scorecardresearch
Saturday, 28 December, 2024
होमराजनीतिदुष्यंत चौटाला क्यों अपने मूल वोट बैंक जाट किसानों को लुभाने के बजाये भाजपा के साथ बने रहेंगे

दुष्यंत चौटाला क्यों अपने मूल वोट बैंक जाट किसानों को लुभाने के बजाये भाजपा के साथ बने रहेंगे

हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला पर आंदोलनकारी किसानों के साथ-साथ अपनी पार्टी के अंदर से भी इस्तीफा देने का दबाव बना रहा है.

Text Size:

चंडीगढ़: हरियाणा के उपमुख्यमंत्री और जननायक जनता पार्टी के प्रमुख दुष्यंत चौटाला ने किसान आंदोलन जारी रहने के मद्देनजर इस्तीफा देने का कोई इरादा न जताकर राज्य में भाजपा सरकार के साथ ही बने रहने का फैसला कर लिया है.

उपमुख्यमंत्री के करीबी सहयोगियों ने दिप्रिंट को बताया है कि चौटाला ने अपनी पार्टी के मुख्य जनाधार जाट किसानों को खुश करने के बजाये सरकार में ही बने रहने और अपने मतदाताओं को साधने का मन बना लिया है. उनके आकलन के मुताबिक जाट किसान वोट बैंक इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस के बीच बंट जाएगा.

चौटाला इस्तीफे के लिए अपनी पार्टी के भीतर बढ़ते दबाव और आंदोलनकारी किसानों की तरफ से इसकी निरंतर मांग किए जाने के बावजूद सरकार में बने रहने के अपने इरादों से पीछे नहीं हटे हैं.

10 सीटों के साथ उनकी पार्टी जेजेपी और सात निर्दलीय विधायकों ने 40 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली भाजपा को 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा पार करने में मदद की थी. कांग्रेस के पास 31 सीटें हैं.

किसानों के आंदोलन के मद्देनजर दो निर्दलीय विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. जेजेपी के कम से कम छह विधायकों ने भी सार्वजनिक तौर पर आंदोलनकारी किसानों का समर्थन किया है.

कृषि संबंधी तीन कानूनों को लेकर पड़ोसी राज्य पंजाब में विरोध प्रदर्शन शुरू होने के समय से ही आंदोलनकारी किसान चौटाला के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.

पिछले कुछ महीनों में किसानों की जेजेपी के खिलाफ त्योरियां चढ़ गई हैं और कई जाट खाप और महापंचायतों में चौटाला और उनकी पार्टी के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए जा रहे हैं.

उपमुख्यमंत्री के करीबी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि इसके बावजूद चौटाला ने सरकार में बने रहने का फैसला किया है ताकि वे विभिन्न विकास कार्य करा सकें जिससे मतदाताओं का फायदा हो, बजाये इसके कि सरकार से अलग हो जाएं और कुछ भी करा पाने की ताकत न बचे.

एक करीबी सहयोगी ने कहा, ‘उदाहरण के तौर पर जेजेपी के प्रमुख चुनावी वादे को ही ले लीजिए. इसके तहत निजी क्षेत्र की तमाम नौकरियों में हरियाणा के युवाओं के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करना था. विधानसभा में पिछले सत्र में पारित इस कानून पर राज्यपाल ने आखिरकार इस हफ्ते अपनी मुहर लगा दी है.’

उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. अगर उन्होंने सरकार से इस्तीफा दे दिया होता और विपक्ष में बैठ गए होते तो यह संभव नहीं था.’

पार्टी ने जाट किसान वोटबैंक को लेकर भी अपना आकलन किया है. करीबी सहयोगी ने आगे कहा, ‘जाट किसान देवीलाल की इनेलो का परंपरागत मतदाता रहा है. हालांकि, जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा जैसे जाट नेता ने कांग्रेस की कमान संभाली तो यही जाट वोट बंट गया.’

उन्होंने कहा, ‘अब इनेलो में विभाजन के बाद (जिससे जेजेपी का गठन हुआ) यह वोट बैंक आगे फिर बंट गया. यदि किसान आंदोलन के कारण अब हमारे जाट किसान वोट बैंक में सेंध लगती भी है तो भी हम अपने कुल वोट बैंक का कुछ हिस्सा ही गवांएगे.’

2019 के विधानसभा चुनाव में पहली बार चुनाव लड़ने वाली जेजेपी ने कुल वोट शेयर का 14.8 प्रतिशत हासिल किया था.

दुष्यंत के सहयोगी ने कहा, ‘हमने जो 14 फीसदी वोट हासिल किए थे उनमें से जाट किसानों का वोट प्रतिशत 20 प्रतिशत से थोड़ा अधिक था. अब उन 20 फीसदी मतदाताओं को खुश करने के चक्कर में हम करीब 80 प्रतिशत उन लोगों के साथ अन्याय करेंगे, जिन्होंने हमें वोट दिया था.’

पिछले साल नवंबर में राज्य की बडोदा सीट पर हुए उपचुनाव के दौरान विधानसभा चुनाव के जेजेपी को मिले वोट शेयर का एक बड़ा हिस्सा कांग्रेस में चला गया था.


यह भी पढ़ें: जेजेपी नेता दुष्यंत के पिता अजय चौटाला को दो हफ्तों के लिए मिला फर्लो


दबाव घटने के आसार नहीं

हालांकि, पार्टी का आकलन कहता है कि जेजेपी पर पार्टी के अंदर या बाहर से जारी दबाव घटने के आसार कतई नहीं हैं.

हिसार की बरवाला सीट से जेजेपी विधायक जोगी राम सिहाग, जो किसानों का खुलकर समर्थन कर रहे हैं, ने शुक्रवार को हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष का पद स्वीकारने से इनकार कर दिया जिसकी पेशकश सरकार की तरफ से की गई थी. उन्होंने मीडिया से कहा, ‘जब तक किसानों के आंदोलन का मुद्दा नहीं सुलझता, मैं सरकार में कोई पद स्वीकार नहीं करूंगा.’

सिहाग ने बुधवार को दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि वह किसानों के आंदोलन का पुरजोर समर्थन करते रहेंगे. उन्होंने कहा, ‘किसानों का समर्थन करने या न करने के बारे में पार्टी की तरफ से लिए जाने वाले फैसलों के लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं. मैं व्यक्तिगत तौर पर उनका समर्थन कर रहा हूं और आगे भी करता रहूंगा.’

सरकार की शिकायत निवारण समिति की बैठक की अध्यक्षता करने के लिए चौटाला मंगलवार को फरीदाबाद में थे और वहां उन्होंने फरीदाबाद उद्योग संघों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की थी.

उन्होंने इस्तीफे की मांग को लेकर मीडिया की तरफ से किए गए सवाल से किनारा कर लिया.

उन्होंने कहा, ‘हम किसानों के साथ हैं और केंद्र सरकार को (कृषि कानूनों में) बदलाव का सुझाव देते हुए अपने इनपुट भेज चुके हैं. सरकार ने भी माना है कि कोई भी अधिनियम बनने पर अपने अंतिम स्वरूप में नहीं होता है और उनमें संशोधन हो सकते हैं.’ साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी किसानों के साथ जारी गतिरोध खत्म करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों से संतुष्ट है.

फरीदाबाद से कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने आरोप लगाया कि चौटाला जितनी देर तक शहर में रहे उन्हें घर पर नजरबंद रखा गया था.

शर्मा ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने किसानों के आंदोलन के प्रति उनके रवैये के विरोध में उन्हें केवल काले झंडे दिखाने की योजना बनाई थी. अगर वह इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि वह क्या कर रहे हैं, तो विपक्ष से क्यों डरते हैं? उन्हें विपक्षी नेताओं को घर पर नजरबंद कराने की जरूरत क्यों पड़ी?’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: डिप्टी सीएम होकर भी दुष्यंत चौटाला ने राजनीति में खुद को स्थापित किया है, क्या ये सब सचिन पायलट देख रहे हैं


 

share & View comments