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Thursday, 21 November, 2024
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गोधरा बना RSS-BJP के लिए ‘नाक’ का सवाल, बिलकिस बानो मामला, 2002 और राम भक्त बड़े मुद्दे

गोधरा के पिछले चुनाव के आंकड़ों से पता चलता है कि इस सीट पर हमेशा कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर रही है. 2002 के बाद से जीत का अंतर कभी भी 3000 वोटों को पार नहीं कर पाया है.

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गोधरा, गुजरातः गुजरात का गोधरा कई बार बदनाम हो चुका है. सबसे पहले 2002 में कारसेवकों को ले जा रही ट्रेन में आग लगाने के बाद ये सुर्खियों में आया था. उसके बाद व्यापक दंगे हुए और बिलकिस बानो का सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आया. अभियोजन पक्ष के अनुसार, उनकी तीन साल की बेटी सालेहा सहित उसके परिवार के 14 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी. तीसरा और हालिया उदाहरण था बिलकिस बानो मामले में दोषी पाए गए 11 लोगों को उनकी सजा में छूट के बाद रिहा कर देना और औपचारिक रूप से उनका स्वागत करना रहा है. इन सभी मामलों ने इस महीने होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव में गोधरा को एक अति-संवेदनशील और राजनीतिक ‘प्रतिष्ठा’ की लड़ाई बना दिया है.

ज्यादातर मुस्लिम वोटों की मदद से कांग्रेस ने अक्सर इस सीट पर जीत हासिल की है. मतदाता सूची के अनुसार यहां के मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 30 फीसदी से ज्यादा हैं. लेकिन आज यह एक ऐसी सीट बन गई है जिसे भाजपा- और इससे भी कहीं ज्यादा आरएसएस— जीतना चाहती है. निर्वाचन क्षेत्र में जाने पर आसानी से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है.

‘हिंदूवाद’, ‘राष्ट्रवाद’, ‘हिंदू पार्टी’, ‘राम भक्तों का बलिदान’ बनाम ‘बिलकिस बानो के बलात्कारियों की वापसी’ जैसे शब्द चुनावी अभियान पर हावी हैं. इस निर्वाचन क्षेत्र में 5 दिसंबर को दूसरे चरण में मतदान होना है.

पंचमहल जिले में आरएसएस के संघचालक (प्रमुख) राजेश भाई जोशी ने कहा, ‘आरएसएस और भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए यह उनकी सच्ची कर्मभूमि है, ‘बलिदान और प्रतिशोध’ की भूमि. दो दशकों के ‘राम भक्तों के बलिदान’ के बाद गोधरा में उनके लिए ‘हिंदुवाद, राष्ट्रवाद’ असली मुद्दे हैं. ‘केवल एक हिंदू पार्टी ही यहां शांति ला सकती है और उसे बनाए रख सकती है. मुसलमान भी इस बात को अच्छे से जानते हैं.’ पंचमहल जिले में गोधरा सहित पांच विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं.

A section of the burnt Sabarmati Express at Godhra railway station yard | Photo: Praveen Jain | ThePrint
गोधरा रेलवे स्टेशन यार्ड में जली हुई साबरमती एक्सप्रेस का एक हिस्सा | फोटोः प्रवीण जैन | दिप्रिंट

तो वहीं दूसरे दलों के लिए, यह न्याय के लिए एक पुकार है और एक उम्मीद है कि यह चुनाव हिंदुत्व पक्ष की राजनीतिक ताकतों को इनाम देने की बजाय उन्हें नुकसान पहुंचाएंगी. वे आरएसएस और उसके सहयोगियों की पूरी ताकत के खिलाफ हैं.

एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने कहा, ‘पिछले 20 सालों में, असंख्य उकसावों के बावजूद कोई कर्फ्यू नहीं लगा है और कोई सांप्रदायिक तनाव नहीं हुआ है. दंगों के बाद से जिलों में (आरएसएस) शाखाओं की संख्या कई गुना बढ़ गई है.’ उन्होंने कहा, ‘कोविड महामारी के दौरान हमारी सेवा ने हमें लोगों के करीब ला दिया है.’

संघ के एक दूसरे वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘हमने लोगों को ऑक्सीजन, दवाएं और खाना मुहैया कराया था. और मुसलमानों ने भी हमारी मदद की है. हमने मुसलमानों और ईसाइयों सहित 200 से ज्यादा लोगों का अंतिम संस्कार किया. नरेंद्र भाई (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) हमारे लोगों को नाम से जानते हैं. हमें यहां हिंदुत्व को मजबूती से स्थापित करने की जरूरत है.’

गोधरा के पिछले चुनाव के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि इस सीट पर हमेशा कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर देखी गई है और 2002 के बाद से जीत का अंतर कभी भी 3000 वोटों को पार नहीं कर पाया है.

इस बार गोधरा में 10 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से पांच मुस्लिम हैं. इसमें ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के उम्मीदवार मुफ्ती हसन शब्बीर कच्बा भी शामिल हैं. पार्टी यहां नई आई है. अन्य चार मुस्लिम उम्मीदवार निर्दलीय हैं.

भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने सभी हिंदू उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है.

गोधरा में ‘हिंदू पार्टी’ के रूप में संदर्भित बीजेपी ने दंगों के बाद हुए चुनावों में 2002 में यह सीट जीती थी. उसके बाद यह सीट दो बार कांग्रेस के खाते में गई थी. तब 2000 से 3000 मतों के मामूली से अंतर से पार्टी के हाथ से यह सीट निकली थी.

लेकिन यहां राजनीतिक और वैचारिक पहचान मायने नहीं रखती है. गोधरा में भाजपा के उम्मीदवार सी के राउलजी ने पांच बार सीट जीती है. दो बार कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में और दो बार भाजपा के उम्मीदवार के रूप में. और एक बार उन्होंने इस सीट पर जनता दल के उम्मीदवार के रूप में कब्जा जमाया था. अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराए जाने से एक साल पहले 1991 में पंचमहल जिले के लिए कार सेवा संगठन का नेतृत्व करने वाले राउलजी ने 80 के दशक में गोधरा तहसील के लिए निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़कर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी.

बाद में वे गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला की सलाह पर बीजेपी में शामिल हो गए थे. और उसके बाद वह उन्हीं के साथ पार्टी बदलते रहे थे. बीजेपी से आरजेपी (राष्ट्रीय जनता पार्टी) में और फिर वहां से कांग्रेस में. राउलजी 2007 और 2012 में गोधरा में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीते थे. 2017 में वह भाजपा में शामिल हो गए. उन्होंने 2017 में भी जीत हासिल की, लेकिन महज 258 वोटों के अंतर से.

बलिदान, प्रतिकार और ‘युगपुरुष मोदी जी’

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस साल गोधरा में भाजपा के पहले स्टार प्रचारक रहे. उन्होंने मंगलवार को क्षेत्र में एक रोड शो किया, जिसमें बाइक और बुलडोजर पर सैकड़ों समर्थक उनके साथ बने हुए थे.

गोधरा में रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘20 साल पहले गोधरा में राम भक्तों की बलि दी गई थी और तब देश को युगपुरुष मिला, देश को बचाने वाले मोदी जी. राम भक्तों के बलिदान के कारण ही अब अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है. राम मंदिर उन राम भक्तों के लिए भारत का सम्मान है, जिन्हें यहां जलाकर मार डाला गया था.’

2002 में कारसेवकों को ले जा रही साबरमती एक्सप्रेस को जलाना, कर्फ्यू और उसके बाद हुए गोधरा दंगे और बिलकिस बानो का मामला- यहां के सभी दलों के चुनावी अभियान में लगातार किए जाने वाले बयान हैं. जबकि कांग्रेस और एआईएमआईएम राउलजी के बारे में बात कर रही है, जिन्होंने बानो के बलात्कारियों को अच्छे ‘संस्कार’ वाले ब्राह्मण बताया था. उधर भाजपा गोधरा की घटना को ‘हिंदुवाद के लिए बलिदान और प्रतिकार’ का जिक्र अपने अभियान में कर रही है.

गोधरा में विकास से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं है. सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावी मुद्दा हिंदुत्व है. बिलकिस बानो मामले के दोषी आरएसएस और वीएचपी (विश्व हिंदू परिषद) के सदस्य हैं. इनमें से तीन ब्राह्मण हैं, जबकि चार एसटी (अनुसूचित जनजाति) हैं. एक तीसरे वरिष्ठ संघ पदाधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने हमारे साथ स्वयंसेवकों के रूप में काम किया है. हम सभी जानते हैं कि वे निर्दोष हैं. उन्हें फंसाया गया है. उन्हें भी न्याय की जरूरत है.’

BJP candidate C.K. Raulji | Photo: Praveen Jain | ThePrint
भाजपा उम्मीदवार सी.के. राउलजी | फोटोः प्रवीण जैन | दिप्रिंट

मंगलवार को गोधरा के एक गांव में अपने फार्म हाउस में दिप्रिंट से बात करते हुए, राउलजी ने खुद को एक तेज तर्रार आरएसएस कार्यकर्ता बताया, जो इसकी विचारधारा में विश्वास करता है. उन्होंने कांग्रेस को एक ‘दिशाहीन’ पार्टी कहा. वह अपने गुरु वाघेला के साथ कांग्रेस में शामिल हुए थे और 2017 में भाजपा में लौट आए थे.

राउलजी ने अगस्त में यह कहते हुए एक विवाद खड़ा कर दिया था कि बिलकिस बानो मामले में दोषी अच्छे ‘संस्कार’ वाले ब्राह्मण हैं. वह सात सदस्यीय गोधरा जेल सलाहकार समिति में शामिल थे, जिसने 11 दोषियों को छूट देने की सिफारिश की थी.

राउलजी ने कहा, ‘मैं अकेला सदस्य नहीं था जिसने ‘रेमिसन’ की सिफारिश की थी. कलेक्टर समिति का नेतृत्व कर रहे थे और इसमें छह अन्य सदस्य भी शामिल थे. सिफारिश न्यायिक जांच की कई प्रक्रियाओं से गुजरी और उसके बाद ही इसे मंजूरी दी गई थी. मैं इस मामले पर और टिप्पणी नहीं करना चाहता.’

उन्होंने कहा: ‘मैंने विभिन्न दलों के साथ काम किया है. मैं जानता हूं कि अलग-अलग पार्टियों के नेता कैसा सोचते हैं और क्या काम करते हैं. मेरा लोगों से जुड़ाव है और वह हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच है. मैं यहां निर्दलीय, जनता दल के उम्मीदवार के रूप में, कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में और भाजपा के उम्मीदवार के रूप में भी जीता हूं. बीजेपी के वोट बैंक को नुकसान पहुंचने की कोई गुंजाइश नहीं है.


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आरएसएस का ‘दूसरा’ पक्ष

इस बीच आरएसएस गोधरा शहर, पालम बाजार के मुस्लिम बहुल हिस्से में घुसने की पुरजोर कोशिश कर रहा है. राउलजी ने बताया कि गोधरा निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 30 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं, लेकिन गोधरा शहर- जो कि सीट के केंद्र में है- में 52 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है.

उन्होंने कहा,‘पालम बाजार में लगभग 57,000 मुस्लिम मतदाता हैं. एआईएमआईएम का अभियान सिर्फ उस इलाके तक ही सीमित है.’ मतदाता सूची के मुताबिक, निर्वाचन क्षेत्र में कुल 2.58 लाख मतदाता हैं.

भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के सदस्य और गुजरात में पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी रामजानी जुजुरा भाजपा के रिस्टबैंड, मोबाइल स्टीकर, मोबाइल स्टैंड से अपनी भगवा पहचान को उजागर कर रहे हैं.

Ramjani Jujura | Photo: Praveen Jain | ThePrint
रमजानी जुजुरा | फोटोः प्रवीण जैन | दिप्रिंट

जुजुरा पालम बाजार के मुस्लिम बहुल इलाके में रहते हैं और उनके परिवार के कम से कम दो सदस्य 2002 की ट्रेन में आग लगने की घटना में आरोपी थे.

अपने घर में बैठे गुजरात उच्च न्यायालय के अधिवक्ता जुजुरा ने कहा कि वह 1995 से भाजपा का हिस्सा हैं ‘मैं भाजपा का एक समर्पित कार्यकर्ता रहा हूं. मैं राष्ट्रवाद की संघ विचारधारा में विश्वास करता हूं.’

उन्होंने कहा, ‘मैं भी एक कट्टर मुसलमान हूं और पांच बार नमाज पढ़ता हूं. मेरे चाचा ने साबरमती एक्सप्रेस जलाने के मामले में एक अभियुक्त के रूप में साबरमती जेल में नौ साल बिताए. उन्हें 2011 में बरी कर दिया गया था. मेरा भतीजा, जो तब नाबालिग था, गिरफ्तार किया गया था और अभी भी जेल में है. मैं मोदी जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि इन सभी को अभी रिहा किया जाए, ताकि मुस्लिम भी मुख्यधारा में शामिल हो सके.’

जुजुरा ने दावा किया कि उनके घर और कार्यालय पर कई बार हमला किया गया था और हाल ही में स्थानीय बदमाशों ने उनके कार्यालय और घर पर पथराव किया था. उन्होंने कहा, ‘मेरे संघ भाई और पुलिस प्रशासन मेरी रक्षा करते हैं.’

जुजुरा के 79 साल के चाचा इनायत, ट्रेन जलाने के मामले में आरोपी थे और उन्हें फरवरी 2002 में गिरफ्तार किया गया था. 2011 में बरी होने से पहले उन्होंने लगभग एक दशक साबरमती जेल में बिताया था. उन पर हत्या, हत्या के प्रयास, दंगा और आपराधिक साजिश के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.

दिप्रिंट से बात करते हुए इनायत ने कहा, ‘मैं एक राज्य सरकार का कर्मचारी था. मैं सिंचाई विभाग में काम करता था. मुझे स्थानीय पुलिस ने शाम 4 बजे के आसपास ऑफिस से लौटते समय पकड़ा था. न कोई पूछताछ हुई और न ही कोई सुनवाई हुई, मुझे सीधे जेल भेज दिया गया.’ वह आगे कहते हैं, ‘पिछले नौ सालों में, अदालत के सामने सिर्फ चार बार सुनवाई हुई थी. मैं अब भाजपा समर्थक हूं, क्योंकि मैं मुख्यधारा से भटकना नहीं चाहता. और जैसे-जैसे कांग्रेस का पतन होता जा रहा है, हमारी रक्षा करने वाला कोई नहीं है. मैं सरकार से अन्य आरोपियों के मामलों पर विचार करने और कम से कम उन्हें जमानत देने की अपील करता हूं.’

Inayat Jujura | Photo: Praveen Jain | ThePrint
इनायत जुजुरा | फोटोः प्रवीण जैन | दिप्रिंट

चुनौती देने वाले अन्य दल

2002 के बाद कांग्रेस ने इस क्षेत्र में लगभग 41 फीसदी और उससे अधिक का स्थिर वोट शेयर बनाए रखा है. भले ही AAP और AIMIM जैसी नई पार्टियां मैदान में आ गई हों. भाजपा और कांग्रेस दोनों के दिग्गजों को लगता है कि यह अभी भी दो दलों के बीच की लड़ाई है, वहां AAP के लिए कोई जगह नहीं है. हां, AIMIM कांग्रेस के मुस्लिम वोट बैंक में कुछ हज़ारों की कटौती जरूर कर सकता है.

कांग्रेस के प्रदेश प्रतिनिधि और गोधरा प्रभारी दुष्यंतसिंह चौहान ने कहा, ‘मुख्य चुनावी मुद्दा भाजपा की सांप्रदायिक विचारधारा है. गोधरा पिछले 20 सालों से दर्द सह रहा है. 2002 के बाद से हम यहां जीतते रहे हैं. 2017 में हम महज 258 वोटों से हारे थे. इस बार हम यहां फिर से जीतेंगे. सजायाफ्ता लोगों को संस्कारी बताकर मौजूदा विधायक और भाजपा प्रत्याशी ने अपना असली चेहरा और अपने संस्कार दिखा दिए है. लोग अब कुटिल अभियान के जाल में नहीं फंसने वाले हैं.’

अपनी हिंदू साख के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘हम राम भक्त और शिव भक्त क्षत्रिय हैं. हिंदुत्व सिखाने के लिए हमें बीजेपी की जरूरत नहीं है.’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘मुस्लिम भाई जानते हैं कि AIMIM बीजेपी का मददगार है. जहां भी बीजेपी मुसीबत में होती है, वहां वह एआईएमआईएम को ला खड़ा करते हैं.’

उधर एआईएमआईएम के उम्मीदवार मुफ्ती हसन शब्बीर कच्बा ने कहा कि उनकी पार्टी ने पिछले साल गोधरा नगरपालिका चुनावों में अपनी उपस्थिति पहले ही महसूस कर ली थी, जब वह आठ सीटों पर लड़ी थी और उसमें से सात सीटों पर जीत हासिल की थी. नगरीय निकाय में 44 सीटें हैं.

कच्बा ने कहा, ‘कांग्रेस हमसे इतनी असुरक्षित है कि वे हमें बीजेपी की टीम ‘बी’ कहते नहीं थक रही है. वे मुसलमानों के ठेकेदार नहीं हैं. हिंदू भी हमारे साथ जुड़ रहे हैं, खासकर जब उन्होंने देखा कि किस तरह से बीजेपी विधायक ने बिलकिस बानो के बलात्कारियों का समर्थन किया है.’

(अनुवाद: संघप्रिया मौर्या)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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