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Monday, 23 December, 2024
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पैदल घर लौट रहे श्रमिकों की तस्वीरें कर रहीं विचलित, प्रियंका ने योगी को पत्र लिखकर दिए सुझाव

कोरोनावायरस के संक्रमण के भय से देशभर में 21 दिन का लॉकडाउन किया गया है.अभी दूसरा दिन भी पूरी तरह से नहीं बीता है कि हजारों हजार मजदूर सामान के साथ बिहार और यूपी की तरफ निकल गए हैं.

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लखनऊ: लाॅकडाउन के बाद पिछले दो दिनों से लगातार देश के अलग-अलग हिस्सों से यूपी पैदल लौट रहे मजदूरों व श्रमिकों की तस्वीरें आ रही हैं. जो विचलित करने वाली है. कोरोनावायरस के संक्रमण के भय से देशभर में 21 दिन का लॉकडाउन किया गया है.अभी दूसरा दिन भी पूरी तरह से नहीं बीता है कि हजारों हजार मजदूर सामान के साथ बिहार और यूपी की तरफ निकल गए हैं. चूंकि सरकार का मकसद लोगों को जो जहां जिस शहर में है उसे रोकना था इसलिए गाड़िया, बसें और ट्रेन 31 तारीख तक बंद हैं लेकिन मजदूरों के पास काम न होने की वजह से ये लोग पैदल ही अपने-अपने गांव की तरफ निकल गए हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फैक्ट्री मालिकों सहित देशवासियों से गुजारिश की थी कि वह मजदूरों के पैसे न काटें और उनके रहने खाने की व्यवस्था करें लेकिन मजदूरों का आरोप है कि उनके मालिकों ने उन्हें न तो पैसा दिया है और न रहने खाने की व्यवस्था ही की है जिसकी वजह से उनके पास खाने पीने की व्यवस्था न होने की वजह से वह अपने गांव जा रहे हैं.और ये लोग भूखे-प्यासे वे पैदल ही अपने घर निकल पड़े हैं. कांग्रेस यूपी इंचार्ज प्रियंका गांधी ने सीएम योगी को पत्र लिखकर इन मजदूरों की मदद के लिए कई सुझाव दिए हैं.

प्रियंका के सुझाव

प्रियंका ने लिखा है- ‘लॉकडाउन के चलते अर्थजगत व लोगों की रोजी-रोटी पर भी खतरा मंडरा रहा है. इसका सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव गरीबों और मजदूरों पर पड़ रहा है. ये वक्त हम सबके लिए अपने मतभेदों से ऊपर उठकर देश के लिए एकजुट होकर लड़ने का वक्त है. हमें खास ध्यान रखना होगा कि इस घड़ी में प्रदेश की जनता खासकर वंचित और गरीब तबके के लोगों के सामने और गहरा संकट खड़ा न हो.

प्रियंका लिखती हैं, ‘इस आपदा ने दिहाड़ी मजदूरों, ठेले-पटरी वालों, निर्माण मजदूरों, निराश्रितों, विधवाओं, विकलांगों की जिंदगी में तूफ़ान सा ला दिया है. आपसे निवेदन है कि इनके लिए जो भी योजनाएं व घोषणाएं हों उनका लाभ उन तक पहुंचना सुनिश्चित करवाएं.

आपसे निवेदन है कि रास्ते में फंसे मजदूरों को घर पहुंचाने का काम सुचारू रूप से होना चाहिए. अगर अधिक संख्या में लोग रास्ते में हैं तो सरकारी स्कूल व कालेज खोलकर उनके लिए बसेरे बनाए जा सकते हैं और फिर साधन होने पर उनको रवाना किया जा सकता है.’

इनमें से कई लोगों को डर है कि उनका काम छिन जाएगा और कई लोगों को डर है कि उनके परिवार की खाद्य सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा. इसके लिए आप विभिन्न प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से बात करके इनके काम की सुरक्षा की गारंटी कराने के लिए मिलकर निर्णय ले सकते हैं. हर प्रदेश में यूपी के लोगों के लिए एक हेल्प लाइन जारी कर ऐसे मजदूरों को आश्वस्त कर सकते हैं कि उनके परिवार की खाद्य सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार ले रही है.’

डाॅक्टरों की सुरक्षा का भी रखें ध्यान

अपनो पत्र में प्रियंका ने ये भी लिखा है कि कई जगह पर डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को निजी सुरक्षा के उपकरण न होने की खबरें आ रहीं हैं. डाक्टर, मेडिकल स्टाफ, सफाईकर्मी, आशा कर्मी और नर्स की सुरक्षा के उपकरण उपलब्ध कराना पहला कर्तव्य होना चाहिए. कुछ जगहों पर नर्सों ने और मेडिकल स्टाफ ने कई महीनों से तनख्वाह न मिलने के चलते प्रदर्शन किए हैं. इनका समाधान होना चाहिए.

प्रियंका के मुताबिक,  ‘हमने हर जिले में वाॅलंटियर टीम और हेल्पलाइन तैयार की है जो जनता की मदद के लिए मौजूद है. ये टीमें जनसेवा और प्रशासन की मदद के लिए हरदम तैयार हैं. यूपी शासन अपने राहत कार्यों को और तेज व सुगम बनाने के लिए इन टीमों का उपयोग कर सकते हैं, यही निवेदन है.’

(प्रशांत श्रीवास्तव के इनपुट्स के साथ)

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