scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होमराजनीतिक्या एनसीपी प्रमुख शरद पवार आज महाराष्ट्र में अपना किला बचा पाएंगे

क्या एनसीपी प्रमुख शरद पवार आज महाराष्ट्र में अपना किला बचा पाएंगे

पश्चिमी महाराष्ट्र ने पवार का हमेशा साथ दिया है. 1999 में कांग्रेस से अलग होने के बाद शरद पवार ने अपने आप को इतना मज़बूत कर लिया था कि उनके बगैर कांग्रेस सरकार नहीं बना सकी.

Text Size:

नई दिल्ली: महाराष्ट्र के समृद्ध क्षेत्रों में से एक पश्चिमी महाराष्ट्र की इन विधानसभा चुनावों खासी अहमियत है. चीनी बेल्ट के नाम से पहचाने जाने वाले पश्चिमी महाराष्ट्र राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार का गढ़ माना जाता है. भाजपा हो या कांग्रेस सभी ने पवार के किले को ढहाने की कई बार कोशिशें कीं लेकिन वह पवार के किले को भेद नहीं सकें. आज के नतीजे से पता चलेगा कि मोदी लहर में पवार अपना किला बचा पाते हैं या नहीं.

भाजपा की कोशिश रंग लाती है या नहीं

भाजपा ने किसानों के नेता और मराठा क्षत्रप शरद पवार को सत्ता से हटाने के लिए बहुत प्रयास किया है. सामाजिक-राजनीतिक रूप से यह मराठा समुदाय का प्रमुख क्षेत्र है. भाजपा के धुर विरोधी रहे अहमदनगर के राधाकृष्ण विखे पाटिल, सोलापुर के विजयसिंह मोहिते पाटिल का परिवार, सतारा के उदयनराजे भोसले सहित कई और दिग्गजों ने भाजपा का दामन थाम लिया.

पश्चिमी महाराष्ट्र में भाजपा ने एनसीपी के नेताओं को अपनी पार्टी में लाकर राजनीति के खेल का पूरा पासा पलट दिया है, जिसकी वजह से पवार को पूरे राज्य में आक्रामक प्रचार करना पड़ा. 1999 में कांग्रेस से अलग होने के बाद शरद पवार ने अपने आप को इतना मज़बूत कर लिया था कि उनके बगैर कांग्रेस सरकार नहीं बना सकी.

पश्चिमी महाराष्ट्र ने पवार का हमेशा साथ दिया है. पवार ने सहकारी और निजी चीनी मिलों, टेक्सटाइल मिलों, मिल्क फेडरेशनों, शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से एक-दूसरे को जोड़कर रखने का काम किया था.

मोदी लहर में भी कायम रहा पवार का दबदबा

2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पश्चिम महाराष्ट्र में मोदी लहर के बावजूद कोई असर नहीं पड़ा था. 2014 में एनसीपी को चार लोकसभा सीटें पश्चिम महाराष्ट्र से ही मिली थीं. 2019 के लोकसभा चुनाव में एनसीपी ने जो चार सीटें मिली, वो भी यहीं से हैं. 2014 के चुनाव में पश्चिम महाराष्ट्र की 58 विधानसभा सीटों में से बीजेपी 20, शिवसेना 10, कांग्रेस 8, एनसीपी 17 और अन्य 4 सीटें जीतने में सफल रही थीं.

2014 के महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों में से भाजपा 122 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है, वहीं शिवसेना 63 सीटें जीत कर नबंर दो की पार्टी बनी. जबकि कांग्रेस को 42 सीटें मिली थी. शरद पवार की एनसीपी ने 41 सीटों पर बाजी मारी थी.

छह महीनों में पवार के कई साथियों ने पाला बदला

पश्चिम महाराष्ट्र में भाजपा ने राजनीति का पासा पलट दिया है. सिर्फ छह महीनों के भीतर पश्चिम महाराष्ट्र के कई बड़े नेताओं को अपने पाले में लाकर राजनीतिक परिदृश्य को बदलने की साफ कोशिश दिखाई दे रही है. भाजपा लोगों को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि एक ब्राह्मण मुख्यमंत्री ने मराठों को आरक्षण दिया है.

पश्चिमी महाराष्ट्र में कुल 58 विधानसभा सीटें हैं. कोल्हापुर, सांगली, सतारा और पुणे में बाढ़ पीड़ितों को समय पर राहत की कमी प्रमुख मुद्दों में से एक हैं. आर्थिक मंदी और उद्योगों का बंद होना, सालों से चीनी सहकारी समितियों को चलाने वाले स्थानीय नेताओं के माध्यम से यहां की राजनीति को नियंत्रित करना चुनावी मुद्दा रहा है.

शरद पवार पर आरोप

एनसीपी प्रमुख शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार समेत 70 लोगों के खिलाफ महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक के कथित 1000 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगा है. इसमें शीर्ष सहकारी बैंक को 2007 से 2011 के बीच 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप है. महाराष्ट्र कोऑपरेटिव सोसाइटीज एक्ट के तहत एक अर्ध न्यायिक जांच समिति ने इस मामले में पवार और अन्य को जिम्मेदार ठहराया था. चीनी मिलों और कपास मिलों को बैंकिंग और भारतीय रिजर्व बैंक के कई नियमों की ताक पर रख कर अंधाधुंध तरीके से कर्ज बांटे गए.

पश्चिमी महाराष्ट्र गन्ने की राजनीति का प्रमुख केंद्र है

पश्चिमी महाराष्ट्र गन्ना किसानों की ज्यादा आबादी के साथ एक कृषि बेल्ट है. लेकिन, अब किसानों की नाराजगी को देखते हुए ऐसा कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र के गन्ना बेल्ट में शरद पवार की वापसी हो सकती है. महाराष्ट्र के गन्ना किसानों को चीनी मिलों से भुगतान में देरी और बाढ़ की वजह से किसानों को बहुत समस्या का सामना करना पड़ा. इसलिए राज्य के किसान सरकार से नाराज हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में गन्ना बेल्ट में एनसीपी के प्रदर्शन को देखते हुए ऐसा लगता है कि शरद पवार अपना किला बचाने कामयाब हो जायेंगे.

share & View comments