नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में भाजपा अध्यक्ष जे.पी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से लेकर उनकी कैबिनेट सहयोगी स्मृति ईरानी तक पार्टी के कई बड़े नेताओं ने या तो डेरा डाल रखा है या फिर अगले कुछ दिनों में वहां पहुंचने वाले हैं.
अब जबकि राज्य में विधानसभा चुनाव होने में कुछ ही महीने बचे हैं, भाजपा इस जिले पर विशेष ध्यान दे रही है. नड्डा ने जहां मंगलवार को बीरभूम से पार्टी की दूसरी पोरिबर्तन यात्रा की शुरुआत की, गृह मंत्री अमित शाह पिछले महीने ही जिले में एक रोड शो कर चुके हैं.
बीरभूम पर भाजपा के विशेष जोर देने के कारणों में सबसे अहम है जिले की एक शख्सियत—तृणमूल कांग्रेस के बीरभूम जिला अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी सहयोगी अनुब्रत मंडल जो कि भाजपा के मुताबिक वह मुख्यमंत्री के दाहिने हाथ हैं.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में चुनाव बूथ पर धांधली और उन्हें कब्जाने में मंडल की अहम भूमिका होती है. उक्त नेता के अनुसार, अगर मंडल नहीं होते तो 2019 के आम चुनावों में भाजपा ने जिले की दोनों लोकसभा सीटें–बोलपुर और बीरभूम—जीत ली होतीं.
भाजपा नेता ने कहा, ‘2019 में जब भाजपा उत्तर बंगाल और जंगलमहल क्षेत्रों में आगे रही थी, तो बीरभूम एकमात्र क्षेत्र था, जहां हम 2014 में बोलपुर जीतने के बावजूद असफल रहे थे.’
उन्होंने कहा, ‘अमित शाह की रणनीति तृणमूल के इस गढ़ पर काबिज होने की है, यही वजह है कि भाजपा यहां ज्यादा नेताओं को मैदान में उतार रही है. विशेष फोकस की एक बड़ी वजह यह है कि यह ममता के सबसे भरोसेमंद साथी का चुनाव क्षेत्र है जो चुनावों में धांधली के लिए जाना जाता है. हमें डर है कि वह अपनी सीट पर फिर से जीत सुनिश्चित करने के लिए जिले में गड़बड़ी कर सकते हैं.’
पश्चिम बंगाल में भाजपा के उपाध्यक्ष जयप्रकाश मजूमदार कहते हैं, मंडल इस कदर कुख्यात हैं कि चुनाव आयोग (ईसी) ने 2019 के आम चुनावों के दौरान उनकी गतिविधियों पर नजर रखी थी.
मजूमदार ने बताया, ‘2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान चुनाव आयोग ने उन पर कड़ी नजर रखी थी और आदेश दिया था कि उनकी गतिविधियों की वीडियोग्राफी की जाए. आयोग ने उनके मोबाइल फोन के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन वह दूसरों के फोन इस्तेमाल करते रहे थे. उनकी कही बात बीरभूम जिले में पत्थर की लकीर है, चाहे वह जिला मजिस्ट्रेट हो या एसपी. वह एक डॉन है और उनके सहयोगी लोगों को डराते-धमकाते हैं और चुनाव में गड़बड़ी करते हैं. हमारी कोशिश इस क्षेत्र में उनके माफिया और जंगलराज को खत्म करने की है.’
टीएमसी ने इन आरोपों को निराधार करार दिया है. बोलपुर के टीएमसी सांसद असित कुमार मल ने दिप्रिंट से कहा, ‘भाजपा को इस तरह बेवजह ही हल्ला करने की आदत है. लोगों का मानना है कि मंडल जिले के लिए भगवान समान है.’
बीरभूम जिला टीएमसी का एक गढ़ है. 2016 के विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ दल ने यहां नौ विधानसभा सीटें जीतीं थी जबकि बाकी दो माकपा और कांग्रेस के खाते में आई थीं.
यह भी पढ़ें: ममता बनर्जी बनाम नरेंद्र मोदी- पश्चिम बंगाल में कैसे टूट रही हैं राजनीतिक मर्यादाएं
भाजपा और मंडल
भाजपा समय-समय पर मंडल को निशाना बनाती रही है और उन पर राज्य में हिंसा फैलाने का आरोप लगाती है. 2018 में पश्चिम बंगाल में अपने कार्यकर्ताओं के मारे जाने के विरोध में एक प्रदर्शन के दौरान भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख दिलीप घोष ने परोक्ष रूप से मंडल को चेतावनी दी थी, जिन्हें यहां केस्टो के नाम से भी जाना जाता है.
तब घोष ने कहा था, ‘बहुत सारे टीएमसी नेता हमारे कार्यकर्ताओं को धमका रहे हैं. या तो वे जेल जाएंगे या फिर सीधे मुठभेड़ होगी. कोई भी केस्टो या बिस्टू बचेगा नहीं. हमने ऐसे एक बांड पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं जिस पर लिखा हो कि अगर वे हमें मारेंगे तो भी हम उन्हें रसगुल्ला पेश करेंगे.’
मंडल को भी भाजपा पर तीखे हमलों के लिए जाना जाता है. 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई टिप्पणी को लेकर उन्हें सार्वजनिक तौर पर ममता की फटकार सुननी पड़ी थी. मंडल ने तब कहा था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीभ काट देंगे और बीरभूम में भाजपा समर्थकों ने किसी मुस्लिम को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की, जैसा राजस्थान में माल्दा के व्यक्ति के साथ हुआ है तो वह पार्टी नेताओं को जिंदा जला देंगे.
भाजपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘टीएमसी ने उन्हें कई बार सार्वजनिक रूप से फटकार लगाई है लेकिन उनके बाहुबल और चुनावी अहमियत के कारण वह ममता के भरोसेमंद बने हुए हैं.’
भाजपा नेता ने कहा, ‘पार्टी ने टीएमसी सांसद शताब्दी रॉय के साथ बातचीत करके उनकी पकड़ खत्म करने की कोशिश की थी और उनका भाजपा में शामिल होना भी लगभग तय हो गया था. केवल शाह के साथ एक बैठक होनी बाकी थी, लेकिन आखिरी समय में उन्होंने अपना रुख बदल लिया और फिर ममता उन्हें मनाने में सफल रहीं.’
उन्होंने कहा, ‘अगर शताब्दी राय पार्टी में शामिल हो गई होती तो बीरभूम में हमारा काम आसान हो जाता. अब हम यहां अतिरिक्त प्रयास कर रहे हैं, हालांकि यह आसान काम नहीं है क्योंकि बहुत सी सीटों में मुस्लिम आबादी काफी ज्यादा है.’
बैरकपुर के भाजपा सांसद अर्जुन सिंह ने आरोप लगाया कि मंडल जिले में तमाम अवैध गतिविधियों में शामिल हैं. अर्जु सिंह ने कहा, ‘मंडल उर्फ केस्टो ने अवैध रेत खनन और कोयला ब्लॉक खनन के जरिये धन कमाया है. उसके संरक्षण में इस क्षेत्र में कई गिरोह फलफूल रहे हैं.’
बंगाली पहचान के लिए सांस्कृतिक जंग
बीरभूम पर भाजपा का ध्यान केवल मंडल के कारण नहीं है. मुख्यमंत्री के ‘बाहरी’ होने के आरोप का मुकाबला करने के लिए पार्टी बंगाल की सांस्कृतिक पहचान रवींद्रनाथ टैगोर का सहारा ले रही है.
नड्डा और शाह ने हाल के महीनों में कम से कम एक दर्जन बार टैगोर द्वारा स्थापित विश्व-भारती विश्वविद्यालय का दौरा किया है जो कि बीरभूम जिले के शांतिनिकेतन में स्थित है.
मजूमदार ने कहा, ‘रवींद्रनाथ टैगोर के लिए हर बंगाली के दिल में एक विशेष स्थान है. वह हमारे कल्चरल आइकन हैं. टैगोर की भूमि पर भाजपा की मजबूत उपस्थिति होना गर्व की बात होगी. हर क्षेत्र की अपनी विशिष्टता है लेकिन टैगोर की भूमि भाजपा और उसके सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के लिए खास अहमियत रखती है.’
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: ‘ममता अधर्मियों का कॉकटेल’—भाजपा ने दिल्ली के ट्विटर वॉरियर को बंगाल के अभियान में लगाया