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Monday, 18 August, 2025
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फरहान अख्तर की 1962 युद्ध आधारित फिल्म ‘120 बहादुर’ का बीजेपी और यादव क्यों कर रहे हैं विरोध

अखिल भारतीय यादव महासभा और हरियाणा, राजस्थान के भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि युद्ध नाटक में 1962 में बर्फीली चोटियों पर अपने प्राणों की आहुति देने वाले 114 अहीर सैनिकों की भूमिका को कम करके आंका गया है.

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नई दिल्ली: ‘उदयपुर फाइल्स’, ‘द कश्मीर फाइल्स’ और ‘साबरमती एक्सप्रेस’ के बाद अब एक और फिल्म विवादों में घिर गई है — फरहान अख्तर की ‘120 बहादुर’. इस बार विवाद का कारण हिंदी पट्टी के राज्यों की जातीय राजनीति है.

नवंबर में रिलीज़ होने वाली इस वॉर ड्रामा फिल्म का ऑल इंडिया यादव महासभा और हरियाणा व राजस्थान के बीजेपी नेताओं ने विरोध किया है. उनका आरोप है कि फिल्म में 1962 के युद्ध में शहीद हुए अहिर सैनिकों को श्रेय नहीं दिया गया है.

अहिर नेताओं ने कहा कि कुमाऊं रेजिमेंट की 13वीं बटालियन, जिसमें ज़्यादातर अहिर सैनिक थे, ने लद्दाख के रेजांग ला दर्रे की रक्षा चीनी सैनिकों के खिलाफ की थी.

लेकिन फिल्म के टीज़र में मेजर शैतान सिंह भाटी पर फोकस किया गया है, जबकि रक्षा में अहम भूमिका निभाने वाले अहिर सैनिकों को नज़रअंदाज़ किया गया है, उन्होंने जोड़ा.

ऑल इंडिया यादव महासभा के एक अधिकारी ने कहा, “मेजर शैतान सिंह, जिन्होंने रक्षा का नेतृत्व किया, अकेले 3,000 चीनी सैनिकों से नहीं लड़े थे. पूरी कुमाऊं रेजिमेंट की बटालियन, जिसमें ज़्यादातर अहिर थे, ने भूमिका निभाई थी. लेकिन उन्हें फिल्म में प्रमुखता नहीं दी गई है. पूरा टीज़र शैतान सिंह भाटी पर है.”

उन्होंने कहा, “फिल्म को उन अहिर सैनिकों को भी श्रेय देना चाहिए जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी. रेजांग ला की लड़ाई सिर्फ मेजर शैतान सिंह की बहादुरी के बारे में नहीं थी, बल्कि पूरी बटालियन की थी, जिसने 1962 के युद्ध में चीनी सैनिकों के खिलाफ मोर्चा संभाला था.”

बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रिया

इस विवाद ने हरियाणा और राजस्थान के बीजेपी नेताओं का भी ध्यान खींचा है.

पूर्व लोकसभा सांसद करण सिंह तनवर ने कहा कि रेजांग ला युद्ध के दौरान कुमाऊं रेजिमेंट के 114 सैनिकों ने “शहादत दी” और उनमें से 90 प्रतिशत “शहीद” हरियाणा के रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ के अहिर थे.

उन्होंने कहा, “हम मेजर शैतान सिंह की वीरता को सलाम करते हैं, जिन्होंने युद्ध का नेतृत्व किया, लेकिन यह सिर्फ उनकी वीरता नहीं थी; यह पूरी कुमाऊं रेजिमेंट की बटालियन का बलिदान था. इसलिए हमने मांग की है कि अहिर सैनिकों को श्रेय दिया जाए. नहीं तो हम राजस्थान में फिल्म का विरोध करेंगे.”

हरियाणा के बीजेपी सांसद रामचंदर जांगड़ा ने दिप्रिंट को बताया कि रेजांग ला “ऐतिहासिक लड़ाई” थी जो अहिर सैनिकों ने लड़ी थी, जिसमें 120 वीरों ने सीमित तोपखाने के समर्थन में हजारों चीनी सैनिकों को मार गिराया था.

उन्होंने कहा कि ज़्यादातर सैनिक हरियाणा के रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ क्षेत्र से थे. “हम उम्मीद करते हैं कि निर्माता उनकी वीरता दिखाएंगे, उनका नाम और मूल स्थान फिल्म में उल्लेखित होगा… लेकिन यह युद्ध किसी एक व्यक्ति ने नहीं, बल्कि पूरे दस्ते ने लड़ा था.”

हरियाणा के एक बीजेपी नेता ने विवाद के राजनीतिक महत्व पर जोर देते हुए कहा कि अहिर समुदाय हरियाणा और राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार तक हिंदी पट्टी के राज्यों में एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है.

उन्होंने कहा, “बिहार में अहिर बीजेपी को वोट नहीं देते, लेकिन बाकी राज्यों में देते हैं. हमारा कर्तव्य है कि हम ऐसे मुद्दे उठाएं ताकि खासकर दक्षिण हरियाणा में अपने मुख्य वर्ग तक पहुंच सकें.”

राजस्थान बीजेपी ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष चंपालाल गेदार ने कहा, “फिल्म को किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए. कुछ नेताओं ने टीज़र की सामग्री पर आपत्ति जताई है और उम्मीद है कि रिलीज़ से पहले निर्माता इसमें सुधार करेंगे.”

कानूनी नोटिस

ऑल इंडिया यादव महासभा ने फिल्म के निर्माता और निर्देशक को कानूनी नोटिस भेजा है.

इसके महासचिव दिनेश यादव ने नोटिस में कहा कि लद्दाख के चुशूल सेक्टर में स्थित रेजांग ला मेमोरियल, जिसे अहीर धाम भी कहा जाता है, सेना ने 13 कुमाऊं की चार्ली कंपनी के 114 सैनिकों को सम्मान देने के लिए बनाया था. ये सभी 18 नवंबर 1962 को भारत-चीन युद्ध के दौरान देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए थे.

नोटिस में कहा गया, “यह स्मारक सिर्फ एक सैन्य स्थल नहीं है, बल्कि साहस, समाज और देश का पवित्र प्रतीक है. इसे आधिकारिक तौर पर भारतीय सेना और रक्षा मंत्रालय ने मान्यता दी है. मेमोरियल पट्टिका पर थॉमस बैबिंगटन मैकॉले की कविता ‘होराशियस’ की एक पंक्ति लिखी हुई है.”

इसमें कहा गया कि कमांडिंग ऑफिसर मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.

“लेकिन रेजांग ला की कहानी सिर्फ एक हीरो की नहीं है. यह 120 बहादुर सैनिकों की कहानी है, जिन्होंने अंत तक डटे रहकर लड़ाई लड़ी. कई अपने मोर्चे पर ही शहीद हो गए, उंगलियां अब भी ट्रिगर पर थीं.”

नोटिस में युद्ध के कई वीर सैनिकों के नाम लिए गए और कहा गया, “ये सिर्फ मेडल नहीं थे, बल्कि बेजोड़ बहादुरी के सामूहिक कार्य की स्वीकृति थे.”

ऑल इंडिया यादव महासभा ने मांग की है कि फिल्म में सभी 114 सैनिकों के नाम और उनके मूल स्थान को उचित श्रेय दिया जाए और उनके योगदान को प्रमुखता से दिखाया जाए. साथ ही “शहीदों के परिवारों” के लिए विशेष स्क्रीनिंग की मांग भी की गई है.

रेजांग ला की याद

फिल्म ‘120 बहादुर’ रेजांग ला की लड़ाई पर आधारित है, जिसे भारतीय सैन्य इतिहास की सबसे बहादुर लड़ाइयों में से एक माना जाता है. 120 सैनिकों में से 114 शहीद हो गए थे.

चार्ली कंपनी के कमांडर मेजर शैतान सिंह ने भी अपना बलिदान दिया, जिसके लिए उन्हें युद्ध में वीरता के लिए दिए जाने वाले सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. चार्ली कंपनी के सैनिकों को आठ वीर चक्र और चार सेना मेडल भी दिए गए.

अपनी किताब ‘द बैटल ऑफ रेजांग ला’ में कुलप्रीत यादव ने लिखा है कि 18 नवंबर 1962 की सुबह भारतीयों ने चीनी सेना की हलचल पकड़ ली थी. कई दिशाओं से लगातार हमलों के बावजूद जवान अपनी पोजिशन पर डटे रहे, जब तक कि वे पूरी तरह से घेर नहीं लिए गए.

“रेडियो संचार टूट जाने और कोई मदद न मिलने के बावजूद, सैनिकों ने आखिरी गोली तक लड़ाई लड़ी. कुछ ने हाथापाई में भी हिस्सा लिया और आत्मसमर्पण से इनकार कर दिया,” उन्होंने लिखा.

जब फरवरी 1963 में एक खोज दल लौटा, तो उसने सैनिकों के शवों को जमे हुए युद्ध की मुद्रा में पाया. मेजर भाटी का शव मिला और पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया.

टीज़र लॉन्च के समय, फिल्म के निर्देशक और मेजर शैतान सिंह की भूमिका निभा रहे फरहान अख्तर ने 13 कुमाऊं रेजीमेंट के अहीर सैनिकों का युद्धनारा लगाया—‘दादा किशन की जय’.

उन्होंने कहा, “अहीर रेजीमेंट का युद्धनारा ‘दादा किशन की जय’ है. अहीर, भगवान कृष्ण के वंशज हैं और युद्ध में जाने से पहले अपने भगवान को याद करते हैं. यह उनकी बहादुरी और आत्मविश्वास को दिखाता है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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