नई दिल्ली: तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के. अन्नामलई ने दिप्रिंट को दिए एक खास इंटरव्यू में कहा है कि लोग तो उसी का स्वागत करेंगे जो राज्य के लोगों के लिए काम करे और राज्य की भलाई को प्राथमिकता दे, चाहे वह शशिकला जी हों या फिर अन्नामलई.
तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता की खास सहयोगी रहीं वी.के. शशिकला ने हाल ही में अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक) पर दावेदारी जताई है जिन्होंने अक्टूबर में खुद को पार्टी महासचिव बताते हुए एक पट्टिका का अनावरण किया था. गौरतलब है कि शशिकला को अगस्त 2017 में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था और मार्च 2021 में विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने कहा था कि वह राजनीति से ब्रेक ले रही हैं.
अक्टूबर में स्थानीय निकाय चुनावों में अन्नाद्रमुक के खराब प्रदर्शन के बाद कई लोग पार्टी में उनकी वापसी को स्वाभाविक मान रहे हैं.
आईपीएस अधिकारी से बीजेपी नेता बने अन्नामलई ने शशिकला की राजनीति में संभावित वापसी पर कहा ‘जो कोई भी राज्य की सेवा करना चाहता है और अगर उसकी मंशा सही है तो वह महत्वपूर्ण और स्वागत योग्य है. कोई ऐसा व्यक्ति जो राज्य की प्राथमिकताओं को अहमियत देता हो और जनता की सेवा करना चाहता हो, वह हमेशा अनमोल होगा.’
हालांकि, अन्नामलई ने स्पष्ट तौर पर कहा कि बीजेपी शशिकला और अन्नाद्रमुक के शीर्ष नेताओं (पूर्व मुख्यमंत्री और अभी विधानसभा में नेता विपक्ष) एडाप्पदी पलानीस्वामी (ईपीएस) और (पूर्व सीएम, डिप्टी सीएम और अब विपक्ष के उपनेता) ओ. पनीरसेल्वम (ओपीएस) के बीच सुलह की कोई कोशिश नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि बीजेपी अन्नाद्रमुक की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करेगी क्योंकि अन्य दलों के आंतरिक मुद्दों में दखल देना उसकी नीति में ही शामिल नहीं है.
तमिलनाडु बीजेपी के प्रमुख ने अन्नाद्रमुक के साथ पार्टी के गठबंधन में दरार आने की अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि गठबंधन मजबूत हो रहा था क्योंकि यह एक ‘स्वाभाविक गठबंधन’ था.
तमिलनाडु में दो दशकों तक ‘शून्य’ पर सिमटे रहने के बाद राज्य विधानसभा में अपना स्कोर सुधारने (उसने 2021 के विधानसभा चुनावों में चार सीटें जीतीं) वाली पार्टी बीजेपी के अध्यक्ष अन्नामलई ने कहा कि आने वाले सालों में पार्टी की स्थिति मजबूत करने की रणनीतिक योजना पर काम जारी है ताकि अगले राज्य चुनाव में वह सरकार बनाने की स्थिति में आ सके.
‘द्रविड़ियन, तमिल केंद्रित पार्टी’
उन्होंने कहा, ‘हम बीजेपी का संदेश जमीनी स्तर तक पहुंचाने की योजना बना रहे हैं. हम एसी कमरों में बैठकर काम करने वाली शहरी पार्टी नहीं बनना चाहते. हम राष्ट्रीय पार्टी हैं लेकिन एक क्षेत्रीय पार्टी की तरह काम करते हैं. बीजेपी को अक्सर उच्च जाति वाली और तमिल विरोधी पार्टी कहा जाता है लेकिन हमें अपनी बात सही ढंग से समझाने और जमीनी स्तर तक अपनी पहुंच मजबूत करने की जरूरत है. हम एकमात्र ऐसी पार्टी हैं जो वास्तव में प्रतिभावान लोगों को आगे बढ़ाती है. क्या द्रमुक कभी पिछड़ी जाति के किसी व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाएगी?’
राज्य बीजेपी अध्यक्ष ने यह भी कहा कि पार्टी ने एक ‘द्रविड़ियन, तमिल-केंद्रित पार्टी’ के तौर पर पहचान बनाई है.
अन्नामलई ने कहा, ‘तमिलनाडु में 2026 में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 150 सीटें (234 में से) मिलेंगी और इससे एक भी सीट कम नहीं होगी.’ उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि पार्टी अब राज्य में सभी की पसंद बन रही है क्योंकि सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) अपने चुनावी वादे पूरे करने में नाकाम रही है.
‘1 ट्रिलियन डॉलर का एसजीडीपी का लक्ष्य संभव नहीं’
राज्य की मौजूदा द्रमुक सरकार पर निशाना साधते हुए अन्नामलई ने कहा कि उसने पिछले सात महीनों में कुछ नहीं किया है और अपने चुनावी वादों को पूरा करने में असमर्थ रही है. उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन और उनके कैबिनेट मंत्रियों के बीच कोई तालमेल नहीं है.
इसे और स्पष्ट करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे द्रमुक के वरिष्ठ नेता और सांसद टी.आर. बालू ने कहा था कि पेट्रोल और डीजल को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के तहत आना चाहिए जबकि राज्य के वित्त मंत्री पी. त्यागराजन इस राय से सहमत नहीं थे.
तमिलनाडु बीजेपी प्रमुख ने कहा, ‘समस्या यह है कि किसी को मुख्यमंत्री का विजन नजर ही नहीं आ रहा है और उन्हें उनके कैबिनेट मंत्री ही निराश कर रहे हैं चाहे बात कानून-व्यवस्था की हो या स्कूली शिक्षा या वित्त की.’
मौजूदा राज्य सरकार की नीतियों का जिक्र करते हुए उन्होंने साफ किया कि 1 ट्रिलियन डॉलर एसजीडीपी (राज्य सकल घरेलू उत्पाद) हासिल करने का लक्ष्य न तो संभव था और न ही निर्धारित करने योग्य था क्योंकि सरकार पहले ही बहुत अधिक कर्ज के बोझ में दबी है.
जून 2021 में राज्य सरकार की तरफ से गठित आर्थिक सलाहकार परिषद, जिसमें आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और नोबेल पुरस्कार विजेता एस्थर डुफ्लो जैसी हस्तियां शामिल हैं, के संदर्भ में अन्नामलई ने कहा कि केवल कागज पर दिखाने के लिए यह कदम अच्छा है और इसके कामकाज के बारे में कुछ भी अता-पता नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘उन्होंने अभी तक कोई विजन डॉक्यूमेंट या रिपोर्ट नहीं सौंपी है फिलहाल तो यह सिर्फ कागजों पर ही है.’
द्रमुक में नई योजनाएं तैयार करने के लिए ‘बौद्धिक क्षमता’ के अभाव को लेकर पूर्व में की अपनी टिप्पणी के बारे में बात करते हुए अन्नामलई ने कहा कि केवल अल्पकालिक नीतियां बनाई जा रही थीं जैसे वोट पाने के लिए मुफ्त सुविधाओं की घोषणा आदि.
उन्होंने कहा, ‘किसी भी योजना के बारे में सोचना फिर उसकी व्यावहारिकता जांचना और तब जाकर उसे लागू किया जाना जरूरी होता है. मुफ्त बांटने की घोषणा करना आम हो गया है लेकिन यह वो व्यवस्था नहीं है जिस पर तमिलनाडु की अर्थव्यवस्था आधारित है. मैन्युफैक्चरिंग में सुधार के लिए कोई विजन नहीं है, सर्विस सेक्टर में भी हम पीछे हैं और इसे सुधारने के बारे में कोई विजन नहीं है. पहले तमिलनाडु नीतियों के मामले में केंद्र से भी आगे हुआ करता था.’
‘द्रमुक ने तमिल को चुनावी हथियार बनाया’
केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए सरकार की तरफ घोषित नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 पर डीएमके सरकार के विरोध के संदर्भ में अन्नामलई ने वोटों की राजनीति के लिए तमिल को ‘हथियार’ बनाने के लिए डीएमके को घेरा.
उन्होंने कहा, ‘तमिलनाडु में जो भी एनईपी का विरोध कर रहा है, उसने इसे पढ़ा नहीं है. एनईपी एक बेहतरीन नीति है जिसमें भाषाई आधार पर अल्पसंख्यकों का भी ध्यान रखा गया है. एनईपी में ऐसा कोई शब्द नहीं है जो तमिलनाडु के खिलाफ हो. राजनीति के लिए वे (द्रमुक) इस मुद्दे को उठाते रहते हैं.’
हालांकि, उन्होंने द्रमुक सरकार को केंद्र सरकार की योजनाओं को अक्षरश: लागू करने का श्रेय भी दिया और कहा कि इसने उच्च पदों पर अच्छे अधिकारियों को तैनात कर रखा है. साथ ही कहा कि अगर बुनियादी स्तर पर शासन में राजनीतिक हस्तक्षेप एक मुद्दा है.
अन्नामलई का कहना है, ‘डीएमके से एक शिकायत यह है कि उसने कभी भी पुलिस को स्वतंत्र रूप से काम नहीं करने दिया.’
‘मंदिर सरकार के नियंत्रण में नहीं होने चाहिए’
उत्तराखंड में मंदिरों पर सरकार का नियंत्रण खत्म किए जाने और कर्नाटक में भी इसी तरह के कदम की घोषणा का स्वागत करते हुए अन्नामलई ने कहा कि किसी भी सरकार का किसी भी व्यक्ति के धर्म से कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए और उसे मंदिर, मस्जिद या चर्च को चलाने में भी शामिल नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में भी ऐसा ही होना चाहिए.
अन्नामलई ने ये दावे बेबुनियाद बताए कि कर्नाटक में सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार की तरफ से लाया गया धर्मांतरण विरोधी नया कानून (कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार विधेयक 2021) सांप्रदायिक प्रकृति का है और इसे कुछ समुदायों को निशाना बनाने के लिए लाया गया है.
उन्होंने सवालिया लहज़े में कहा, ‘धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत किसी को भी ऐसे ही गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. एक पूरी प्रक्रिया है और यह कानून के मुताबिक है फिर किसी को इससे डरने की क्या जरूरत है?’
हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि तमिलनाडु को फिलहाल इस तरह के किसी कानून की जरूरत नहीं है.
उन्होंने स्पष्ट किया, ‘हाल में एफसीआरए नियमों और पैसों के लेन-देन की निगरानी ने सुनिश्चित किया है कि तमिलनाडु में जबरन धर्मांतरण जैसी कोई समस्या नहीं है.’
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