ इकट्ठा) करने पर सहमति जतायी। इसके अलावा 2026 और 2026 टूर्नामेंट के भुगतान को भी ‘पूल’ किया जायेगा। इस तरह यूएसएसएफ पहली संस्था होगी जो इस तरीके से फीफा पुरस्कार राशि को ‘पूल’ करेगी।
भाषा नमिता
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