नई दिल्ली: संसद के ऊपरी सदन में विपक्ष द्वारा उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के बीच शुक्रवार को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के साथ तीखी नोकझोंक की.
इस तनावपूर्ण गतिरोध के बाद इतना हंगामा हुआ कि सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई.
धनखड़ ने कहा, “मैं किसान का बेटा हूं, कमजोरी नहीं दिखाऊंगा. देश के लिए मर जाऊंगा, मिट जाऊंगा. आपका 24 घंटे एक ही काम है. किसान का बेटा यहां क्यों बैठा है. मैं आंखों से देख रहा हूं. पीड़ा महसूस कर रहा हूं. मेहरबानी करके कुछ सोचिए. आपको मेरे खिलाफ प्रस्ताव लाने का अधिकार है, लेकिन आप संविधान का अपमान कर रहे हैं.”
खरगे ने भी राजस्थान के भाजपा नेता पर हमला तेज़ करने के लिए राज्यसभा के सभापति को उनकी विनम्र पृष्ठभूमि की याद दिलाई.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “आप (भाजपा) सदस्यों को अन्य दलों के सदस्यों के खिलाफ बोलने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं…मैं भी एक मज़दूर का बेटा हूं. मैंने आपसे ज्यादा चुनौतियों का सामना किया है. आप हमारी पार्टी के नेताओं का अपमान कर रहे हैं, आप कांग्रेस का अपमान कर रहे हैं…हम यहां आपकी तारीफ सुनने नहीं आए हैं, आपको सभी को बोलने का मौका देना चाहिए…”
विपक्षी दल इंडिया ने पिछले कुछ समय से धनखड़ पर सदन में अपने सदस्यों को उचित स्थान न देने का आरोप लगाया है.
बुधवार को खरगे ने राज्यसभा अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए कहा था कि धनखड़ उच्च सदन में रुकावट के पीछे “सबसे बड़ा कारण” हैं, जहां वे “कक्षा में छात्रों” के लिए “प्रधानाध्यापक” की तरह काम करते हैं.
खरग ने कहा था कि धनखड़ के कार्यों ने संसदीय लोकतंत्र को “खतरे में” डाल दिया है, जिससे विपक्ष के पास उन्हें हटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.
इससे पहले दिन में कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने सदन में कहा था कि खरगे दलितों और मज़दूरों के बेटे हैं.
लेकिन धनखड़ ने उचित प्रक्रिया का पालन न करने और उनकी छवि खराब करने के लिए खरगे पर हमला किया.
उन्होंने कहा, “…मैंने बहुत सहन कर लिया है. आज किसान सिर्फ खेती तक ही सीमित नहीं हैं. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप समय निकालकर मुझसे मिलें. अगर नहीं, तो मैं आकर आपसे मिलूंगा.”
उन्होंने कहा, “आपको मेरे खिलाफ प्रस्ताव लाने का हक है, लेकिन यह संवैधानिक प्रावधानों से भटकना है. मैंने सार्वजनिक डोमेन में उल्लिखित सभी बातों को पढ़ा है. आप प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल पूछ रहे हैं.”
इसके बाद खरगे ने कहा कि राज्यसभा अध्यक्ष को सदन को स्थापित नियमों के अनुसार चलाना चाहिए. कांग्रेस के दिग्गज नेता ने यहां तक आरोप लगाया कि राज्यसभा अध्यक्ष उनका अपमान कर रहे हैं. “आप मेरा अपमान कर रहे हैं. मैं आपका सम्मान कैसे कर सकता हूं?”
इस हंगामे के बीच कई विपक्षी सदस्यों ने शिकायत की कि जब खरगे सदन में बोल रहे थे, तब टेलीविजन कैमरा उन्हें नहीं दिखा रहा था. जल्द ही हंगामा शुरू हो गया, जिसके बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई.
सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव तब शुरू हुआ, जब धनखड़ ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राधा मोहन दास अग्रवाल को प्रेस वार्ता के मुद्दे पर बोलने की अनुमति दी, जिसमें विपक्ष ने राज्यसभा अध्यक्ष पर हमला किया था.
अग्रवाल ने कहा, “विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव लाने से पहले नोटिस देना चाहिए और प्रक्रिया का पालन करना चाहिए, लेकिन वो प्रेस कॉन्फ्रेंस और सोशल मीडिया के माध्यम से संवैधानिक प्राधिकरण की छवि को धूमिल कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का इतिहास देश के राष्ट्रपतियों और उपराष्ट्रपतियों का सम्मान न करने का रहा है.
भाजपा सदस्य ने आरोप लगाया, “नेहरू ने लगातार सभापति राजेंद्र प्रसाद का अपमान किया. रिटायरमेंट के बाद उन्हें रहने के लिए घर नहीं दिया गया. उन्हें आश्रम में रहना पड़ा. जब वे बीमार हुए, तो नेहरू उन्हें देखने नहीं गए और न ही उन्हें मेडिकल सहायता दी…”
अग्रवाल के अनुसार, यहां तक कि सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भी प्रसाद से मिलने न जाने की सलाह दी गई थी, लेकिन वे गए.
उन्होंने कहा कि खरगे इतने “चापलूस” हैं कि वे 82 साल की उम्र में संवैधानिक सत्ता के खिलाफ बदलाव कर रहे हैं.
धनखड़ के बचाव में भाजपा के सुरेंद्र सिंह नागर और नीरज शेखर भी सामने आए.
उत्तर प्रदेश से सांसद ने कहा, “विपक्ष ने इस देश के किसानों का अपमान किया है और यहां तक कि जब चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किया गया, तो उन्होंने उनका अपमान किया. कांग्रेस पार्टी न केवल किसान विरोधी है, बल्कि ओबीसी विरोधी भी है. इसलिए वो एक किसान के बेटे का अपमान कर रहे हैं.”
इस बीच शेखर ने कहा कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि अगर संसद में किसान का बेटा इतने प्रतिष्ठित पद पर बैठा है तो कांग्रेस को क्या परेशानी है. गांधी परिवार का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, “विपक्ष सिर्फ एक परिवार को आगे बढ़ते देखना चाहता है…”
कार्यवाही स्थगित करने से पहले, राज्यसभा अध्यक्ष ने खरगे और सदन के नेता जेपी नड्डा से आग्रह किया कि वह संसद में गतिरोध दूर करने के लिए बाद में उनसे उनके कक्ष में मिलें.
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