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Friday, 14 March, 2025
होमरिपोर्ट‘तिरपाल हिजाब’ से लेकर मुसलमानों से घर में रहने की अपील तक — BJP के होली नैरेटिव के पीछे क्या है

‘तिरपाल हिजाब’ से लेकर मुसलमानों से घर में रहने की अपील तक — BJP के होली नैरेटिव के पीछे क्या है

इस साल होली शुक्रवार और रमज़ान के पवित्र महीने दोनों दिन पड़ रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि होली और ईद लंबे समय से भारत में राजनीतिक पहुंच के साधन रहे हैं.

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नई दिल्ली: मुसलमानों को घर के अंदर रहने के लिए कहने से लेकर लोगों से तिरपाल का हिजाब पहनने का आग्रह करने तक, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता इस होली पर बहुत ज़्यादा सक्रिय हैं.

इन टिप्पणियों से उत्तर प्रदेश और बिहार जहां क्रमश: दो साल और छह महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं, विवाद छिड़ गया है. इस साल होली शुक्रवार (जुम्मा) और रमज़ान के पवित्र महीने दोनों दिन पड़ रही है.

इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश के संभल जिले से हुई, जिसे कुछ लोग “नई अयोध्या” भी कहते हैं, जहां सर्किल अधिकारी अनुज चौधरी ने मुसलमानों से होली के दिन शुक्रवार की नमाज़ के लिए घर के अंदर रहने को कहा है ताकि होली का त्योहार “बिना किसी रुकावट” मनाया जा सके.

पहलवान से पुलिस अधिकारी बने चौधरी, जिन्हें ‘सुपर कॉप’ के नाम से भी जाना जाता है, ने शांति समिति की बैठक के बाद मीडिया से कहा, “होली एक विशेष त्योहार है और साल में सिर्फ एक बार आता है जबकि शुक्रवार साल में 52 बार आता है.”

उन्होंने आगे कहा, “अगर मुस्लिम समुदाय के लोगों को लगता है कि होली के रंग उनके धर्म को भ्रष्ट कर देंगे, तो उन्हें उस दिन अपने घरों से बाहर नहीं निकलना चाहिए. अगर होली पर कोई भी बदमाश कुछ गलत करता हुआ पाया गया तो उसे बख्शा नहीं जाएगा. हम संभल में शांति व्यवस्था को बिगड़ने नहीं देंगे.”

सोशल मीडिया पर उनकी टिप्पणी ने उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल और दिल्ली के भाजपा नेताओं को मुसलमानों से शुक्रवार की नमाज़ के लिए घर के अंदर रहने का आग्रह करने के लिए प्रेरित किया.

चौधरी की टिप्पणी को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी समर्थन दिया, जहां उन्होंने कहा, “हमारे पुलिस अधिकारी पहलवान रहे हैं, वे अर्जुन पुरस्कार विजेता हैं, पूर्व ओलंपियन हैं. अगर वे पहलवानों की भाषा में बात करते हैं, तो कुछ लोगों को बुरा लग सकता है, लेकिन उन्होंने जो भी कहा है वह सच है और उस सच को स्वीकार किया जाना चाहिए.”

उन्होंने आगे कहा, “होली के अवसर पर, सभी को एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए. जुमे की नमाज़ हर शुक्रवार को होती है और होली साल में एक बार आती है. यही बात प्यार से कही और समझाई गई है.”

सीएम ने कहा, “मैं उन मुस्लिम नेताओं को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने बयान जारी किया कि पहले होली का आयोजन होने दें. होली 14 मार्च को है. होली 2 बजे तक ही खेली जाए. फिर 2:30 बजे नमाज़ अदा की जा सकती है, जो लोग पहले नमाज़ अदा करना चाहते हैं, वह अपने घर पर भी नमाज अदा कर सकते हैं.”

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के समर्थन ने भाजपा नेताओं के लिए दरवाजे खोल दिए.

राज्य मंत्री रघुराज सिंह ने तो यहां तक ​​कह दिया कि नमाज के लिए घर से निकलते समय मुसलमानों को “तिरपाल का हिजाब” पहनना चाहिए.

अलीगढ़ में पत्रकारों से उन्होंने कहा, “तिरपाल का हिजाब पहनने से उनकी टोपी और सफेद कपड़े रंग और गुलाल से सुरक्षित रहेंगे. होली साल में एक बार आती है और रंग फेंकते समय होली खेलने वाले लोग यह नहीं देखते कि रंग कहां तक ​​जा रहा है.”

सिंह ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में राम मंदिर बनाने का सुझाव भी दिया और कहा कि वे “एएमयू में राम मंदिर बनाने के लिए पहली ईंट चढ़ाएंगे”.

बिहार और राजस्थान से लेकर दिल्ली और पश्चिम बंगाल तक के भाजपा नेताओं ने भी मुसलमानों से होली के दौरान घर के अंदर रहने का आग्रह किया है.

दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) के सत्येंद्र जैन को हराने वाले भाजपा विधायक करनैल सिंह ने कहा, “मैं अपने मुस्लिम भाइयों से अपील करता हूं कि वह इस बार अपने घरों के अंदर रहें, ताकि हिंदू शांतिपूर्वक होली मना सकें. इस बार मुसलमानों को सद्भाव बनाए रखने के लिए घर पर ही नमाज़ अदा करनी चाहिए. साल में 52 बार नमाज़ अदा की जाती है, लेकिन होली केवल एक बार आती है. इसलिए मुस्लिम समुदाय के लिए घर पर ही नमाज़ अदा करना ज़रूरी है.”


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‘80% बनाम 20% की कहानी’

विश्लेषकों ने कहा कि भाजपा की होली की कहानी हिंदू वोटों को एकजुट करने के लिए धार्मिक उत्सवों का लाभ उठाने की एक और कोशिश जैसी लगती है क्योंकि वह एक के बाद एक राज्य चुनावों की तैयारी कर रही है.

कुछ राज्यों में जहां भाजपा विपक्ष में है, पार्टी सत्ताधारी दलों को उखाड़ फेंकने के लिए सत्ता विरोधी लहर का सहारा लेती है, जैसा कि हाल ही में दिल्ली चुनावों में देखा गया, लेकिन जिन राज्यों में भाजपा सत्ता में है, वहां विश्लेषकों का कहना है कि उसे अपने मूल मतदाता आधार को बनाए रखने के लिए हिंदुत्व की गति को बनाए रखना ज़रूरी है.

विश्लेषकों ने कहा कि बिहार से लेकर बंगाल, असम और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में इस साल और अगले साल चुनाव होने वाले हैं, इसलिए भाजपा को समर्थन को मजबूत करने के लिए एक ध्रुवीकरण मुद्दे की ज़रूरत है.

आंबेडकर यूनिवर्सिटी के शशिकांत पाण्डेय ने दिप्रिंट को बताया, “उत्तर प्रदेश में 19 प्रतिशत मुसलमान हैं. इसलिए, सत्तारूढ़ पार्टी हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दरार को चौड़ा करके और ‘80 प्रतिशत बनाम 20 प्रतिशत’ के नैरेटिव को आगे बढ़ाकर अपने निर्वाचन क्षेत्र को मजबूत करने के लिए होली, दिवाली या रामनवमी का उपयोग करना चाहती है.”

पाण्डेय ने कहा, “विधानसभा चुनाव आने वाले हैं, इसलिए यह नैरेटिव और भी जोर पकड़ेगा. पहले, उग्र तत्वों द्वारा बयानबाजी और झड़पें रामनवमी और शिवरात्रि तक ही सीमित थीं, लेकिन अब होली पर भी ऐसी परेशान करने वाली बयानबाजी मुख्यधारा बन गई है.”

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 में होने हैं, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में मिली हार ने भाजपा को अयोध्या से परे ऐसे मुद्दों की तलाश करने पर मजबूर कर दिया है, जो आम जनता को पसंद नहीं आ रहे हैं.

बिहार में सहयोगी दलों में टकराव

चुनावी राज्य बिहार में भी होली और जुमे की नमाज़ का मुद्दा काफी तूल पकड़ रहा है.

होली-नमाज विवाद पर बोलते हुए बिहार भाजपा के तेजतर्रार नेता हरि भूषण ठाकुर ने पटना में कहा, “जुमा साल में 52 बार आता है, लेकिन होली साल में सिर्फ एक बार आती है. अगर मुसलमानों को रंग से बचना है तो उन्हें होली पर बाहर नहीं निकलना चाहिए.”

दरभंगा की मेयर अंजुम आरा ने शुक्रवार की नमाज़ का समय आगे बढ़ाने के भाजपा विधायक के अनुरोध पर अपनी प्रतिक्रिया से विवाद खड़ा कर दिया. उन्होंने कहा कि जुमे का समय आगे नहीं बढ़ाया जा सकता, इसलिए शुक्रवार को दोपहर 12.30 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच होली समारोह को दो घंटे के लिए रोक दिया जाना चाहिए.

जनता दल (यूनाइटेड) नेता की टिप्पणी ने भाजपा के भीतर खलबली मचा दी. ठाकुर ने उन्हें “गजवा-ए-हिंद और तालिबान मानसिकता” का प्रतीक बताया.

भाजपा विधायक ने दिप्रिंट को बताया, “होली हमेशा की तरह मनाई जाएगी. होली के जश्न में एक मिनट की भी देरी नहीं होगी. मेयर की मानसिकता गजवा-ए-हिंद है. ऐसे लोग मुस्लिम वोटों के लिए बिहार को इस्लामिक स्टेट बनाना चाहते हैं. आज कई नेता नहीं बोलेंगे, लेकिन भाजपा बिहार में ऐसी मानसिकता का विरोध करेगी.”

मेयर ने पार्टी नेतृत्व के निर्देश के बाद माफी मांगी, यहां तक ​​कि जेडी(यू) के मंत्री अशोक चौधरी ने भी उनसे संयम बरतने का आग्रह किया.

बिहार में भाजपा विधायक के बयान से विवाद बढ़ने के बाद, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार की कैबिनेट में जेडी(यू) के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री जमा खान ने भाजपा से राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव को भड़काने और बिगाड़ने से मना किया.

तेजस्वी यादव ने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा विधायक के बयान का समर्थन करते हैं. यादव ने पटना में मीडिया से कहा, “बिहार ठाकुर के बाप की जागीर नहीं है. नीतीश कुमार भाजपा विधायक को फटकार क्यों नहीं लगा रहे हैं?”

उन्होंने बिहार की सांप्रदायिक सौहार्द की विरासत का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह की विभाजनकारी बयानबाजी ऐसे राज्य में बर्दाश्त नहीं की जाएगी, जहां राम और रहीम की पूजा लंबे समय से एक साथ की जाती रही है. आज, मुख्यमंत्री आरएसएस के हाथों में खेल रहे हैं.”

तेजस्वी ने आगे कहा, “यह बिहार है. यहां हर मुसलमान के समर्थन और सुरक्षा में पांच हिंदू खड़े हैं. संविधान का मज़ाक मत उड़ाइए, अपनी हद में रहिए. जब तक बिहार में राजद और लालू जी की विचारधारा को मानने वाले लोग हैं, हम कोई दंगा नहीं होने देंगे. चाहे हमें बदले में सत्ता मिले या हार.”

जमा खान ने भी भाजपा विधायक के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की.

पटना में मीडिया से बातचीत में खान ने कहा, “जहां तक ​​नमाज़ का सवाल है, लोग शुक्रवार को मस्जिद में नमाज़ अदा करते हैं. अगर उस दिन उनके पहने हुए कपड़ों पर किसी तरह का दाग लग जाता है, तो वह नमाज़ अदा नहीं कर सकते. इसलिए लोगों से कहा जाता है कि नमाजियों पर रंग-गुलाल न फेंके.”

उन्होंने कहा, “लेकिन अगर गलती से यह किसी पर लग जाए, तो कोई दिक्कत नहीं है, क्योंकि बिहार में सभी लोग भाईचारे के साथ रहते हैं और सभी त्योहार भाईचारे के साथ मनाए जाते हैं. जब तक नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं, धर्मनिरपेक्षता को कोई खतरा नहीं है.”

हालांकि, जदयू ने ठाकुर की टिप्पणियों से खुद को अलग कर लिया.

पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार ने दिप्रिंट से कहा, “ठाकुर पार्टी के आधिकारिक प्रवक्ता नहीं हैं और न ही किसी पद पर हैं. इसलिए उनके बयान का कोई खास महत्व नहीं है. बिहार में दोनों त्योहार सौहार्द के साथ मनाए जाते हैं और नीतीश के शासन में किसी भी तरह की गड़बड़ी की इज़ाज़त नहीं दी जाएगी.”

उन्होंने कहा, “होली गंगा-जमुनी तहजीब का त्योहार है और इसे मिलजुलकर मनाया जाता है. बिहार में केवल 1.2 प्रतिशत लोग ही धार्मिक आधार पर वोट करते हैं. वह ज़्यादातर मुद्दों पर वोट करते हैं. इसलिए, चाहे तेजस्वी यादव हों या ठाकुर, उन्हें इतिहास जानना चाहिए.”

‘होली और ईद लंबे समय से राजनीतिक पहुंच के साधन’

विश्लेषकों ने कहा कि बिहार में भाजपा की रणनीति सामरिक थी और इसका उद्देश्य हिंदुत्व की राजनीति के माध्यम से धर्मनिरपेक्ष वोटों को विभाजित करना था.

पटना के ए.एन. सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल स्टडीज़ के पूर्व प्रमुख डी.एम. दिवाकर ने दिप्रिंट को बताया, “जाति सर्वेक्षण के बाद, यह स्पष्ट है कि बिहार में मुसलमान एक अखंड समूह नहीं हैं और वह अपनी पसंद के आधार पर वोट करते हैं, न कि बतौर एक समूह. भाजपा चाहती है कि चुनाव के बाद नीतीश के नेतृत्व में गठबंधन जारी रहे, लेकिन नीतीश की स्थिति कमज़ोर हो ताकि वे मुख्यमंत्री पद का दावा न कर सकें.”

उन्होंने कहा, “इसलिए, भाजपा हिंदुत्व की राजनीति के माध्यम से धर्मनिरपेक्ष वोटों को विभाजित करने के लिए हर दांव चल रही है. बिहार एक अलग राज्य है — यहां, मुसलमान अक्सर होली और छठ भी मनाते हैं. बिहार का सामाजिक ताना-बाना अन्य राज्यों से अलग है, लेकिन भाजपा इन चालों के माध्यम से अपने हिंदू वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश कर रही है.”

राजनीतिक विश्लेषकों और नेताओं ने कहा कि होली और ईद लंबे समय से भारत में राजनीतिक पहुंच के साधन रहे हैं, जो सांप्रदायिक सद्भाव और समावेशिता का प्रतीक हैं.

सिन्हा के अनुसार, मुगल काल में आगरा किले और दिल्ली के लाल किले में ईद-ए-गुलाबी के रूप में होली बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती थी. उन्होंने कहा, “होली हमेशा ईद की तरह राजनीतिक पहुंच का त्योहार रहा है. भक्ति काल में भी होली दोनों समुदायों द्वारा मनाई जाती थी. केवल नमाज़ के दौरान, कुछ मुसलमान रंग से परहेज़ करते थे. अगर हम अमीर खुसरो से लेकर बुल्ले शाह तक के सूफी संतों को पढ़ें, तो होली मनाते हुए कई छंद लिखे गए हैं.”

बीजेपी के पूर्व नेता ने कहा कि होली और ईद दोनों का जश्न पारंपरिक रूप से सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है. नेताओं ने याद दिलाया कि कैसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल और कांग्रेस के दौर में इफ्तार संस्कृति मनाई जाती थी.

उन्होंने कहा, “वाजपेयी होली मनाने के बहुत शौकीन थे और यशवंत सिन्हा और अन्य नेता होली मनाने के लिए प्रधानमंत्री आवास पर भांग और रंग लेकर आते थे. वाजपेयी से लेकर लालू तक कई नेता अपने समय में राजनीतिक पहुंच के लिए होली और ईद मनाते थे.”

पूर्व भाजपा नेता ने दिप्रिंट से कहा, “यहां तक ​​कि प्रतिद्वंद्वी भी होली मनाने के लिए एक साथ आते थे, लेकिन अब ये त्यौहार ध्रुवीकरण के लिए दो समुदायों के बीच एक नया युद्ध क्षेत्र बन गए हैं.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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