रांची: वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होने के बाद झारखंड के राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाज़ार गर्म है कि आगामी चुनावों में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को कितना नुकसान होगा.
30 अगस्त को रांची में केंद्रीय मंत्री और झारखंड चुनाव के लिए भाजपा के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री और राज्य के सह-प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा की मौजूदगी में चंपई अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हुए.
लगभग सभी भाजपा नेताओं ने अपने भाषणों में सत्तारूढ़ झामुमो पर निशाना साधा और कहा कि इस बार झारखंड में भाजपा की सरकार बनेगी. वहीं चंपई ने अपनी बात दोहराते हुए कहा कि झामुमो ने उनका “अपमान” किया है.
इससे पहले चौहान ने संवाददाताओं से कहा कि चंपई सोरेन का भाजपा में शामिल होना एक महत्वपूर्ण मोड़ है. उन्होंने कहा, “वे भाजपा और झारखंड को बचाने के लिए एक संपत्ति हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर अच्छा काम किया, लेकिन जो लोग अपने परिवार के लिए सत्ता चाहते थे, उन्होंने चंपई जी का अपमान किया. यह पूरे झारखंड का अपमान है.”
सरायकेला से छह बार विधायक रहे चंपई सोरेन झामुमो के संरक्षक शिबू सोरेन के विश्वासपात्र हैं और कोल्हान क्षेत्र में उन्हें ‘टाइगर’ के नाम से जाना जाता है. वे न केवल झारखंड राज्य आंदोलन के सिपाही थे, बल्कि चंपई तीन दशकों से भी अधिक समय तक झामुमो के ध्वजवाहक भी रहे.
2019 में चंपई ने भाजपा के गणेश महाली को 15,667 मतों से हराया. पूर्वी सिंहभूम (जमशेदपुर), पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) और सरायकेला जिलों से मिलकर बना कोल्हान क्षेत्र पश्चिम बंगाल और ओडिशा से अपनी सीमा साझा करता है. कोल्हान क्षेत्र के बड़े हिस्से पर संथाल, मुंडा और हो जनजातियों का वर्चस्व है.
झामुमो के लिए कड़ी चुनौतियां
राजनीतिक विश्लेषक दीपक अंबष्ठ ने दोहराया कि चंपई कोल्हान क्षेत्र में एक मजबूत आदिवासी नेता हैं.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “उनके पास समर्थकों को जुटाने और लोगों से व्यक्तिगत जुड़ाव का अनुभव है. वे झामुमो की ज़मीनी पैठ, कमियों और वोट फैक्टर से भी अच्छी तरह वाकिफ हैं. ज़ाहिर है, बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में उन्होंने झामुमो को दबाव में ला दिया है और कम से कम कोल्हान क्षेत्र में एसटी सीटों पर चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं. भाजपा राज्य के अन्य आदिवासी क्षेत्रों में भी लाभ उठाना चाहेगी.”
भाजपा विधायक दल के नेता अमर कुमार बाउरी ने माना है कि चंपई सोरेन के शामिल होने से पार्टी मजबूत होगी. “वे झारखंड आंदोलन से उभरे बेदाग छवि वाले ज़मीनी नेता हैं. उनके भाजपा में शामिल होने से झामुमो की बेचैनी बढ़ गई है.”
दूसरी ओर, झामुमो के घाटशिला विधायक रामदास सोरेन ने बागी नेता के महत्व को कम करने की कोशिश की.
झारखंड के नवनियुक्त मंत्री ने दिप्रिंट से कहा, “चंपई सोरेन का नाम झामुमो से जुड़ा रहा है. अब जब वे भाजपा में शामिल हो गए हैं. उनकी पकड़ कितनी है, यह चुनाव में देखा जाएगा. चाहे चंपई सोरेन सरायकेला से चुनाव लड़ें या घाटशिला से, उन्हें हार का सामना करना पड़ेगा. भाजपा कोल्हान क्षेत्र में फिर से अपना खाता नहीं खोल पाएगी.”
शुक्रवार की सुबह, चंपई के भाजपा में शामिल होने से कुछ घंटे पहले, रामदास सोरेन ने शपथ ली और उन्हें वही विभाग दिया गया जो पहले कोल्हान के “टाइगर” के पास था — जल संसाधन, उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग.
झामुमो के एक पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि संथाल जनजाति के गढ़ माने जाने वाले और अलग राज्य आंदोलन के योद्धा रामदास सोरेन को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक चतुर रणनीति खेलने की कोशिश की है.
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अलर्ट मोड पर JMM
राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन तेजी से बदलते समीकरणों और राजनीतिक परिदृश्य पर करीबी नजर रख रहा है, जिसमें जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद आगे बढ़कर नेतृत्व कर रहे हैं।
20 अगस्त को कोल्हान से जेएमएम के चार विधायकों- समीर मोहंती, रामदास सोरेन, मंगल कालिंदी और संजीव सरदार- ने रांची में सोरेन से करीब डेढ़ घंटे तक मुलाकात की। बाद में उन्होंने उन अफवाहों का खंडन किया कि वे चंपई सोरेन के साथ भाजपा के संपर्क में हैं।
इसके बाद 23 अगस्त को एक कार्यक्रम में शामिल होने जमशेदपुर पहुंचे हेमंत सोरेन ने सभी विधायकों, जेएमएम के प्रमुख नेताओं और सिंहभूम सांसद जोबा माझी के साथ अलग-अलग बैठकें कीं.
अपने कार्यक्रमों में सोरेन भाजपा पर नेताओं को बहकाने और सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाते रहे हैं. 27 अगस्त को दुमका में उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले चुनावों में हार का सामना करने के बाद भी विपक्षी पार्टी उनकी सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है.
चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने के बाद शनिवार को झामुमो के बागी और बोरियो के पूर्व विधायक लोबिन हेम्ब्रम भी भाजपा में शामिल हो गए. जुलाई में दलबदल विरोधी कानून के तहत हेम्ब्रम की विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई थी.
खरसावां से झामुमो विधायक दशरथ गगराई ने दिप्रिंट से कहा, “लोकसभा चुनाव में आदिवासियों के लिए आरक्षित सभी पांच सीटें हारने के बाद भाजपा की बेचैनी साफ दिख रही है. एक बार फिर दूसरे दलों के आदिवासी नेताओं को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही भाजपा अपने ही खेल में मात खा जाएगी. चंपई सोरेन भाजपा में शामिल हुए हैं, झामुमो कार्यकर्ता और समर्थक नहीं.”
उन्होंने कहा कि चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने से झामुमो की ताकत पर कोई असर नहीं पड़ेगा. कोल्हान की सभी सीटों पर इंडिया ब्लॉक की जीत होगी.
दो बार विधायक रहे गगराई ने 2014 में खरसावां में पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को हराया था. तब से यह हार भाजपा को परेशान कर रही है.
झामुमो नेता और मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने दिप्रिंट से कहा, “झारखंड में भाजपा की ज़मीनी ताकत अपनी जड़ों से हिल चुकी है, इसलिए वह किसी न किसी तरह से दूसरे दलों के नेताओं को अपने पाले में कर रही है. गीता कोड़ा और सीता सोरेन के बाद चंपई सोरेन भी इसी कड़ी का हिस्सा हैं, लेकिन यह तय है कि चंपई सोरेन अपनी सरायकेला सीट भी नहीं बचा पाएंगे. भविष्य में उन्हें अपने फैसले पर पछताना पड़ेगा.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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