मुंबई: 2007 के नगर निकाय चुनावों में दो ठाकरे थे जो अपनी छाप छोड़ना चाह रहे थे. एक थे शिवसेना के उद्धव ठाकरे, अपने तेज़-तर्रार और आक्रामक पिता बाल ठाकरे के विपरीत, विनम्र और शर्मीले. उद्धव पहली बार बृहन्मुम्बई महानगर पालिका (बीएमसी) चुनावों में, कार्यकारी अध्यक्ष के नाते अपनी पार्टी की अगुवाई कर रहे थे. उनके ऊपर राजनीतिक पर्यवेक्षकों की निगाहें लगीं थीं, जो सोच रहे थे कि क्या वो अपने पिता की विरासत पर खरे उतर पाएंगे.
दूसरे थे राज ठाकरे, जिन्हें उनके चाचा और शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे की प्रतिमूर्ति माना जाता था और जो एक साल पहले ही उद्धव की तरक़्क़ी की टीस में, शिवसेना से बाहर आ गए थे और अपनी एक अलग पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का गठन कर लिया था.
पंद्रह साल के बाद, महाराष्ट्र मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचकर, उद्धव ने अपने आलोचकों का अच्छे से मुंह बंद कर दिया है, जबकि उनके कज़िन की मनसे बीएमसी और प्रदेश असेम्बली में एक-एक सीट पर सिमटकर रह गई है. राज ठाकरे और उनकी मनसे के लिए, जो 2014 के बाद से गिरावट से गुज़र रही है, इस साल के आगामी बीएमसी चुनाव अस्तिव की खोज बन गए हैं.
ज़ोरदार वापसी की उम्मीद के साथ, मनसे नेताओं ने मुम्बई के कुछ मराठी-बहुल इलाक़ों- ख़ासकर दादर, माहिम और प्रभादेवी में घर-घर जाकर प्रचार करना शुरू कर दिया है और उनका अभियान है ‘मत मगायला नाहि, मत विचारायला जातोय (हम वोट नहीं मांग रहे, हम आपकी राय मांग रहे हैं.’
पार्टी राज ठाकरे के नाम के साथ ‘मराठी ह्रदय सम्राट’ की उपाधि को जोड़ना चाह रही है और युवा मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने के लिए, उनके 29 वर्षीय बेटे अमित को प्रमुखता के साथ आगे बढ़ा रही है.
महाराष्ट्र के दूसरे बड़े शहरों और क़स्बों में भी, इस साल निकाय चुनाव होने जा रहे हैं, इसलिए राज ठाकरे ने कार्यकर्त्ताओं के साथ संवाद बढ़ाने के लिए मैदानी दौरे करने शुरू कर दिए हैं. ताकि पार्टी के भीतर प्रशासनिक कमियों को पूरा किया जा सके.
एक वरिष्ठ मनसे पदाधिकारी ने, जो अपना नाम नहीं बताना चाहते थे, ने दिप्रिंट से कहा, ‘बहुत से मायनों में ये हमारे लिए करो-या-मरो के चुनाव हैं. हमारे काडर के अंदर उत्साह ठंडा पड़ गया है. लेकिन अपने मज़बूत इलाक़ों में घर-घर प्रचार करके हम धीरे -धीरे समर्थन हासिल कर रहे हैं.’
बीएमसी की कुल 227 सीटों में से शिवसेना के पास 97 सीटें हैं, बीजेपी के पास 83 हैं, कांग्रेस के पास 29 और एनसीपी के पास 8 हैं, जबकि समाजवादी पार्टी के पास 6, ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लेमीन की दो, और मनसे की एक सीट है.
हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक तिथि घोषित नहीं हुई है, लेकिन अपेक्षा की जा रही है कि निकाय चुनाव इस साल अप्रैल में हो सकते हैं.
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अपने पुराने इलाक़ों पर ज़ोर
दादर से पूर्व पार्षद और वरिष्ठ मनसे पदाधिकारी संदीप देशपांडे ने दिप्रिंट से कहा कि वो कोविड-19 महामारी में गंवाए गए समय की भरपाई करने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘क़रीब एक महीना हो गया है जब हमने घर-घर जाकर लोगों से फिर से जुड़ना शुरू किया है, और हम उनसे कह रहे हैं कि हम आपका वोट मांगने यहां नहीं आए, बल्कि आपकी समस्याओं को समझने आए हैं. महामारी की वजह से दो सालों में, निजी संपर्क में एक अंतराल आ गया था, जिसे हम इस अभियान में भरने की उम्मीद कर रहे हैं.’
देशपांडे ने आगे कहा कि अभी तक, उनका घर-घर जाकर संपर्क साधने का अभियान, दादर, माहिम, प्रभादेवी, वर्ली, विखरोली, और भांडुप जैसे इलाक़ों में शुरू हुआ है. ये वो इलाक़े हैं जहां मनसे अतीत में वोटों के एक अच्छे हिस्से को अपनी ओर खींचने में कामयाब रही थी.
एक और पूर्व मनसे पार्षद संतोष धूरी ने दिप्रिंट को बताया कि वो मतों की प्रवृत्ति का अध्ययन कर रहे हैं. ‘हमने वोटों की प्रवृत्तियों का विश्लेषण किया और देखा कि दादर, माहिम, प्रभादेवी जैसे इलाक़ों में, पहले के बीएमसी चुनावों में हर पार्टी के वोटों की हिस्सेदारी, काफी हद तक स्थिर रही है. पिछले चुनाव में जब हमने ये सीटें गंवाईं भी, तब भी हमारे वोटशेयर में कोई ज़्यादा गिरावट नहीं आई. इसलिए हमें लगता है कि कुछ प्रयास के साथ, इन इलाक़ों में हम अपने खोए हुए वोटों को फिर से हासिल कर सकते हैं.’
अपने डोर-टु-डोर अभियान के दौरान मनसे कार्यकर्त्ता स्थानीय निवासियों से पूछते हैं कि उनके सामने क्या समस्याएं हैं, क्या उन्होंने इन्हें अपने जन प्रतिनिधियों के सामने उठाया है, और उनकी पार्टी इसमें किस तरह सहायता कर सकती है.
धूरी ने कहा, ‘हम वाड़ियों, इमारतों, और चालों में जा रहे हैं, और वहां के लोग अपने मौजूदा जन प्रतिनिधियों से नाराज़ हैं. हमें बहुत अच्छा रेस्पॉन्स मिल रहा है’.
2009 से पहले, इन इलाक़ों में पारंपरिक रूप से शिवसेना का वर्चस्व रहता था. लेकिन 2009 के असेम्बली चुनावों, और 2012 के बीएमसी चुनावों में, मनसे ने यहां मज़बूती के साथ सेंध लगाई. लेकिन, 2014 के असेम्बली चुनावों और 2017 के निकाय चुनावों में, शिवसेना ने अपना ये गढ़ एक बार फिर शिवसेना से छीन लिया.
मनसे अपने अध्यक्ष के लिए पारंपरिक उपाधि ‘मराठी ह्रदय सम्राट’ को फिर से मज़बूती के साथ फोकस में ले आई है. इसी महीने घाटकोपर में एक पार्टी कार्यकर्त्ता ने राज ठाकरे को ‘हिंदू ह्रदय सम्राट’ कहा था, जिसे बाल ठाकरे के साथ जोड़ा जाता है. उसके कुछ ही समय बाद मनसे ने एक बयान जारी करके, ज़ोर देकर कहा कि पार्टी अध्यक्ष के साथ केवल ‘मराठी ह्रदय सम्राट’ की उपाधि को जोड़ा जाना चाहिए.
देशपांडे ने कहा, ‘हमारा ज़ोर हमेशा से मराठी अस्मिता पर रहा है, लेकिन हम शिवसेना-शासित बीएमसी के ग़लत कामों का पर्दाफाश करने पर भी ध्यान लगा रहे हैं, और कोविड-19 के दौरान बिना टेंडर निकाले दिए गए ठेकों जैसे मामलों की ओर भी, लोगों का ध्यान आकृष्ट करा रहे हैं.’
राज ठाकरे के दौरे, अमित ठाकरे को बढ़ावा
पार्टी नेताओं ने बताया कि मुंबई के अलावा और भी बहुत से नगर निकाय, जैसे पुणे, नाशिक, नागपुर, ठाणे और पिंपरी-चिंचवाड़ आदि भी, चुनावों की ओर बढ़ रहे हैं, इसलिए मनसे नेतृत्व ने थोड़ा थोड़ा करके पार्टी कार्यकर्त्ताओं से संवाद, और प्रशासनिक इकाइयों को फिर से संगठित करना शुरू कर दिया है.
पार्टी में कुछ लोगों को लगता है कि ये काम पहले शुरू हो जाना चाहिए था. एक मनसे नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘पार्टी नेतृत्व को ये काम पिछले दो वर्षों के दौरान करना चाहिए था, जब हमारा काम कुछ रुका हुआ था. ज़मीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के लिए, अभी बहुत काम किया जाना बाक़ी है, लेकिन कम से कम ये एक शुरुआत है.’
दूसरे उपायों में, मनसे ने राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे को प्रमुखता के साथ आगे बढ़ाया है, जो मुंबई और आस-पास के नवी मुंबई और कल्याण-डोंबिवली जैसे इलाक़ों में, पार्टी कार्यालयों का उद्घाटन कर रहे हैं, और वृक्षारोपण और स्वच्छता अभियान जैसे प्रोजेक्ट्स चला रहे हैं.
पिछले साल दिसंबर में, राज ठाकरे ने नाशिक, औरंगाबाद और पुणे का दौरा किया था, जहां उन्होंने पार्टी काडर के साथ बातचीत की, नए सदस्यों को पार्टी में शामिल किया, और स्थानीय पत्रकारों से बातचीत की. उन्होंने पार्टी कार्यकर्त्ताओं को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, कि हर पार्टी कार्यकर्त्ता और समर्थक के घर के ऊपर मनसे का झंडा लगा हो. मनसे नेताओं ने कहा कि कोंकण और विदर्भ जैसे क्षेत्रों में ऐसे और दौरे होने जा रहे हैं.
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