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Thursday, 21 November, 2024
होमरिपोर्टकेसरिया से हरा और फिर लाल- 3 दिन में 2 बार बदला अयोध्या के DM आवास का साइनबोर्ड, BJP-SP में छिड़ी जंग

केसरिया से हरा और फिर लाल- 3 दिन में 2 बार बदला अयोध्या के DM आवास का साइनबोर्ड, BJP-SP में छिड़ी जंग

एक पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस, जो अयोध्या के डीएम के आधिकारिक कैंप ऑफिस (शिविर कार्यालय) के रूप में काम करता है, के बाहर लगे एक साइनबोर्ड का रंग दो बार बदला जा चुका है. डीएम का कहना है कि इस बारे में भ्रम को खत्म करने के लिए इस वापस 'पहले वाले' रंग में कर दिया गया है

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लखनऊ: अयोध्या भले ही उत्तर प्रदेश की कमंडल राजनीति का केंद्र हो सकता है लेकिन इन दिनों यह एक पीडब्ल्यूडी (पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट या लोक निर्माण विभाग) गेस्ट हाउस, जो अयोध्या जिला अधिकारी (डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट या डीएम) के आधिकारिक शिविर कार्यालय के रूप में कार्यरत है, के बाहर लगे एक साइनबोर्ड की वजह से चर्चा में है जिसका रंग पिछले तीन दिनों में दो बार बदला जा चुका है.

बता दें कि अयोध्या के डीएम के आधिकारिक आवास का सितंबर 2021 से ही नवीनीकरण किया जा रहा है. इसलिए, इस पद पर कार्यरत वर्तमान अधिकारी, नीतीश कुमार, पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में ही रह रहे हैं.

लेकिन पिछले तीन दिनों में इस गेस्ट हाउस के बाहर लगा एक साइनबोर्ड अपने रंग को लेकर विवाद का विषय बन चुका है, जिसे अपने मूल रंग केसरिया से पहले हरे में बदल दिया गया था और अब यह लाल रंग से रंगा हुआ है.

2 मार्च को इस कार्यालय के बाहर लगा केसरिया रंग का साइनबोर्ड हरे रंग में रंगा हुआ मिला. इसकी वायरल तस्वीरों ने कई सारी अफवाहों को तूल दिया और फिर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसकी प्रमुख प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच खींचतान शुरू हो गई. एक तरफ जहां भाजपा के पक्ष में खड़े लोगों ने इसे सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ एक साजिश बताया, वहीं सपा नेताओं ने आरोप लगाया कि 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार के सत्ता में आने के कुछ ही महीनों के भीतर अयोध्या में कुछ इमारतों के साइनबोर्ड को भगवा रंग में रंग दिया गया था.

मजेदार बात यह है कि केसरिया या भगवा रंग भाजपा का प्रतीक है जबकि समाजवादी टोपी का रंग लाल है.

इन तस्वीरों और इस तरह के कदम उठाये जाने के समय – यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आने वाले हैं – को लेकर पूछे जा रहे सवालों के बीच गुरुवार की सुबह में इस साइनबोर्ड को लाल रंग में रंगा हुआ पाया गया.

 

इसके अलावा, डीएम नीतीश कुमार ने गुरुवार को इस मामले की जांच के आदेश भी दिए, जिसे पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने अंजाम दिया और जांच एक दिन के भीतर पूरी भी कर ली गई.

शुक्रवार को कुमार ने पीडब्ल्यूडी के कनिष्ठ अभियंता अजय कुमार शुक्ला को निलंबित कर दिया, जिन्हें इस ‘लापरवाही का दोषी’ पाया गया था और डीएम कार्यालय के एक अधिकारी ने दिप्रिंट से इसकी पुष्टि भी की.

दिप्रिंट से बात करते हुए, कुमार ने कहा कि पहला बदलाव ‘पीडब्ल्यूडी के सभी साइनबोर्ड के पुराने रंग – जो कि हरा है – को बनाए रखने के लिए किया गया था.

पीडब्ल्यूडी की अपनी थीम के अनुसार, राज्य भर में पीडब्ल्यूडी के सभी साइनबोर्ड हरे रंग के हैं – इसके पीछे की वजह यह बताई जाती है कि यातायात प्रबंधन के पहलू से ‘अपेकक्षाकृत ठंडे माने जाने वाले’ हरे रंग को प्राथमिकता दी जाती है, क्योंकि यह ड्राइवर की कार्यवाहियों को प्रभावित नहीं करता है.

यह पूछे जाने पर कि क्या अफवाहों के गर्म होने के कारण ही एक दिन के भीतर दूसरी बार रंग बदल गया, कुमार ने कहा कि किसी भी तरह के भ्रम को खत्म करने के लिए ही पहले के रंग को वापस लगाए जाने का कदम उठाया गया.

हालांकि, तस्वीरें दिखाती हैं कि साइनबोर्ड के रंग का नवीनतम संस्करण 2 मार्च से पहले मौजूद साइनबोर्ड से काफी अलग है.


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राजनीतिक खींचतान

केसरिया रंग के साइनबोर्ड को हरे रंग में किए जाने वाले पहले बदलाव ने भाजपा समर्थकों के बीच की प्रतिक्रिया को खूब भड़काया.

दैनिक भास्कर की एक खबर के अनुसार, अयोध्या के प्राचीन हनुमानगढ़ी मंदिर के पुजारी रमेश दास ने इस कदम की आलोचना करते हुए इसे भाजपा के खिलाफ एक साजिश बताया और डीएम तथा अन्य अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

इस बीच, दिप्रिंट से बात करते हुए सपा की अयोध्या इकाई के जिलाध्यक्ष गंगा सिंह यादव ने कहा कि पहले जहां सभी साइनबोर्ड हरे रंग के होते थे, वहीं पीडब्ल्यूडी के बाहर और कुछ अन्य इमारतों के बाहर लगे साइनबोर्ड को योगी आदित्यनाथ सरकार के सत्ता में आने के बाद भगवा रंग में रंग दिया गया था.

उन्होंने कहा, ‘साल 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यभार संभालने के बाद के पहले कुछ महीनों तक नौकरशाह निष्पक्ष तरीके से काम कर रहे थे. मगर, उसके बाद कुछ इमारतों के साइनबोर्ड का रंग हरे से बदलकर केसरिया कर दिया गया.’

उनक कहना था, ‘यह खास तौर पर उन अधिकारियों द्वारा किया गया था जो सरकार को प्रभावित करने को लेकर अति उत्साही थे. जैसे-जैसे योगी का जलवा बढ़ता गया, भगवा भी बढ़ता गया.’


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नौकरशाही भांप लेती है सत्ता में बदलाव! सपा को तो यही लगता है

इस बीच, आशा से ओतप्रोत समाजवादी पार्टी लखनऊ में चल रहे सफाई अभियान में भी बदलाव के संकेत देखती है.

राज्य की राजधानी में स्थित विक्रमादित्य मार्ग, जहां पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव, उनके पिता मुलायम सिंह यादव और पूर्व सपा मंत्री आजम खान रहा करते थे, पर बने निवास स्थानों में फ़िलहाल जोरदार सफाई अभियान चलता देखा जा रहा है जो लगभग 15 दिन पहले ही शुरू हुआ है.

यहां तक कि सपा सरकार की पसंदीदा परियोजनाओं लोहिया पार्क और जनेश्वर मिश्र पार्क की भी लोक निर्माण विभाग के अधिकारी लगातार सफाई कर रहे हैं.

इस बारे में सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने दिप्रिंट को बताया कि नौकरशाही सरकार में आसन्न बदलाव को महसूस कर रही है, जो इस तरह के सफाई अभियान के पीछे का कारण है.

हालांकि, पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने इस सफाई को नियमित रखरखाव का कार्य करार दिया.

इस इलाके में अनुरक्षण कार्य (मेंटेंनेस वर्क) के प्रभारी एग्जीक्यूटिव इंजीनयर -2 (सिविल) एन.के. वर्मा ने कहा कि यहां केवल मरम्मत एवं मेंटेनेंस का छोटा-मोटा काम ही हो रहा है. सपा के विचार के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘ऐसा काम तो हर समय होता रहता है’, और ‘मीडिया तो बस चीजों को गलत तरीके से पेश कर रही है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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