scorecardresearch
Thursday, 19 December, 2024
होमदेशधमकियां, प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ फर्जी मामले, ‘दबंगई’ - ऐसी है सट्टेबाज अनिल जयसिंघानी की ज़िंदगी

धमकियां, प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ फर्जी मामले, ‘दबंगई’ – ऐसी है सट्टेबाज अनिल जयसिंघानी की ज़िंदगी

जयसिंघानी ने अपने तमाम प्रतिद्वंद्वियों- चाहे वे राजनेता हों, व्यापारी हों या पुलिस के अधिकारी सभी को झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश करके ही टक्कर ली है. अब बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस की पत्नी ने उसकी बेटी के खिलाफ मामला दर्ज कराया है.

Text Size:

नई दिल्ली/मुंबई: ठीक नौ साल पहले 2014 में किसी समय अनिल जयसिंघानी नामक एक बुकी (सट्टेबाज)- जो अमृता फडणवीस द्वारा दर्ज करवाई गई एफआईआर के केंद्र में हैं – ने एक अन्य बुकी द्वारा कथित तौर पर चलाए जा रहे सट्टेबाजी और मैच फिक्सिंग वाले रैकेट के खिलाफ जानकारी देने के लिए मुंबई पुलिस से संपर्क किया था. दिप्रिंट को इस बात की जानकारी मिली है.

इस पूरे मामले में अपनी याददाश्त पर जोर डालते हुए मुंबई के एक वरिष्ठ पूर्व पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने उक्त सूचना पर कार्रवाई की और मुंबई के एक उत्तरी उपनगर में आरोपियों के ठिकाने पर छापा मारा, जिसके बाद जयसिंघानी धमकियां मिलने के बहाने अपने लिए सुरक्षा घेरे की मांग करते हुए पुलिस के पास वापस आया.

जयसिंघानी के उल्हासनगर घर के निकट कई राजनेता और उसके परिचित इस कुख्यात बुकी और यहां तक कि उसके बेटे की भी की कहानियां सुनाते हैं और बताते हैं कि कैसे पुलिस के सुरक्षा घेरे के साथ मुंबई का सेटेलाइट टाउन माने जाने वाले इस शहर में घूमते हुए इन दोनों ने इस सारे दिखावे का उपयोग कर अपनी धाक को और बढ़ने की कोशिश की.

उन सभी का मानना है कि जय का काम करने का यही तरीका था – अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ गुप्त जानकारी के साथ पुलिस के पास जाना, अपने दुश्मनों को कथित तौर पर धमकी देना और उनके खिलाफ ‘फर्जी’ मामले दर्ज करवाना और इस सब के साथ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और राजनेताओं से अपनी निकटता का दावा करके अपने आसपड़ोस में अपनी ‘वास्तविकता से बड़ी छवि’ बनाने की कोशिश करना.

हालांकि, पिछले महीने अमृता फडणवीस ने मालाबार हिल पुलिस स्टेशन में जयसिंघानी की बेटी अनिक्षा के खिलाफ कथित रूप से उसके हिस्ट्रीशीटर (पुलिस के रिकॉर्ड में आपराधिक इतिहास वाला व्यक्ति) पिता के विरुद्ध दर्ज कई मामलों को रद्द करवाने के मकसद से एक करोड़ रुपये की रिश्वत देने की कोशिश करने के आरोप में एक एफआईआर दर्ज कराई है. इस बीच महाराष्ट्र विधानसभा में उनके पति और राज्य के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आरोप लगाया कि यह सब उन्हें फंसाने की साजिश है.

उल्हासनगर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व नगरसेवक अजीत सिंह लबाना ने दिप्रिंट को बताया, ‘‘जयसिंघानी को अपने लिए एक ‘दबंग’ छवि पसंद थी. उसने अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ कई फर्जी मामले गढ़े हैं और एफआईआर दर्ज कराई हैं. उसके खिलाफ जवाबी मुकदमे भी दर्ज किए गए हैं.’’

जयसिंघानी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी लबाना जो पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ थे, ने बताया कि उनकी भी इसे बुकी के साथ एफआईआर और काउंटर एफआईआर वाली लड़ाई हो रखी है.

अदालत के रिकॉर्ड के अनुसार, अनिल जयसिंघानी के खिलाफ विट्ठलवाड़ी के उल्हासनगर, मुंबई के आज़ाद मैदान और साकीनाका, अहमदाबाद और गोवा सहित विभिन्न पुलिस थानों में कम-से-कम 14 मामले दर्ज हैं. इन्हीं से एक मामला उसकी बेटी अनिक्षा- जिसे मुंबई पुलिस ने गुरुवार को अमृता फडणवीस वाली एफआईआर के सिलसिले में गिरफ्तार किया था, द्वारा मुंबई की एक अदालत से अग्रिम जमानत मांगने की वजह बना था.

जयसिंघानी के खिलाफ महाराष्ट्र और गुजरात सहित विभिन्न राज्यों में गैर-जमानती वारंट भी जारी किए गए हैं और कई अदालतों द्वारा उसे ‘भगोड़ा अपराधी’ घोषित किया है .

बॉम्बे हाईकोर्ट ने तो अपने कई आदेशों में जयसिंघानी का पता लगाने में नाकाम रहने के लिए मुंबई पुलिस को फटकार भी लगाई है. इनमें से कई मामले तब दायर किए गए थे जब फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे और साल 2014 से लेकर 2019 तक गृह मंत्रालय के प्रभारी भी थे.

राज्य विधानसभा में फडणवीस ने कहा था कि अनिक्षा ने साल 2015-16 में खुद के एक डिजाइनर होने की आड़ में उनकी पत्नी के साथ दोस्ती की थी. एक शिकायत पर की गई जांच की रिपोर्ट, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास भी है, के अनुसार जयसिंघानी ने साल 2015 में एक पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) के खिलाफ कथित तौर पर उसका अपहरण करने और पैसे ऐंठने की कोशिश करने की शिकायत हेतु फडणवीस से संपर्क किया था.


यह भी पढ़ेंः पीड़ित या अपराधी? महिला के अपने दुराचारी को मार डालने के मामले में कैसे उलझ जाते हैं कानूनी दांवपेच


पुलिसवालों के खिलाफ ‘फर्जी’ शिकायत

14 जून, 2016 की तारीख वाली इस जांच रिपोर्ट के अनुसार, जयसिंघानी ने आरोप लगाया था कि अमर जाधव, तत्कालीन मुंबई पुलिस के डीसीपी ने साल 2009 में उन्हें जबरन जुआ खेलने और इसी बहाने ‘करोड़ों रुपये’ ऐंठने के लिए बुलाया था. बुकी ने यह भी शिकायत की थी कि उसे बिना कोई एफआईआर दर्ज किए चार दिनों तक कैद में रखा गया था.

इस मामले की तहकीकात के दौरान, जयसिंघानी ने दावा किया था कि वह स्थानीय साप्ताहिक पत्रिकाओं – ‘एटम’ और ‘टाउन दर्शन’ का एडिटर है और साल 2001 में लिखे गए अपने एक लेख में उसने जाधव पर तत्कालीन ठाणे पुलिस प्रमुख की तरफ से ‘हफ्ता वसूलने वाले’ के रूप में काम करने का आरोप लगाया था. उसने दावा किया कि इसी वजह से जाधव ने साल 2002 और फिर साल 2009 में भी उसके खिलाफ सट्टेबाजी का मामला दर्ज किया था.

हालांकि, मुंबई पुलिस के तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) के.एम.एम. प्रसन्ना द्वारा की गई जांच में जाधव को बरी कर दिया गया था.

इस पूरी शिकायत को ‘काल्पनिक, झूठा और निराधार’ बताते हुए इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘यह साबित हो गया है कि शिकायतकर्ता ने अंतरराष्ट्रीय सट्टेबाजी कार्टेल (गिरोह) या अन्य अपराधियों के साथ अपने संबंधों का खुलासा हो जाने के डर से और अपने अपराध के सिलसिले में की जा रही जांच को प्रभावित करके अपनी रिहाई को आसान बनाने के लिए ही ये आरोप लगाए हैं.’’

जाधव ने साल 2017 में पुलिस बल से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी.

शुक्रवार को पत्रकारों के लिए जारी किए गए एक बयान में जाधव ने कहा,‘‘मैंने 2004 और 2009 में छापा मारा और उसे (जयसिंघानी को) गिरफ्तार कर लिया. मेरी कार्यवाही से खार खाते हुए उसने झूठे मामले दर्ज करने, जबरन वसूली आदि के गंभीर आरोप लगाए थे. यह एकमात्र ऐसे आरोप हैं जिनका मैंने अपने पूरे करियर के दौरान सामना किया है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे अपने पूरे करियर में कभी भी दंडित नहीं किया गया और मुझे अपनी सराहनीय सेवाओं के लिए डीजी के इन्सिग्निया (प्रतीक चिन्ह) से भी सम्मानित किया गया है.’’


यह भी पढ़ेंः रिहाई से पहले कैसे 15 साल के किशोर ने रेप-मर्डर मामले में मौत की सजा का इंतजार करते जेल में काटे 5 साल


‘फर्जी’ रेप केस

बीजेपी के एक पूर्व एमएलसी (विधान पार्षद) ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘‘जयसिंघानी कहता था कि वह सभी पार्टियों के राजनेताओं को जानता है, लेकिन किसी की परवाह नहीं करता.वे केवल अपने दबदबे और पैसे की परवाह करता है और इसका इस्तेमाल अपने प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने के लिए करता है.’’

इस एमएलसी ने एक उदाहरण दिया कि कैसे जयसिंघानी ने कथित रूप से असम में व्यवसायी किशोर केशवानी, नंद जेठानी और काई जेठानी के खिलाफ नशीले पदार्थों (ड्रग्स) का केस बनाया था. उल्हासनगर के ही निवासी रहे केशवानी और जयसिंघानी के बीच काफी वक्त से झगड़ा चल रहा है और दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ कई पुलिस मामले दर्ज किए हुए हैं.

जयसिंघानी के खिलाफ दर्ज ऐसे ही एक मामले में मुंबई के सीएचएम कॉलेज से एमए लिटरेचर (इंग्लिश) में पोस्टग्रेजुएट की डिग्री रखने वाली अनिक्षा भी फंसी हुई है. अदालत के रिकॉर्ड के अनुसार, फरवरी 2016 में जयसिंघानी ने 11 अन्य लोगों के साथ केशवानी को भी गोवा में दर्ज करवाए गए बलात्कार के एक झूठे मामले में फंसाया था.

हालांकि, इस मामले की कथित पीड़िता, तूलिका कटारे ने मजिस्ट्रेट के सामने कबूल किया कि उसने जयसिंघानी द्वारा धमकी दिए जाने के बाद ही झूठी शिकायत दर्ज करावाई थी. तूलिका ने अपने बयान में आरोप लगाया कि जब उससे बलात्कार का झूठा केस दर्ज करवाया गया उसके बाद से जयसिंघानी उसे जबरदस्ती मुंबई, दिल्ली, गुवाहाटी या इंदौर में अपनी निगरानी में रखता था.

नवंबर 2017 में गोवा की एक अदालत द्वारा पारित एक आदेश के अनुसार, उसने (तूलिका ने) यह भी आरोप लगाया कि अनिक्षा ने उसे अपनी बुआ के घर में शिफ्ट कर दिया था, जहां उसे एक कमरे में कैद किया गया और यह भी बताया कि अनिक्षा ने उसके परिवार के सदस्यों को फोन पर धमकी भी दी थी.

इस मामले के अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया है कि जयसिंघानी और केशवानी के बीच संपत्ति विवाद के कारण ही बलात्कार का यह फर्जी मामला दर्ज किया गया था. गोवा पुलिस ने अगस्त 2017 में इस मामले में चार्जशीट दायर की और फिलहाल पणजी की एक अदालत में इसकी सुनवाई चल रही है.

गोवा पुलिस, जिसने अपनी चार्जशीट में अनिक्षा का नाम नहीं लिया है, ने उसे 9 अगस्त 2018 को आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 (ए) के तहत नोटिस जारी कर पूछताछ हेतु उपस्थित होने के लिए कहा था. यह सब अगस्त 2020 में गोवा के एक सत्र न्यायाधीश द्वारा पारित एक अदालती आदेश में लिखा था.

अनिक्षा ने तब पुलिस से कहा था कि उसे ‘स्लिप डिस्क’ की समस्या है और उसे ‘पूरी तरह से आराम’ की सलाह दी गई है. फिर मामले के जांच अधिकारी ने अनिक्षा का बयान दर्ज करने के लिए जनवरी 2019 के पहले सप्ताह में उसके घर का दौरा किया, जिसके बाद उसने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपने लिए ट्रांजिट बेल की अर्जी दायर की. अदालत ने जुलाई 2019 में उसे गिरफ्तार किए बिना अग्रिम जमानत वाली अर्जी दाखिल करने के लिए गोवा पहुंचने हेतु चार सप्ताह के समय की अनुमति दी.

अनिक्षा को आखिरकार 4 अगस्त, 2020 को पणजी की एक अदालत से अग्रिम जमानत मिल गई.


यह भी पढ़ेंः मनी लॉन्ड्रिंग, धोखाधड़ी- फडणवीस के CM रहने के दौरान बुकी अनिल जयसिंघानी के खिलाफ मामले हुए दर्ज


उल्हासनगर वाले मकान की जब्ती

सितंबर 2018 में एस्प्लेनेड मुंबई के एक मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने जयसिंघानी को ‘भगोड़ा अपराधी’ करार दे दिया. यह जयसिंघानी द्वारा साल 2016 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जुड़े एक मामले में ट्रांजिट बेल लेने के लिए कथित तौर पर जमा करवाए गए जाली मेडिकल सर्टिफिकेट के संदर्भ में आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाए एक मामले के लिए था.

मुंबई पुलिस के सूत्रों ने बताया कि उस समय जयसिंघानी की पत्नी बीमार थी और अस्पताल में ही उसकी मृत्यु हो गई और जयसिंघानी ने कथित रूप से यह दावा करने के लिए जाली मेडिकल सर्टिफिकेट बनाया था कि उसका हर समय अस्पताल में मौजूद रहना निहायत जरूरी था.

आज़ाद मैदान थाने की एफआईआर केशवानी द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि जांच अधिकारी जयसिंघानी का पता लगाने में असमर्थ थे.

अदालत ने सीआरपीसी की धारा- 83 के तहत एक आदेश भी पारित किया था. इसमें उल्हासनगर स्थित ‘जयसिंघानी हाउस’ की कुर्की का निर्देश दिया था, लेकिन जयसिंघानी और उसकी पत्नी के नाम पर पंजीकृत अहमदाबाद के एक होटल पर वैसी कोई कार्रवाई नहीं की गई थी.

पुलिस ने इस आदेश को मुंबई की दीवानी एवं सत्र अदालत में चुनौती दी और होटल को भी कुर्क किए जाने की मांग की. कुर्की की इस कार्रवाई पर आपत्ति जताते हुए अनिक्षा ने अपनी तरफ से अर्जी दायर कर दावा किया कि इस संपत्ति में उसकी मां के 50 फीसदी की हिस्सेदारी का 33 फीसदी हिस्सा उसके नाम है.

जनवरी 2019 में सत्र न्यायाधीश ने अहमदाबाद जिले के कलेक्टर को इस होटल में जयसिंघानी का 66.66 प्रतिशत हिस्सा कुर्क करने का आदेश दिया. उसने यह टिप्पणी भी कि ‘आरोपी गिरफ्तारी से बच रहा है’ और यह (कार्रवाई) आवश्यक है.

जयसिंघानी के पड़ोसियों का कहना है कि उल्हासनगर स्थित उसके पुराने घर को कभी जब्त नहीं किया गया और उसके फरार होने के बाद भी उसकी बेटी अनिक्षा और बेटा अक्षन वहीं रहते थे. मुंबई पुलिस ने गुरुवार को अनिक्षा को उल्हासनगर स्थित इसी घर से गिरफ्तार किया.

फरार रहने के दौरान किये गए ‘धमकी’ भरे कॉल

ईडी द्वारा अहमदाबाद में दायर एक अन्य प्रिवेंशन आफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट (पीएमएलए) वाले मामले में 30 मई 2015 को एक अदालत ने जयसिंघानी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था. ऐसा उसके खिलाफ समन जारी करने वाले सहायक निदेशक, ईडी, अहमदाबाद के समक्ष उसके पेश होने में विफल रहने के बाद किया गया था.

जयसिंघानी द्वारा मई 2015 में उसके खिलाफ जारी एक गैर-जमानती वारंट को चुनौती देते हुए कथित रूप से गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष जाली दस्तावेज़ जमा किए जाने के बाद, साल 2016 में अहमदाबाद की सोला हाईकोर्ट पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ जालसाजी का एक और मामला दर्ज किया गया था.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने जयसिंघानी का पता लगाने में मुंबई पुलिस की अक्षमता पर निराशा व्यक्त करते हुए कई आदेश पारित किए हैं.

18 जुलाई 2018 को पारित ऐसे ही एक आदेश में अदालत ने कहा, ‘‘यह विश्वास करना असंभव है कि आज की दुनिया में किसी व्यक्ति का ठिकाना इस तरह से छिपा हुआ रह सकता है.’’

उसी साल, 21 अगस्त को पारित एक अन्य आदेश में अदालत ने कहा कि वह जांच में हो रही प्रगति और जयसिंघानी को न पकड़ पाने के लिए दिए गए कारणों से ‘संतुष्ट नहीं’ है. अदालत ने कहा कि उसे ‘‘आरोपी को पकड़ने के लिए जांच अधिकारी की ओर से कोई ईमानदार प्रयास देखने को नहीं मिला’’.

बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा 17 सितंबर को पारित एक आदेश के अनुसार, 23 अगस्त को साकीनाका पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाए एक अन्य मामले में भी जयसिंघानी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था.

जब जयसिंघानी फरार चल रहा था, उसी दौरान उल्हासनगर थाने में उसके पूर्व कारोबारी साथी सुनील अर्जनदास लालवानी ने एक शिकायत दर्ज कराई थी कि जयसिंघानी उसे फोन करके धमकी दे रहा है. बॉम्बे हाईकोर्ट के 2018 के आदेश के अनुसार, लालवानी ने उन मोबाइल नंबरों के बारे में भी जानकारी दी थी, जिनसे उसे उन्हें ये धमकी भरे कॉल प्राप्त हो रहे थे. इसके जवाब में सरकारी वकील ने अदालत को बताया था कि पुलिस इन नंबरों को ट्रेस करने की कोशिश कर रही है.

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, लालवानी और जयसिंघानी उल्हासनगर स्थित अक्षन होटल्स लिमिटेड के प्रमोटर (प्रवर्तक) थे. लालवानी ने दिसंबर 2013 में इस कंपनी के निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया था.

(अनुवाद: रामलाल खन्ना | संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ेंः पान के लिए मशहूर मगर पुलिस से उलझने के लिए बदनाम, फिर एक बार मुसीबत में मुंबई का ‘मुच्छड़ पानवाला’


 

share & View comments