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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशवैक्सीनेशन में तेजी के लिए स्पूतनिक वी 1 मई को भारत पहुंची, लेकिन अभी टेस्ट के लिए लैब में ‘अटकी’

वैक्सीनेशन में तेजी के लिए स्पूतनिक वी 1 मई को भारत पहुंची, लेकिन अभी टेस्ट के लिए लैब में ‘अटकी’

रूसी-निर्मित स्पुतनिक वी का एक सैंपल बैच 3 मई से हिमाचल में सरकार के परीक्षण प्रयोगशाला में है, और इसे हरी झंडी मिलने में कई और दिन लग सकते हैं.

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नई दिल्ली: भारत को स्पूतनिक वी कोविड-19 वैक्सीन की पहली खेप मिले 10 दिन हो चुके हैं, फिर भी रूस निर्मित ये वैक्सीन सरकार की नियामक प्रक्रिया में अटकी है और यह स्पष्ट नहीं है कि इसे कब तक मंजूरी मिल पाएगी.

यह स्थिति ऐसे समय पर है जबकि भारत अपना राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण अभियान बढ़ाने के लिए मुश्किलों से जूझ रहा है, राज्यों की तरफ से टीके की खुराकों की भारी कमी होने की शिकायत की जा रही हैं. भारत में टीकाकरण का तीसरा चरण शुरू हुए 10 दिन बीत चुके हैं, जिसके तहत सभी वयस्कों को टीका लगना है. हालांकि, कई राज्य केंद्र से टीके मिलने में देरी के कारण अपनी 18 से ऊपर की आबादी के टीकाकरण का अभियान पूरी तरह शुरू भी नहीं कर पाए हैं.

हिमाचल प्रदेश के कसौली में स्थित देश की शीर्ष टेस्टिंग लैब सेंट्रल ड्रग लैबोरेटरी (सीडीएल), जहां स्पूतनिक वी की स्क्रीनिंग हो रही है, से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि वैक्सीन की खेप संभवत: इसी हफ्ते रिलीज कर दी जाएगी. हालांकि, अभी इसमें ‘प्रजनन क्षमता पर असर’ की जांच करने में कुछ दिन और लग सकते हैं. 10 दिनों से पहले टेस्ट पूरे करना असंभव था.’

सीडीएल ने 3 मई को स्पुतनिक वी के 100 नमूने लिए थे और अन्य फैक्टर के अलावा ‘प्रभावकारिता, विषाक्तता और प्रजनन क्षमता पर असर’ से जुड़े टेस्ट किए जा रहे हैं.

देश के दवा नियामक केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ)—इसके अधीन ही सीडीएल काम करती है—के मुताबिक, आवेदकों (वैक्सीन निर्माताओं) के लिए वैक्सीन का हर बैच सीडीएल, कसौली में टेस्ट/रिलीज कराना अनिवार्य होगा, इसके बाद ही कोविड-19 के राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.’

1 मई को डॉ. रेड्डीज ने घोषणा की थी कि स्पूतनिक वी के टीकों की 1.5 लाख खुराक की पहली खेप रूस से हैदराबाद आ गई है.

कंपनी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘खेप को आवश्यक मंजूरी के बाद जारी किया जाएगा, जिसमें अगले कुछ दिनों का समय लगेगा.’ साथ ही बताया था कि और खेप अगले कुछ हफ्तों में यहां पहुंचेंगी.

जनवरी में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी के बाद स्पूतनिक वी भारत में इस्तेमाल के लिए स्वीकृत तीसरी वैक्सीन है. इसे 13 अप्रैल को मंजूरी मिली थी.

भारत में घातक दूसरी लहर के दौरान कोविड के मामले कई गुना बढ़ने के बाद सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक को देश में वैक्सीन की मांग पूरी करने में आ रही दिक्कतों के बीच सभी नजरें इस पर ही टिकी हुई हैं.


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क्लियरेंस की थकाऊ प्रक्रिया से रोल आउट में देरी हो रही

अभी इस पर कुछ स्पष्ट नहीं है कि टीके की खेप कब जारी होगी, इसने यह चिंता भी उजागर की है कि कैसे फास्टट्रैक पर लाने के तमाम प्रयासों के बावजूद देश में क्लीयरेंस प्रक्रिया इतनी थकाऊ बनी हुई है.

सीडीएल के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक 3 मई को लैब द्वारा हासिल किए गए 1.5 लाख वैक्सीन शीशियों के 100 नमूनों की जांच अभी चल रही है.

सीडीएससीओ के एक अधिकारी ने कहा, ‘हम विषाक्तता और बांझपन जैसे प्रतिकूल असर की जांच के लिए अनिवार्य टेस्ट से पहले इसे जारी नहीं कर सकते, खासकर तब जबकि टीके का इस्तेमाल भारत में पहली बार किया जाना है.’ हालांकि, उन्होंने कहा कि क्लियरेंस में ऐसी देरी केवल पहली बार होती है.

अधिकारी ने कहा, ‘अगले बैच से टेस्टिंग का नियमित चक्र विकसित हो जाएगा, जैसा कोवैक्सीन और कोविशील्ड के मामले में अपनाया जाता है. एक बैच आता है और दूसरे को लैब से क्लियर कर दिया जाता है. सीडीएल के कारण किसी को भी इन टीकों का इंतजार नहीं करना पड़ता.’

सीडीएल के एक सूत्र ने कहा, ‘अगर सब कुछ ठीक रहा, तो टीका अगले हफ्ते तक बाजार में आ जाएगा.’ लेकिन साथ ही जोड़ा कि ‘इस पूरी प्रक्रिया को इससे कम नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह एक नया टीका है जिसका भारत में पहली बार उपयोग किया जाना है.’

सीडीएल और सीडीएससीओ दोनों से जुड़े सरकारी सूत्रों के अनुसार, टीकों को क्लियरेंस में तेजी के लिए टीके की टेस्ट की पूरी प्रक्रिया को न्यूनतम 28 दिनों से घटाकर 10 दिन कर दिया गया है.

सीडीएल के सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘10 दिनों से पहले टेस्ट पूरा करना मुमकिन नहीं है. इसकी विषाक्तता और प्रभावकारिता की जांच में एक सप्ताह लगता है, जबकि प्रजनन क्षमता पर इसके असर की जांच में 14 दिन लगते हैं. हमने अपनी सभी प्रक्रियाओं को तेज कर दिया है और न्यूनतम दस्तावेज ही ले रहे हैं, जिसमें खेप संबंधी प्रोटोकॉल और इसे बनाने वाले देश की तरफ से रिलीज सर्टिफिकेट ही शामिल है.’

सीडीएससीओ के अधिकारी ने कहा कि ‘बैच के टेस्ट और रिलीज के लिए दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी होने का इंतजार नहीं किया जाता है. इस सारी प्रक्रिया को घटाया गया है.

क्या इस पर कुछ काम होना चाहिए?

पिछले साल अप्रैल में सीडीएससीओ ने सीडीएल को निर्देश दिया था कि वे समरी लॉट प्रोटोकॉल (एसएलपी), जिसमें हर खेप के मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़ा ब्योरा होता है, कहे जाने वाला दस्तावेज देखने के तुरंत बाद टीका निर्माताओं को खेप रिलीज का सर्टिफिकेट जारी कर दें.

एकमात्र शर्त यह थी कि निर्माताओं को यह अंडरटेकिंग देनी होगी कि यदि सैंपल टेस्ट में खरा नहीं उतरा तो उन्हें टीके की खेप वापस मंगानी होगी. यह कदम लॉकडाउन के दौरान टीके की झंझटमुक्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया था.

वैक्सीन विशेषज्ञ और वैज्ञानिक डॉ. गगनदीप कंग के अनुसार, मंजूरी मिलने की प्रक्रिया में तेजी वैक्सीन पर ही निर्भर करेगी.

उनके मुताबिक, ‘एक वैक्सीन, जिसे अब तक सख्त मानकों वाले नियामक प्राधिकरणों से आपात इस्तेमाल की मंजूरी नहीं मिली या डब्ल्यूएचओ की तरफ से सूचीबद्ध नहीं किया है, के लिए सीडीएल टेस्ट की आवश्यकता है, लेकिन उन टीकों के लिए शायद इसकी जरूरत नहीं होगी जिन्हें अनुमोदित किया जा चुका है.’

स्पूतनिक वी को डब्ल्यूएचओ और यूरोपियन मेडिकल रेग्युलेटर की जैसे किसी शीर्ष नियामक की तरफ से अनुमोदन मिलना अभी बाकी है.

हालांकि, अपना नाम न बताने के इच्छुक एक दूसरे टीका विशेषज्ञ ने इससे असहमति जताई.

उन्होंने कहा, ‘सरकार ने पिछले साल शुरुआत में खेपों को जल्द रिलीज करने की अनुमति दी थी. इससे टीकों और अन्य अहम चिकित्सा उपकरणों की निर्बाध आपूर्ति में मदद मिली थी. नौकरशाही से जुड़ी अचड़नों को दूर करने और सामानों की आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए अब भी ऐसा ही किया जाना चाहिए.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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