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Wednesday, 20 November, 2024
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‘ये वैसा नहीं जो हम चाहते हैं’—विपक्ष ने क्यों राज्यसभा में किसानों पर सरकार के ‘बहस प्रस्ताव’ को खारिज कर दिया

राज्यसभा की कार्यवाही मंगलवार को स्थगित करनी पड़ी क्योंकि विपक्ष का कहना था कि सरकार कृषि कानूनों की निरस्त करने की मांग समेत उनकी तरफ से उठाए जा रहे तमाम तीखे मुद्दों पर चर्चा की अनुमति नहीं दे रही है.

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नई दिल्ली: राज्यसभा की कार्यवाही को मंगलवार दोपहर उस समय स्थगित कर दिया गया जब सदन में सभापति की तरफ से ‘कृषि समस्याओं और उनके समाधान’ विषय पर चर्चा की पेशकश किए जाने के बाद विपक्ष ने जोरदार हंगामा कर दिया.

विपक्ष ने चर्चा के विषय के साथ-साथ उस संसदीय प्रक्रिया पर भी कड़ी आपत्ति जताई जिसके तहत इसकी अनुमति दी गई थी. विपक्ष का कहना था कि उसने मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर चर्चा के लिए ‘ध्यानाकर्षण प्रस्ताव’ का नोटिस दिया था, लेकिन उपरोक्त विषय पर ‘अल्पकालिक चर्चा’ की अनुमति दी गई है.

ध्यानाकर्षण प्रस्ताव की प्रक्रिया में इसमें उठाए गए सवालों से संबंधित मंत्री को सबसे पहले इस पर सदन में एक बयान देना होता है और इसके बाद चर्चा होती है. जबकि अल्पकालिक चर्चा में ढाई घंटे से अधिक बहस की अनुमति नहीं होती है.

इस बदलाव के बाबत विपक्ष का कहना है कि यह विपक्षी एकजुटता को तोड़ने की सरकार की कोशिश का हिस्सा है.

विपक्ष ने सरकार पर उसकी तरफ से उठाए गए कुछ अहम मुद्दों पर चर्चा की अनुमति नहीं देने का आरोप भी लगाया, जिसमें कृषि कानूनों को निरस्त करना और पेगासस स्नूपिंग विवाद शामिल है.

हंगामे के समय न तो सभापति वेंकैया नायडू और न ही उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह सदन में मौजूद थे, पीठासीन अधिकारी के तौर पर सदन की कार्यवाही भाजपा सांसद भुवनेश्वर कलिता संभाल रहे थे.

चर्चा शुरू होते ही आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह पीठासीन अधिकारी के सामने की तरफ स्थिति रिपोर्टर्स टेबल चढ़ गए और प्रताप सिंह बाजवा ने एक फोल्डर उनकी ओर उछाल दिया. संजय सिंह ने पीठासीन अधिकारी को काला कपड़ा दिखाया और बाद में कई अन्य सांसद भी मेज पर चढ़ गए.

सत्ता पक्ष के सदस्यों की तरफ से दावा किया गया कि विपक्ष इस मुद्दे को लेकर गंभीर नहीं है.

 

हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही बुधवार तक स्थगित कर दी गई. नायडू ने हंगामे के बारे में जानने के लिए राज्यसभा के चैंबर की फुटेज मांगी है.

इससे पहले दिन में, वेंकैया नायडू ने प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों से किसानों के हित में चर्चा में हिस्सा लेने की अपील की थी.

उन्होंने कहा, ‘मैंने किसानों की समस्याओं पर चर्चा की अनुमति दी है, यह सदस्यों के लिए किसानों के मुद्दों पर चर्चा करके उन्हें एक अच्छा संदेश देने का समय है. किसानों की नजरें आप पर टिकी हैं.’

कलिता ने बाद में सांसदों को गतिरोध पर हरिवंश के साथ बैठक के लिए बुलाया. लेकिन बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाई.


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सदन में क्या हुआ

ध्यानाकर्षण नोटिस जुलाई में कांग्रेस के जयराम रमेश, आनंद शर्मा और बाजवा सहित नौ सांसदों की तरफ से पेश किया गया था.

पीठासीन अधिकारी ने जैसे ही चर्चा के लिए नाम पढ़ने शुरू किए विपक्ष ने आरोप लगाया कि सूचीबद्ध चर्चा वह नहीं है जो वह चाहते थे—यह दावा उनकी तरफ से सोमवार रात ट्विटर पर भी किया गया था. उन्होंने कहा कि इस बदलाव का उद्देश्य विपक्षी एकता को तोड़ना और किसानों के मुद्दे पर चर्चा का फायदा उठाना था.

जयराम रमेश ने कहा, ‘मैंने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने पर एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का नोटिस दिया था, लेकिन सदन को भरोसे में लिए बिना ही सरकार ने इसे एक अल्पकालिक चर्चा में बदल दिया. यह पूरी तरह से एकतरफा कदम है.’ साथ ही उन्होंने 2015 में राज्यसभा के सभापति की तरफ से दिए गए निर्देश का हवाला देते हुए कहा कि सदन को भरोसे में लिए बिना ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को अल्पकालिक चर्चा में नहीं बदला जा सकता है.

बाद में संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सभापति से अनुरोध किया कि वे इस मुद्दे पर सदन की राय लें.

कई विधेयकों पर सरकार का समर्थन करने वाले बीजद ने कांग्रेस की तरह इस चर्चा का बहिष्कार तो नहीं किया, लेकिन सरकार पर कड़ा हमला बोलते हुए कहा कि वह किसानों के हितों की अनदेखी कर रही है और उनकी आय दोगुनी करने के झूठे वादे कर रही है.

हंगामे के बाद, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संवाददाताओं से कहा कि ‘कुछ सदस्य (रिपोर्टर्स की) मेज पर चढ़ गए और एक सदस्य ने कुर्सी पर नियम पुस्तिका फेंक दी, जो अत्यधिक निंदनीय है.’

उन्होंने कहा, ‘लोकतंत्र में मुद्दों को चर्चा के जरिये सुलझाया जाता है, दुर्व्यवहार करके नहीं.’

बाजवा ने दिप्रिंट से बातचीत करते हुए सरकार पर ‘विपक्ष को विभाजित करने की राजनीति करने’ का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, ‘हम कृषि कानूनों को निरस्त करने पर चर्चा की मांग कर रहे थे. मैं कृषि कानूनों को वापस लेने पर बहस के लिए लगातार नोटिस दे रहा हूं. लेकिन, कल (सोमवार) रात हमें एक संदेश मिला कि किसानों की समस्याओं पर चर्चा करने के लिए हमारा नोटिस स्वीकार कर लिया गया है. लेकिन यह वही मुद्दा नहीं है. उन्होंने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव और चर्चा का विषय बदल दिया, जो वैधानिक तौर पर सही नहीं है.’

उन्होंने कहा कि विपक्ष की ‘स्पष्ट मांग है कि पहले पेगासस पर बहस हो, फिर कड़े कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए.’

उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि जब हम बॉलीवुड फिल्म की मांग कर रहे हैं तो वे हमें हॉलीवुड की तस्वीर दिखा रहे हैं.’

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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