चंडीगढ़: 5 नवंबर को कई चुनावी रैलियों को संबोधित करने के लिए हिमाचल प्रदेश जाने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब के राधा स्वामी सत्संग ब्यास डेरा का भी दौरा करने वाले हैं. यह डेरा अमृतसर से लगभग 45 किमी की दूरी पर स्थित है.
मोदी के डेरा प्रमुख गुरिंदर सिंह ढिल्लों से मिलने की उम्मीद है, जिनसे उन्होंने इसी साल हुए पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले, फरवरी में, दिल्ली में मुलाकात की थी. इस मुलाक़ात के तुरंत बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने डेरा का दौरा किया था.
भाजपा पंजाब के प्रदेश महासचिव सुभाष शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री का यह पहला डेरा दौरा होगा. आगामी 12 नवंबर को होने वाले हिमाचल विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह यात्रा काफी राजनीतिक महत्व रखती है.
डेरा ब्यास पंजाब के छह प्रमुख डेरों में से एक है और न केवल इस राज्य में, बल्कि हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में इसके बहुत बड़ी संख्या में अनुयायी हैं.
इनके लाखों अनुयायियों में हिंदू और सिख दोनों शामिल हैं, जिनमें से ज्यादातर दलित हैं, और अपने-अपने धर्मों की पहचान बनाये रखते हुए ढिल्लों से आध्यात्मिक मार्गदर्शन लेते हैं.
इसके अनुयायियों में दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल तेजेंद्र खन्ना जैसी प्रमुख हस्तियां भी शामिल हैं, जो अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए डेरा के एक कट्टर अनुयायी बन गए थे. कुछ सूत्रों ने बताया कि उनके पिता के.एल. खन्ना एक समय में डेरा प्रबंधन के सचिव हुआ करते थे.
सूत्रों ने यह भी बताया कि पंजाब के पूर्व मुख्य सचिव ईश्वर पुरी और राजन कश्यप तथा पंजाब के 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी और रॉ के प्रमुख सामंत गोयल भी इसके अनुयायी हैं.
पंजाब राज्य के भीतर पड़ने वाले माझा इलाके में इस डेरे के बड़े पैमाने पर अनुयायी हैं.
यह हिमाचल प्रदेश में भी काफी सक्रिय है, जहां यह भोटा (राज्य के हमीरपुर जिले का एक शहर) में एक धर्मार्थ अस्पताल और कई सत्संग केंद्र चलाता है जो कई सारे सामुदायिक कार्यों में शामिल हैं.
इसी साल अप्रैल में हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पारोर में डेरा के सत्संग में शिरकत की थी और ढिल्लों से मुलाकात भी की थी.
हालांकि, यह डेरा इस पहाड़ी राज्य के कई निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं को प्रभावित करने की क्षमता रखता है, मगर इसके प्रबंधन ने लगातार पूरी तरह से गैर-राजनीतिक होने का दावा किया है और इसका कहना है कि इसकी किसी भी राजनीतिक या व्यावसायिक संगठन के प्रति कोई निष्ठा नहीं है.
डेरा के लिए कतार लगा कर खड़े हैं राजनेता
फिर भी, इस दावे ने तमाम पार्टियों के राजनेताओं को डेरा के सामने कतार लगाने से नहीं रोका है, खासकर चुनाव के समय के आसपास.
साल 2001 में, अगले वर्ष (साल 2002 में) होने वाले पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी इस डेरे का दौरा किया था.
फिर भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने साल 2014 में इस डेरे का दौरा किया था, जबकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने साल 2017 में पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले साल 2016 में इस डेरा का दौरा किया था.
साल 2019 के आम चुनावों से पहले अमरिंदर सिंह ने एक बार फिर से इस डेरा का दौरा किया.
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल और उनकी पत्नी, पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने साल 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले डेरा का दौरा किया था.
पंजाब के पूर्व राजस्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया (सुखबीर सिंह के साले) की पत्नी जिनीव ग्रेवाल, ढिल्लों की करीबी रिश्तेदार हैं. अन्य नेता जो डेरा गए और उसके प्रमुख से मिले हैं, उनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल (जो साल 2017 के पंजाब चुनावों से पहले वहां गए थे), पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी (इस साल के विधानसभा चुनावों से पहले जाने वाले), साल 2019 में जाने वाले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (साल 2012, 2014 और 2018 में जाने वाले) शामिल हैं.
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प्रभावशाली और शक्तिशाली
डेरा ब्यास की पूरे भारत में लगभग 5,000 शाखाएं हैं और कई राज्यों में इसके पास बड़े भूखंड हैं. दुनिया भर के 90 देशों में भी इसके केंद्र कार्यरत हैं.
डेरा अपनी विरासत राधा स्वामी आध्यात्मिक परंपरा से ग्रहण करता है, जिसकी शुरुआत बाबा शिव दयाल सिंह ने 19वीं शताब्दी में की थी. 19वीं शताब्दी के अंत में उनके शिष्य बाबा जयमल सिंह ने हीं ब्यास डेरा की शुरुआत की थी. यही वजह है कि इसे डेरा बाबा जयमल सिंह के नाम से भी जाना जाता है.
प्रधानमंत्री मोदी रविवार को जिस डेरा का दौरा करने वाले हैं, वह 3,000 एकड़ में फैला हुआ है और अपने आप में एक ‘मिनी टाउनशिप’ जैसा है, जिसमें एक विशाल सत्संग परिसर, आवासीय क्षेत्र, एक स्कूल और एक अस्पताल बना हुआ है.
डेरा की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार सत्संग परिसर में एक साथ पांच लाख लोगों की सभा हो सकती है और लंगर (सामुदायिक भोजन) हॉल में एक बार में 50,000 लोगों को भोजन कराया जा सकता है. आध्यात्मिक सभाओं और बड़े पैमाने पर लंगर आयोजित करने के अलावा, इसके अनुयायी सामुदायिक और सामाजिक कार्यों में भी शामिल होते हैं.
डेरा ब्यास का रेलवे स्टेशन, जिसकी सफाई इसी डेरा के स्वयंसेवकों द्वारा की जाती है, को साल 2017 में भारत का सबसे स्वच्छ रेलवे स्टेशन घोषित किया गया था.
साल 2016 में, पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने इस डेरा में दुनिया की सबसे बड़ी सिंगल-रूफ-टॉप सोलर फैसिलिटी (एक ही छत पर बना सौर ऊर्जा केंद्र) का उद्घाटन किया था.
रहें हैं विवाद
हालांकि, डेरा अपने अनुयायियों को गैर-विवादास्पद बने रहने के लिए प्रोत्साहित करता रहता है; लेकिन, सूत्रों के अनुसार, साल 2012 में वह तब एक बड़े विवाद में फंस गया था जब इसके अनुयायियों ने डेरा के पास बने एक ऐतिहासिक गुरुद्वारे को कथित तौर पर ध्वस्त कर दिया था. डेरा द्वारा माफी मांगे जाने और गुरुद्वारे के पुनर्निर्माण की पेशकश किये काने के बाद मामला सुलझ गया. फिर, इस साल सितंबर के पहले सप्ताह में, कुछ निहंग सिखों (धार्मिक सिख योद्धाओं का एक दस्ता) की डेरा के अनुयायियों के साथ भिड़ंत हो गई थी, जिसमें एक दर्जन लोग घायल हो गए थे. निहंग सिखों ने कथित तौर पर अपने मवेशियों को डेरा की जमीन पर चरने के लिए छोड़ दिया था, जिसके कारण यह टकराव हुआ था.
साल 1991 में ढिल्लों ने अपने मामा बाबा चरण सिंह से डेरा प्रमुख के रूप में पदभार संभाला था. ढिल्लों को जब उत्तराधिकारी के रूप में घोषित किया गया था, तो वे स्पेन में रह रहे थे और फिर डेरा की बागडोर संभालने के लिए भारत चले आये.
कैंसर जैसी बीमारी से लड़ कर बच निकलने वाले ढिल्लों फार्मा कंपनी रैनबैक्सी के पूर्व मालिकों शिविंदर सिंह और मलविंदर सिंह से जुड़े एक हाई-प्रोफाइल मामले में भी उलझे हुए हैं. शिविंदर और मलविंदर ने दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि ढिल्लों के ऊपर उनकी कंपनियों का करोड़ों रुपये बकाया है.
बता दें कि ढिल्लों के मामा, बाबा चरण सिंह, शिविंदर और मलविंदर के नाना भी थे.
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