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Tuesday, 5 November, 2024
होमरिपोर्ट'अगस्त से नहीं बढ़ रहे फॉलोअर्स,' राहुल ने CEO को लिखे खत में कहा- मोदी सरकार के दबाव में Twitter

‘अगस्त से नहीं बढ़ रहे फॉलोअर्स,’ राहुल ने CEO को लिखे खत में कहा- मोदी सरकार के दबाव में Twitter

राहुल गांधी ने 27 दिसंबर को जो पत्र लिखा उसमें अपने ट्विटर अकाउंट की जानकारी के साथ पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस नेता शशि थरूर के साथ अपनी तुलना भी की थी.

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नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले महीने ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि ट्विटर ने मोदी सरकार के दबाव में आकर उनके फॉलोवर्स की संख्या को सीमित कर दिया है. इसके जवाब में ट्विटर ने कहा है कि कंपनी हेरफेर और स्पैम के मामले में बिल्कुल सहिष्णुता नहीं है.

ट्विटर ने कहा, ‘हम मशीन लर्निंग टूल्स के साथ रणनीतिक रूप से और बड़े पैमाने पर स्पैम और दुर्भावनापूर्ण स्वचालन से लड़ते हैं, और एक स्वस्थ सेवा और विश्वसनीय खातों को सुनिश्चित करने के लिए लगातार और चल रहे प्रयासों के हिस्से के रूप में फॉलोअर्स की संख्या में उतार-चढ़ाव हो सकता है.’

राहुल गांधी ने 27 दिसंबर को जो पत्र लिखा उसमें अपने ट्विटर अकाउंट की जानकारी के साथ पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस नेता शशि थरूर के साथ अपनी तुलना भी की. गांधी ने कहा कि 2021 के पहले सात महीनों में उनके अकाउंट पर औसतन लगभग 4 लाख फॉलोअर्स जोड़े गए लेकिन पिछले साल अगस्त में आठ दिनों के निलंबन के बाद कई महीनों के लिए यह गति अचानक रूक गई.

इस दौरान दूसरे नेताओं के फॉलोअर्स की संख्या बढ़ती रही.

अगस्त में, दिल्ली में एक बलात्कार पीड़िता के परिवार की एक तस्वीर ट्वीट करने के बाद राहुल गांधी का ट्विटर अकाउंट कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया गया था. भाजपा ने राहुल गांधी के ट्विटर पोस्ट पर आपत्ति जताई थी, जिसके बाद माइक्रोब्लॉगिंग साइट ने नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए उनके खाते को आठ दिनों के लिए निलंबित कर दिया था.

गांधी ने अपने पत्र में कहा, ‘दुनिया भर में उदार लोकतंत्र और सत्तावाद के बीच वैचारिक लड़ाई को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म द्वारा आकार दिया जा रहा है. ऐसी स्थिति में उन पर एक बड़ी जिम्मेदारी आ जाती है जो ट्विटर जैसी कंपनियों के ऊपर है.

रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस पार्टी ने दावा किया है कि उसे ट्विटर के माध्यम से अपनी सोशल मीडिया पहुंच बढ़ाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो हाल के दिनों में मतदाताओं तक पहुंचने में एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया है.


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