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Thursday, 19 December, 2024
होमरिपोर्टदिल्ली बुक लॉन्च में टॉप मंत्रियों ने UPI से ई-गवर्नेंस तक भारत के ‘Techade’ पर की बात

दिल्ली बुक लॉन्च में टॉप मंत्रियों ने UPI से ई-गवर्नेंस तक भारत के ‘Techade’ पर की बात

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने दिल्ली में नलिन मेहता की पुस्तक, इंडियाज़ टेकेड के विमोचन के अवसर पर कहा, युवाओं 'अंदर भूख', भोजन के लिए नहीं बल्कि 'जीवन की बेहतरीन चीजों' के लिए.

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नई दिल्ली: डिजिटल इंडिया की छठी वर्षगांठ पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योजना के लाभार्थियों के साथ एक आभासी सम्मेलन में देश की “इनोवेशन के प्रति जुनून” की सराहना की. उन्होंने कहा कि भारत का डेटा और जनसांख्यिकीय लाभांश, इसकी अद्वितीय तकनीकी शक्ति के साथ मिलकर, इस दशक को देश का ‘techade’ बना देगा.

ये दो साल पहले की बात है.

मोदी के शब्द हाल ही में नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में पूर्व पत्रकार नलिन मेहता की पुस्तक, इंडियाज़ टेकेड: डिजिटल रिवोल्यूशन एंड चेंज इन द वर्ल्ड्स लार्जेस्ट डेमोक्रेसी के लॉन्च के अवसर पर खचाखच भरे हॉल में जीवंत हो उठे.

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने समीक्षकों द्वारा प्रशंसित 2019 की फिल्म पैडमैन का हवाला दिया, जहां लक्ष्मी नाम का एक युवक महिलाओं की मासिक धर्म संबंधी परेशानियों को कम करने के लिए सस्ते सैनिटरी नैपकिन विकसित करता है, यह दिखाने के लिए कि “भारत और भारतीय प्रौद्योगिकी का उपयोग करना जानते हैं” – यह मेहता की पुस्तक और इसके लॉन्च इवेंट का केंद्रीय बिन्दु था.

तकनीक के साथ गवर्नेंस को बढ़ाना

गोयल के साथ सेशन भारत की उल्लेखनीय तकनीक और डिजिटल प्रगति – इसके बढ़ते आईटी उद्योग, सॉफ्टवेयर निर्यात और स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक प्रशंसा-उत्सव था. डिजिटल इंडिया जैसी पहल ने डिजिटल साक्षरता, ई-गवर्नेंस और इंटरनेट पहुंच को बढ़ावा दिया है, आर्थिक विकास, नवाचार और सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा दिया है और भारत को एक वैश्विक डिजिटल पावरहाउस के रूप में स्थापित किया है.

वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और सब्सिडी के मुद्दों से निपटने के लिए उपयोग की जाने वाली JAM त्रिमूर्ति – जन धन, आधार और मोबाइल – पर गोयल के सेशन में विस्तार से चर्चा की गई पहलों में से एक थी. तीनों के बीच तालमेल कुशल सब्सिडी प्रबंधन सुनिश्चित करता है; धनराशि सीधे आधार से जुड़े बैंक खातों में जाती है, जिससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगता है और इच्छित प्राप्तकर्ताओं को लाभ होता है.

हॉल ने माना कि JAM भ्रष्टाचार को कम करता है, सब्सिडी को सुव्यवस्थित करता है और वित्तीय समावेशन को व्यापक बनाता है, जो कि भारत का सब्सिडी परिदृश्य बदलने में मदद करता है. गोयल ने उदाहरण के तौर पर गर्व से मोदी के स्वतंत्रता दिवस के भाषण का हवाला दिया, जहां मोदी ने 10 करोड़ “फर्जी लाभार्थियों” के लिए कल्याण सहायता रद्द करने का उल्लेख किया था. गोयल ने व्यवसायों को अनुकूलित करने, गवर्नेंस को बढ़ाने और नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए जियो-मैपिंग और जियो-टैगिंग जैसी डिजिटल प्रौद्योगिकियों के सरकार के “इनोवेटिव यूज़” को श्रेय दिया.

‘काफी भूख है’

गोयल ने दर्शकों को संबोधित करते हुए कहा, युवा आबादी के अंदर “काफी भूख” है, भोजन के लिए नहीं बल्कि “जीवन की बेहतरीन चीजों” के लिए. उन्होंने कहा कि डिजिटल दुनिया में भारत के प्रवेश ने उसकी उद्यमशीलता की भावना को बढ़ा दिया है, यहां तक कि फेरीवाले भी अपने व्यवसाय और अपनी क्रेडिट रेटिंग बढ़ाने के लिए डिजिटल भुगतान स्वीकार करते हैं.

माता-पिता जैसे गर्व और विस्मय के साथ, गोयल ने मुंबई के घाटकोपर में एक डोसा विक्रेता का उल्लेख किया, जो प्रतिदिन 300 रुपये में लगभग 300 डोसा बेचता है. गोयल ने कहा, विक्रेता केवल तेज, आसान और सुरक्षित लेनदेन के लिए यूपीआई भुगतान स्वीकार करता है और मांग बढ़ने से पहले ही उसकी सप्लाई खत्म हो जाती है.

प्रौद्योगिकी का लोकतंत्रीकरण

भारत के शीर्ष डिजिटल भुगतान प्लेटफार्मों में से एक, पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा भी उस पैनल का हिस्सा थे, जिसने गोयल के सत्र के बाद देश के फिनटेक क्षेत्र पर उत्साहपूर्वक चर्चा की.

शर्मा ने भारत के आईटी विकास पर दिग्गज उद्योगपति के विचारों का भी खुलासा किया. भारत वह नहीं कर सकता था जो जापान या जर्मनी जैसे देश तब कर सकते थे क्योंकि “उसकी कंप्यूटर क्रांति अंग्रेजीकृत थी.” उन्होंने कहा कि भारत ने कभी भी माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस को क्षेत्रीय भाषा में नहीं अपनाया.

शर्मा ने कहा, जैसा कि कोहली ने कई साल पहले भविष्यवाणी की थी, भाषा प्रौद्योगिकी को जन-जन तक ले जाने का प्राथमिक साधन है. इसका उपयोग भारतीय माइक्रोब्लॉगिंग साइट कू द्वारा बहुत किया जाता है, जिसके सह-संस्थापक अप्रमेय राधाकृष्ण भी पैनलिस्टों में से थे.

राधाकृष्ण ने खुलासा किया कि उनका 80 प्रतिशत मंच भाषाओं पर केंद्रित है. ऐप का प्रवाह उपयोगकर्ताओं को अपने ब्लॉग को कई भाषाओं में अनुवाद करने की अनुमति देता है. दिलचस्प बात यह है कि ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला डी सिल्वा भी कू का उपयोग करते हैं, अपने विचारों का हिंदी में अनुवाद करते हैं और भारत के हिंदी पट्टी में प्रभाव पैदा करते हैं. उन्होंने कहा, लूला का “इंदौर, लखनऊ और कानपुर जैसे शहरों में नेटवर्क है और भारत में किसी को पता भी नहीं है.”

राधाकृष्ण के अनुसार, हर देश को सोशल मीडिया के स्थानीय संस्करण की आवश्यकता होती है, और उन्होंने इसे “वैश्विक सेवा” के रूप में प्रदान करने की योजना का खुलासा किया. घरेलू सोशल मीडिया नियमों के अनुसार इंटरफ़ेस को अनुकूलित करने का विचार है. उन्होंने घोषणा की, “भारत में जन जन तक पहुंचना और एक ही मंच के साथ वैश्विक स्तर पर पहुंचना कू की प्राथमिकता है.”

जियो-टैगिंग और जियो-मैपिंग के बारे में सभी चर्चाओं के बीच, “जियो का एक भी उल्लेख नहीं था”

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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