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Tuesday, 22 October, 2024
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GST की वजह से परेशान था जूता कारोबारी, FB पर किया आत्महत्या का प्रयास, कहा- BJP ने अपने वादे को तोड़ा

यूपी के जूता कारोबारी राजीव तोमर ने अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए चंदा दिया था, भाजपा नेताओं के साथ की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी, लेकिन कुछ ही समय बाद बीजेपी से उनका मोहभंग हो गया.

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बागपत:  42 वर्षीय जूता कारोबारी राजीव तोमर ने मंगलवार की दोपहर फेसबुक लाइव किया. इस दौरान उनकी पत्नी भी साथ में थी. शुरू में लग रहा था कि वे हंसी-मजाक कर रहे हैं. उन्होंने अपनी पत्नी से कहा, ‘दो मिनट बैठो. सरकार तो इस दुनिया में किसी की बात सुनती नहीं, तू तो सुन ले.’ कुछ ही सेकंड के भीतर, तोमर का मूड पूरी तरह बदल गया. वे पूरी तरह हताश और निराश दिखने लगे.

तोमर के इस फेसबुक लाइव का क्लिप बुधवार को वायरल हो गया. इस क्लिप में दिख रहा है कि उन्होंने पाउडर की तरह दिखने वाली किसी चीज का कोई पाउच खोला और उसे खा लिया. ऐसा करने पर उनकी पत्नी बेचैन हो गईं और उन्हें थूकने के लिए कहती हैं.

उत्तर प्रदेश के बागपत के बड़ौत में उनकी दुकान है. इसी दुकान पर उन्होंने अपनी पत्नी की मौजूदगी में फेसबुक लाइव किया और आत्महत्या करने का प्रयास किया. इस दौरान उनकी पत्नी ने उन्हें रोकने की भी कोशिश की. लाइव में राजीव ने कहा, ‘मोदी मेरे मौत का जिम्मेदार होगा. मैं देशद्रोही नहीं हूं. यह सरकार छोटे किसानों और दुकानदारों की हितैषी नहीं है.’

फेसबुक लाइव वीडियो से एक स्क्रीनग्रैब

बाद में, जब राजीव को अस्पताल ले जाया जा रहा था, तो इस दौरान भी वे भाजपा के खिलाफ बोलते रहे. तोमर की दुकान के नजदीक दुकान चलाने वाले एक प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक, उन्होंने कहा, ‘यहां कुछ नहीं रखा है. बस भाषण दे रहे हैं. किसी का कुछ नहीं होने वाला.’

दुखद बाद यह भी है कि राजीव के जहर खाने के बाद, उनकी पत्नी पूनम ने भी राजीव के पास बचे जहर को खा लिया. दोनों को बड़ौत के मेडिसिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया. कुछ घंटे बाद पूनम की मौत हो गई. वहीं, राजीव को आईसीयू में रखा गया है.

डॉक्टरों के मुताबिक, राजीव की हालत स्थिर है. राजीव और पूनम के दो बेटे हैं. एक की उम्र 14 साल और दूसरे की 12 साल है. सार्वजनिक तौर पर आत्महत्या के इस प्रयास ने पूरे समुदाय को झकझोर कर रख दिया है.

आत्महत्या के प्रयास से पहले, तोमर ने 7 फरवरी को एक और वीडियो फेसबुक पर पोस्ट किया था. इसमें उन्होंने कहा था कि वह काफी कठिन दौर से गुजर रहे हैं, क्योंकि उनका कारोबार महीनों से ठप्प पड़ा हुआ है. उन्होंने उस वीडियो में कहा था, ‘वे (भाजपा) छोटे किसानों, दुकानदारों, और कारोबारियों को भूल गए हैं. यह आजकल का चुनावी मुद्दा भी नहीं है. मैं लगभग पूरी तरह खत्म हो चुका हूं, इसलिए मैं बोल रहा हूं.’

तोमर ने यह भी दावा किया कि लॉकडाउन के कारण दुकान में रखा उनका 1.5 लाख से 2 लाख रुपये का स्टॉक बर्बाद हो गया. उन्होंने यह भी कहा कि कम बिक्री के बावजूद उन्हें अभी भी जीएसटी भरना होगा. उन्होंने कहा, ‘अकाउंटेंट ने कहा कि जीएसटी तो भरना पड़ेगा, नहीं तो ऊपर से पूछताछ होगी.’

तोमर ने अपने वीडियो में भाजपा से मोहभंग होने की भावना जिस तरीके से जाहिर की, वह उनके उस उत्साह से बिल्कुल अलग था जो कभी उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के लिए दिखाया था.


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भाजपा के समर्थक से आलोचक तक का सफर

तोमर के फेसबुक पेज के मुताबिक, वह 2013 में बीजेपी के सदस्य बने थे. बागपत के कासिमपुर खीरी के रहने वाले तोमर ने यूपी बीजेपी के नेताओं के साथ अपनी कई फोटो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी. इनमें से कई फोटो बागपत के सांसद और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह के साथ थे. 2016 में जब अमित शाह फिर से बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए, तो इस मौके पर लगे होर्डिंग्स में भी तोमर की तस्वीर थी.

तोमर की फेसबुक टाइमलाइन देखने से यह पता चलता है कि उन्होंने कभी-कभी सरकारी नीतियों पर सवाल उठाए. उनके जानने वालों का मानना है कि वह आमतौर पर पार्टी को लेकर अच्छी बातें ही करते थे.

कासिमपुर खीरी के रहने वाले किसान उदयवीर सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘उन्हें राजनीति के बारे में अच्छी समझ थी और क्षेत्र में उनका प्रभाव भी था. वह गुजरात के बड़ौदा में एमएस यूनिवर्सिटी में पढ़ते समय बीजेपी के संपर्क में आए थे. हमें नहीं पता था कि वह राजनीतिक नेतृत्व से नाराज थे. चुनाव से जुड़ी चर्चा के दौरान भी वे भाजपा का ही समर्थन करते थे.’

बागपत के सांसद सत्यपाल सिंह के साथ राजीव तोमर (दाएं)

हालांकि, तोमर के परिवार का कहना है कि वे जीएसटी लागू होने से खुश नहीं थे. कोरोना महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन के बाद छोटे दुकानदारों की स्थिति से वे काफी परेशान थे. तोमर के चाचा विजयपाल सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘जीएसटी की वजह से उन्हें कुछ समस्या हो रही थी. उनका कारोबार भी सही नहीं चल रहा था. वह पैसे कमाने के लिए कुछ और करने पर विचार कर रहे थे.’

चाचा ने आगे बताया, ‘तोमर राजनीतिक रूप से सक्रिय व्यक्ति थे, लेकिन बीजेपी की अपने वादों को पूरा नहीं करने की नीति उनके लिए नुकसानदायक साबित हो रही थी.’

पीड़ित परिवार ने कहा कि अभी तक भाजपा की ओर से कोई भी व्यक्ति बातचीत करने और परिवार का हाल जानने नहीं आया है.

उनके चाचा कहते हैं, ‘चुनाव की वजह से वे (भाजपा नेता) इस मुद्दे से बचना चाहते हैं. दूसरे दलों के स्थानीय नेता उनके परिवार से मिलने आए, लेकिन भाजपा से कोई नहीं आया.’

दिप्रिंट ने बुधवार को सांसद सत्यपाल सिंह से टेलिफोन के जरिए संपर्क करने की कोशिश की थी, लेकिन उनके सहायक ने कहा कि वह ‘इस मुद्दे पर कल बात करेंगे.’

कारोबार पर संकट

अपने एक लाइव वीडियो में तोमर ने ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी से की थी. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, ‘मैं थोक व्यापारी के तौर पर 80 रुपये में जूते बेचता हूं, लेकिन जियो मार्ट उसी जूते को 65 रुपये में बेचता है. ऐसे में छोटे दुकानदार कहां जाएंगे?’

परिवार के अनुसार, तोमर ने 2012 में खेती छोड़ कारोबार करना शुरू किया था. 2019 में उन्होंने नया शोरूम खोला और कई लोगों को नौकरी पर रखा. वे पीएम मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान से उत्साहित थे. उन्होंने राम जन्मभूमि मंदिर के लिए चंदा दिया. साथ ही, 2021 में एक फेसबुक पोस्ट के जरिए दूसरे लोगों को भी ऐसा करने के लिए कहा.

कासिमपुर खीरी के ही रहने वाले एक अन्य किसान योगेंद्र सिंह कहते हैं, ‘मैं कल्पना कर सकता हूं कि कोई व्यक्ति किस हालात में इतना बड़ा कदम उठा सकता है. मध्यमवर्गीय परिवार का कोई व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ना चाहता है और वह कुछ बड़ा करना चाहता है, तो वह कर्ज लेता है. अगर वह कर्ज चुकाने में असमर्थ हो जाता है, तब ही ऐसा कदम उठाने की सोचता है. राजीव बहुत बुद्धिमान व्यक्ति हैं. मैंने कुछ दिन पहले ही उनसे राजनीति और सामाजिक मुद्दों पर बात की थी.’

योगेंद्र सिंह ने आगे कहा, ‘सरकार की ओर से मुफ्त में दिया जा रहा राशन, छोटे कारोबारियों और दुकानदारों की समस्या का समाधान नहीं है. कई तरह के दूसरे खर्च भी होते हैं. लॉकडाउन के बाद से, हम में से कई लोगों की जिंदगी कठिनाई में गुजर रही है. परिवार के लोग अभी भी इससे प्रभावित हैं. केवल पीड़ित लोग ही जानते हैं कि वे किस हालात में अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं.’

राजीव तोमर की बंद दुकान | फोटो: उन्नति शर्मा/दिप्रिंट

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इसमें सरकार की क्या भूमिका है?

कई अन्य पड़ोसियों और परिचितों को तोमर की शिकायतों के प्रति ज्यादा सहानुभूति नहीं है. उन्होंने कहा कि तोमर ने सरकार पर गलत आरोप लगाए हैं. कुछ ने यह भी कहा कि तोमर ने नई दुकान खोलने के लिए कर्ज लिया था और वे उन्हें लौटाने में असमर्थ थे.

भाजपा कार्यकर्ता और पार्टी के किसान प्रकोष्ठ के पूर्व कोषाध्यक्ष धर्मवीर सिंह के अनुसार, तोमर अपने किए के लिए खुद जिम्मेदार थे. उन्हें सरकार को दोष नहीं देना चाहिए. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘आज के युवा दबाव नहीं झेल सकते हैं. वे काफी ज्यादा की उम्मीद लगाए बैठे होते हैं और जब ये पूरी नहीं होती, तो वे ऐसे खतरनाक कदम उठाते हैं.’

एक अन्य पड़ोसी स्वराज सिंह ने कहा कि तोमर का सरकार की आलोचना करने वाला वीडियो पोस्ट करना ‘गलत’ था. उन्होंने कहा, ‘इसमें सरकार की क्या भूमिका है? सरकार तो यह नहीं देखेगी कि हर घर में क्या हो रहा है. अगर मैं अपनी कमाई से ज्यादा खर्च करता हूं, तो मुझे भी चिंता होगी.’

उन्होंने आगे कहा, ‘यहां के स्थानीय साहूकार बहुत सख्त हैं. बैंक से कर्ज लेना अलग बात होती है, लेकिन जब आप स्थानीय साहूकार से कर्ज लेते हैं, तो उनके नियम काफी सख्त होते हैं. वे समय पर पैसे न चुकाने पर काफी परेशान करते हैं.’

दिप्रिंट ने मामले पर टिप्पणी के लिए बागपत के पुलिस अधीक्षक नीरज जादौन को मैसेज किया, लेकिन उनकी ओर से किसी तरह का जवाब नहीं आया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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